केवळज्ञान थया पछी छासठ दिवसे दिव्यध्वनि छूटी, एटले अषाड वद एकमने दिवसे भगवाननी ध्वनि छूटी;
अषाड वद एकम ते शासन जयंतीनो दिवस छे–शास्त्र प्ररूपकनो दिवस छे. केवळज्ञानमां अनंता भावो जणाय
छे तेथी तेमनी दिव्यध्वनिमां पण अनंत रहस्य आवे छे, ज्ञानमां भाव पूरो छे माटे वाणीमां पण पूरुं आवे छे.
परमात्मा समवसरणमां ईन्द्रो अने गणधरो आदिनी बार सभामां बिराजे छे, तेमनुं आयुष्य चोराशी लाख
पूर्वनुं छे. जीवन्मुक्तपणे तेरमी भूमिकाए श्री सीमंधर परमात्मा महाविदेह क्षेत्रमां वर्तमानमां बिराजी रह्या
छे. तेमनुं आयुष्य मोटुं छे.
पर्याय होतो ज नथी–एम ज्ञानी कहेता नथी. दरेक वस्तुमां पोतानो पर्याय तो होय
ज. रागादि विकारी पर्याय के केवळज्ञानादि निर्मळ पर्याय आत्मामां ज थाय छे;
पण सम्यग्दर्शनना विषयभूत त्रिकाळी द्रव्यस्वभावने बताववा माटे क्षणिक
पर्यायने गौण करवामां आवे छे. पोताना पर्यायमां संसारदुःख छे एम जेने भासे.
तेनो भय लागे अने तेनाथी छूटवा मागे ते जीव पोताना चैतन्यस्वभावने समजे.
पण जे पोताना पर्यायने ज स्वीकारतो नथी, पोतानी पर्यायमां दुःख छे तेने
जाणतो नथी ते जीव चैतन्यस्वभावने समजवानो प्रयत्न शा माटे करे?
दशाए तेरमी भूमिकाए त्रीस वरस सुधी विचर्या, त्यार पछी चार अघाति कर्म–वेदनीय, आयुष्य, नाम अने
उद्यानने विषे भगवान आजे निर्वाण पाम्या. भगवानने केवळज्ञान तो त्रीस वर्ष
पहेलांं थयुं हतुं अने निर्वाण आजे दिवाळीने दिवसे पाम्या; शास्त्रनी रीते कारतक
वद चौदसनी पाछली रात्रे अने कारतक वद अमासनी सवारे निर्वाण पाम्या,
अत्यारे अहींनी रीते आसो वदी चौदसनी पाछली रात्रे अने आजे आसो वदी
अमासने परोढिये निर्वाण पाम्या. चौदमी भूमिकाए
अकंप थाय छे. पछी शरीर छूटे छे अने भगवाननो आत्मा मुक्त थाय छे,
स्वभाव छे तेथी उपर सिद्धक्षेत्रे जाय छे. आनंददशा, पूर्णानंद मुक्तदशा तो अहीं ज प्रगट थई हती परंतु प्रदेशनुं
कंपन टळी जतां, अकंप थईने देह छूटी जतां ते पूर्णानंद महावीर भगवान आजे देहमुक्त थाय छे. जीवन्मुक्त
भगवान आजे देहमुक्त थया. पावापुरीनुं जे क्षेत्र छे त्यांथी समश्रेणीए उपर सिद्धक्षेत्रे महावीर परमात्मा
बिराजे छे. एकलो आत्मा देहथी तद्न छूटो थई जवो तेनुं नाम मुक्ति, पोतानो ज्ञान–आनंदमूर्ति स्वभाव रही
जवो अने बीजुं बधुं छूटी जवुं तेनुं नाम मुक्ति. भगवान कार्मणशरीरथी छूटी मोक्ष पधार्याने आजे २४७० मुं
वर्ष बेसे छे. भगवान महावीरनो विरह पडतां भक्तोने प्रशस्त रागने लईने आंखमांथी चोधारा आंसु चाल्या
जाय छे अने कहे छे के अरे! आजे भरतनो सूर्य अस्त थयो. परंतु भगवान महावीरनो