Atmadharma magazine - Ank 078
(Year 7 - Vir Nirvana Samvat 2476, A.D. 1950)
(Devanagari transliteration).

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: ११८ : आत्मधर्म : चैत्र : २००६ :
ए रीते जिनमंदिरमां कुल १२ प्रतिमाजी बिराजे छे. ए रीते श्री राजकोट शहेरना जिनमंदिरमां महादेवाधिदेव
भगवंतोनी प्रतिष्ठा थई. राजकोट शहेरनुं जिनमंदिर घणुं भव्य छे. जिनमंदिरनुं शिखर ६५ फूट ऊंचुं छे, अने
उपर सुवर्ण कलशथी शोभी रह्युं छे. आ जिनमंदिरमां प्रतिष्ठित श्री जिनबिंबोनी मुद्रा घणी भव्य अने उपशम
भावमां निमग्न छे.
* * *
श्री जिनेन्द्र प्रतिष्ठा बाद स्वाध्याय मंदिरमां पवित्र परमागम श्री प्रवचनसारजीनी प्रतिष्ठा पू.
गुरुदेवश्रीना शुभ हस्ते थई. [राजकोटमां जे जिनमंदिर छे तेनो आगळनो भाग स्वाध्याय मंदिर तरीके
ओळखाय छे] शेठश्री नानालालभाईना धर्मपत्नी जडावबहेन तरफथी (सोनगढना समयसारनी जेम) श्री
प्रवचसार चांदीमां कोतराव्युं छे, तेनी प्रतिष्ठा स्वाध्यायमंदिरमां थई हती.
फागण सुद १३ ना दिवसे सवा लाख जापनी पूर्णता थई अने शांतियज्ञ थयो. तथा सांजे श्री
जिनेन्द्रदेवनी रथयात्रा नीकळी हती. रात्रे बालिकाओए सुंदर संवाद भजव्यो हतो. भरत चक्रवर्तीना एक
नानी वयना कुमारी दीक्षा लईने अर्जिका थवा तैयार थया छे, तेमनी साथे तेमनी बीजी बहेनोने तत्त्वचर्चा
थाय छे–ईत्यादि प्रसंग उपर संवाद हतो. आध्यात्मिक तत्त्वचर्चा अने जिनभक्तिथी संवाद शोभतो हतो.
शरूआतमां द्रव्य–संग्रहनी मूळ गाथाओनुं भव्य मंगळाचरण–ए संवादनी एक विशिष्टता हती. संवाद करनारा
बहेनोने श्री राजकोटसंघ तरफथी लगभग २००/– रूा. नुं ईनाम आपवामां आव्युं हतुं. बालिकाओए ते
ईनामनी रकम श्री राजकोटना जिनमंदिरमां भेट आपी दीधी हती.
ए उपरांत आ उत्सव दरमियान ईंदोरना पंच–कल्याणक महोत्सवनी फिल्म बताववामां आवी हती.
एकवार मोरबीना महाराजा साहेब श्री लखधीरसिंहजी पू. गुरुदेवश्रीना प्रवचनमां तेमज जिनमंदिरना
अवलोकनार्थे तथा रथयात्रा जोवा माटे पधार्या हता. अजमेरनी भजनमंडळीए वारंवार भक्ति वगेरे सुंदर
कार्यक्रम वडे प्रतिष्ठा महोत्सवने विशेष दीपाव्यो हतो. आ बदल राजकोट संघ तरफथी अजमेरमंडळीना दरेक
भाईओने एकेक चांद अर्पण कर्या हता, तेमज भाई श्री नेमिचंदजी पाटनी तरफथी बे सुवर्णचांद अर्पण
करवामां आव्या हता. बालिकाओना संवादथी प्रसन्न थईने अजमेरनी भजनमंडळी तरफथी दरेक बालिकाओने
एकेक रजत–चांद भेट आपवामां आव्यो हतो.
* * *
सौराष्ट्रना पाटनगरमां श्री जिनेन्द्र शासननी प्रभावनानो आवो महान सुअवसर प्राप्त करवा माटे,
अने ते उल्लासपूर्वक पार पाडवा माटे राजकोटना मुमुक्षु संघने धन्यवाद छे. सौराष्ट्रना पाटनगरमां जिनमंदिर
उपर फरकतो धर्मध्वज आजे आखा सौराष्ट्रमां श्री जिनशाशनना जयकार ललकारी रह्यो छे.
उत्सव दरमियान पण हंमेशां पू. गुरुदेवश्रीना आध्यात्मिक प्रवचनो थता हता. परम पूजय परम
उपकारी सद्गुरुदेवश्री कानजी स्वामीना पुनित प्रतापे अने बळवान प्रभावना योगे आजे हजारो वर्षे आ
सौराष्ट्रदेशमां फरीथी पवित्र जिनेन्द्रशासननी स्थापना थई छे. पू. गुरुदेवश्रीना मंगळ हस्ते आवा पवित्र
शासन प्रभावनाना सेंकडो महान कार्यो थाओ अने श्री जिनेन्द्र धर्मचक्र सर्वत्र सर्वदा प्रवर्तमान रहो.
कल्याणमूर्ति श्री सद्गुरुदेवनो प्रभावना उदय जगतनुं कल्याण करो.
अंक मोडो केम?
आ अंक लगभग पंदर दिवस मोडो प्रगट थाय छे कारण के, छापखानामां प्रिन्टींग मशीनमां थोडी
दूरस्ती करवानी हती ते ढील बदल सुज्ञपाठको क्षमा करे ए प्रार्थना. –मुद्रक
आ अंकमां २४ पानां
आत्मधर्मनो ७७मो अंक १६ पानांनो छपायो हतो, एटले तेमां ४ पानां ओछा हता. ते चार पानां आ
अंकमां उमेरीने आ अंक २४ पानांनो छापवामां आव्यो छे. –प्रकाशक