: ९८ : आत्मधर्म : चैत्र : २००६ :
भवना अंत विषे श्रीमद् राजचंद्रजीना पडकार
• वीर सं. २४७५ ना चैत्र वद ५ ना रोज राजकोटमां पू. गुरुदेवश्रीनुं खास प्रवचन •
आजे श्रीमद् राजचंद्रना समाधिमरणनो दिवस छे. खरेखर समाधिमरण कोने कहेवुं? समाधिमरणनुं
खरुं स्वरूप शुं छे? तेनी वात अहीं आजे आवशे.
आत्मा अनंत काळनो–अनादि अनंत टकनार, कायम सत्ता धरावनार–होवारूप पदार्थ छे. अनादिअनंत
टकता ज्ञानस्वरूप आत्माने वर्तमान दशामां भूलने लईने भ्रमण करवुं पडे छे. आत्मा स्वभावथी जाणनार,
देखनार शुद्ध चैतन्य, आनंद स्वरूप होवा छतां अनादिथी वर्तमान हालतमां आ शरीर ते हुं, शरीरना कामो
माराथी थाय, पर पदार्थथी मारा आत्माने लाभ थाय, तथा दया, दानादि विकारी भावोथी मारुं हित थाय एवी
विपरीत मान्यतारूप भ्रमणा तथा राग–द्वेषादि विकारी भावोरूप ते परिणमे छे. अने तेने लईने अनादि
संसारमां तेनुं भ्रमण थया करे छे.
हवे, आत्मा पोताना यथार्थ स्वरूपने जेम छे तेम समजे. के शरीरादि पर पदार्थो मारा नथी, हुं तेमनाथी
भिन्न चैतन्य जाणनार देखनार छुं तथा दया, पूजा, दान वगेरे रागना परिणाम ते पण मारुं स्वरूप नथी. ते
मारुं खरुं आनंदस्वरूप नथी केमके ते विकारी भावोना लक्षे मने उत्थान अने आकुळता उत्पन्न थाय छे. आवी
समजण करे तो आ आत्माने परिभ्रमण न रहे.
आवुं परथी तथा रागादिथी भिन्न आत्मानुं यथार्थ स्वरूप अनादिथी एक सेकंड मात्र पण जीव समजी
शक्यो नथी. अने जो आवुं यथार्थ स्वरूप एक सेकंड पण समजे तो तेने अंतर दशामां स्वभावथी खातरी थाय के
(अनुसंधान पाना नं. ९९)
राजकोटमां पंचकल्याणक प्रतिष्ठा प्रसंगे पधारेला जिनबिोंनी यादी
१ श्री सीमंधर भगवान राजकोट २१ श्री महावीर भगवान (स्फटिकना) इंदोर
२ श्री शांतिनाथ भगवान ” २२ श्री शांतिनाथ भगवान (नाशिक माटे) ”
३ श्री चंद्रप्रभ भगवान ” २३ श्री महावीर भगवान
४ श्री नेमनाथ भगवान ” २४ श्री शांतिनाथ भगवान (पावागीरी माटे) ”
५ श्री ऋषभदेव भगवान ” २५ श्री ऋषभदेव भगवान (नाशिक माटे) ”
६ श्री पार्श्वनाथ भगवान ” २६ श्री पार्श्वनाथ भगवान (चांदीना) ”
७ श्री चंद्रप्रभ भगवान (चांदीना) ” २७ श्री सिद्ध भगवान ”
८ श्री महावीर भगवान ” २८ श्री पार्श्वनाथ भगवान ”
९ श्री सिद्ध भगवान ” २९ श्री महावीर भगवान ”
१० श्री अरनाथ भगवान ” ३० श्री अनंतनाथ भगवान (नाशिक माटे) ”
११ श्री पद्मप्रभ भगवान ” ३१ श्री चंद्रप्रभ भगवान मुंबई
१२ श्री कुंथुनाथ भगवान ” ३२ श्री सीमंधर भगवान ”
१३ श्री सीमंधर भगवान वढवाण केम्प ३३ श्री शांतिनाथ भगवान ”
१४ श्री सुमतिनाथ भगवान वढवाण केम्प ३४ श्री महावीर भगवान ”
१५ श्री आदिनाथ भगवान–१ अजमेर ३५ श्री ऋषभदेव भगवान ”
१६ श्री आदिनाथ भगवान–२ अजमेर ३६ श्री सिद्ध भगवान राणपुर
१७ श्री आदिनाथ भगवान इंदोर ३७ श्री पार्श्वनाथ भगवान पोरबंदर
१८ श्री शांतिनाथ भगवान ” ३८ श्री शांतिनाथ भगवान उज्जैन
१९ श्री पार्श्वनाथ भगवान–१ ” ३९ श्री सिद्ध भगवान (चांदीना) ”
२० श्री पार्श्वनाथ भगवान–२ ” उपर मुजब कुल ३९ प्रतिमाजीओनी प्रतिष्ठा थई हती.