: ६६ : आत्मधर्म : महा : २००६ :
श्री सीमंधरभगवान वर्तमानमां महाविदेहक्षेत्रे समवसरणमां उपदेश आपे छे, तेमां कहे छे के हे आत्मा! तारो
स्वभाव ज बेहद सुखथी भरेलो छे, सुख अंतरमां छे, बहारमां तारुं सुख क्यांय नथी. जड पैसाना ढगलाथी
तारा आत्मानी मोटप नथी, अने राग वडे पण तारा आत्मानी मोटप नथी, अंतरमां जे परिपूर्ण चैतन्यमूर्ति
स्वभाव छे तेनाथी ज तारी मोटप छे, तेने तुं ओळख. पोताने भूलीने, पैसा वगेरेमां सुख छे ने मारामां
नथी–एम जीवे अनादिथी मान्युं छे ते तेनी नपुंसकता छे. जेम नपुंसकने पोतामां विषय भोगववानी ताकात
नथी तेथी बीजाने विषय भोगवता देखीने ते राजी थाय छे. तेम अज्ञानी जीव पोताना पुरुषार्थरहित नपुंसक
छे, ते पैसा, शरीर, स्त्री वगेरेमां सुख माने छे; पोताना आत्मामां सुख छे तेने ते भोगवता नथी अने परमां
सुख मानीने राजी थाय छे. मारामां सुख नहि, ने परमां सुख–एम मानीने ते पोताना आत्मानो अनादर करे
छे, तेथी ज भवभ्रमणमां भटके छे. एवा भवभ्रमणनो जेने हवे भय लाग्यो होय तेने भगवान कहे छे के हे
जीव! तारुं सुख बहारमां नथी, पण आत्मामां ज छे; माटे तुं आत्मानी ओळखाण कर.
हे भाई! ‘तारा आत्मामां ज सुख छे’ ए वात सांभळीने तने रुचे छे? जो आत्मस्वरूप रुचे तो
मुक्ति थया वगर रहे नहि. प्रभु! अनंतकाळमां तें बधुं कर्युं छे, पण एक आत्मस्वरूपनी समजण कदी करी
नथी. तेथी ज तुं अत्यार सुधी संसारमां रखडयो. अनंत अनंतकाळथी जे आत्मस्वरूपने समज्या विना तुं
दुःखी थई रह्यो छे ते आत्मस्वरूपने समजवुं ए ज धर्मनी अपूर्व शरूआत छे. अज्ञानी जीवो पोतानी स्वछंद
कल्पनाथी बीजी रीते धर्मनी शरूआत माने छे, ते मिथ्या छे.
(४) आत्मामां सिद्धपणानी स्थापना :– आजे अहीं श्री चंद्रप्रभ भगवान तेम ज उपर श्री सुपार्श्वनाथ
भगवानने पधाराव्या छे, तेमना पंचकल्याणक विधिमां आजे निर्वाण कल्याणक ऊजवायो, अने बराबर आजे
ज ते बंने भगवंतोना निर्वाण कल्याणकनी तिथि छे. ए रीते प्रतिष्ठाना मुहूर्तनो अने निर्वाण कल्याणकनी
तिथिनो कुदरते मेळ आवी गयो छे. वळी आ स्वाध्याय मंदिरमां ग्रंथाधिराज भगवान समयसारनी प्रतिष्ठा
थई छे, तेमां श्री कुंदकुंदभगवान शुं कहे छे? जुओ, मंगलाचरण करतां कहे छे के–
ब्रह्यचर्य – प्रतिज्ञा.
सौराष्ट्रमां पू. गुरुदेवश्रीना विहार दरमियान वढवाण शहेरमां पोष सुद १३ ने सोमवारना रोज
नीचेना त्रण भाईओए सजोडे आजीवन ब्रह्यचर्यनी प्रतिज्ञा पू. गुरुदेव श्री पासे अंगीकार करी छे–
(१) शेठ उज्मशी तलकशी तथा तेमना धर्मपत्नी छबलबहेन.
(२) शेठ मगनलाल तलकशी तथा तेमना धर्मपत्नी शकरीबहेन.
(३) शाह केशवलाल छगनलाल तथा तेमना धर्मपत्नी भूरीबहेन.
(४) ए उपरांत पोष वद ५ ने रविवारना रोज चीमनलाल हीमचंद वोरा तथा तेमना धर्मपत्नी
चंपाबहेन ए बंनेए सजोडे पू. गुरुदेवश्री पासे ब्रह्यचर्य–प्रतिज्ञा अंगीकार करी छे.
–ब्रह्यचर्य–प्रतिज्ञा लेनारा दरेक भाई–बहेनोने धन्यवाद.
ब्रह्यचर्य – प्रतिज्ञा.
सौराष्ट्रमां पू. गुरुदेवश्रीना विहार दरमियान जोरावरनगर मुकामे पोष वद ७ ने मंगळवारना रोज
भाईश्री भगवानलाल लाडकचंद शाह तथा तेमना धर्मपत्नी जीवतीबहेन–ए बंनेए सजोडे आजीवन ब्रह्यचर्य–
प्रतिज्ञा पू. गुरुदेवश्री पासे अंगीकार करी छे. ते माटे तेमने धन्यवाद.
पुस्तको मंगावनाराओने सूचना
परम पूज्य सद्गुरुदेवश्री हाल सौराष्ट्रमां विहार करी रह्या छे, तेथी सोनगढमां पुस्तक वेचाण हाल
बंध छे. जे मुमुक्षुओए बहारगामथी पुस्तको मंगाव्या छे तेमना ओर्डरो नोंधी लेवामां आव्या छे अने तेमना
मंगावेला पुस्तको राजकोट पहोंच्या पछी, फागणसुद एकम बाद रवाना करवामां आवशे.