अनंत गुणो छे तेमां एक चारित्रगुण छे, तेनी अवस्था दरेक समये पोताथी थाय छे, ते दशा कां तो निर्मळ होय
ने कां तो विकारी होय. ज्यारे निर्मळदशा न होय त्यारे विकारीदशा होय छे. ते विकार जो कर्मने लीधे थतो होय
तो तेने टाळवानुं जीवना हाथमां रहेतुं नथी अने एम थतां जीवने संबोधीने जे उपदेश आपवामां आवे छे ते
पण निरर्थक जाय छे. तेम ज विकार जो कर्मे कराव्यो होय तो ते वखते जीवना चारित्रगुणे शुं काम कर्युं?
चैतन्यमां विकारनो उत्पाद जीव पोते परनुं लक्ष करे त्यारे थाय छे, कोई बीजो तेनो कर्ता नथी. आत्मा पोते
कर्ता, ने तेनो विकारी के अविकारी भाव ते तेनुं कर्म छे. जडकर्म तेनाथी भिन्न छे. आत्मा ते जड कर्मने करतो
नथी ने जडकर्म आत्माने विकार करावतुं नथी.
ने! तेम शास्त्रनो अभ्यास कर्या पछी एम माने छे के कर्मनो उदय क्रोध करावे छे. पण एम नथी. भाई, कर्मनो
तो तारामां अत्यंत अभाव छे. अरे भगवान! ते कर्म तारामां शुं करे? चार प्रकारना अभावनुं वर्णन आवे छे
तेमां महा सिद्धांत छे. आत्मानी अवस्था अने जड कर्मनी अवस्थानो एकबीजामां अत्यंत अभाव छे. देव–
गुरु–शास्त्र आत्माने गुण करावे ने जड कर्मनो उदय आत्माने दोष करावे, –ए प्रमाणे गुण अने दोष बंने पर
करावे एम अज्ञानी पराधीनता माने छे, एटले पोते तो स्वाधीन तत्त्व ज न होय, नमालो होय–एम माने छे.
पोताना गुण–दोषनो कर्ता पोते तो स्वतंत्रपणे न रह्यो एटले दोष टाळीने गुण प्रगट करवामां आत्मानी
स्वतंत्रता न रही. –आवी अज्ञानीनी मान्यता ते घोर मिथ्यात्व छे. आत्मा पोते पोताना अपराधथी दोष करे
ने पोते ज सवळा पुरुषार्थथी तेने टाळे, बंनेमां आत्मानी स्वाधीनता छे, पर चीज तो तेमां निमित्तमात्र छे, ते
आत्माने कांई गुण–दोष करावती नथी. आत्माना गुण–दोषमां पर चीजनो अभाव छे.
नथी. जो परने लईने विकार थतो होय तो ते टाळवा माटे पर सामे ज जोया करवानुं रह्युं, एटले विकार वखते
शुद्धस्वभाव सामे जोईने तेनी रुचि करवानो अवकाश रहेतो नथी. माटे ए पराधीनपणानी मिथ्या मान्यता
छोडीने तुं स्वाधीन आत्मानी रुचि कर.
प्रीति पण तुं ज करी शके छे; माटे कह्युं के तुं आवा ज्ञानस्वभावी आत्मानो निर्णय करीने तेनी ज प्रीति कर.
अनेकान्तनो ज लोप थई जाय छे. बे तत्त्वो पृथक् कहेवा अने एक बीजामां कांई करे एम कहेवुं–ए वात विरुद्ध
छे. आत्मा पोते स्वभावने भूलीने के अस्थिरताथी राग–द्वेष करे छे ते आत्माना चारित्रगुणनी ऊलटी दशा छे,
ते दशा गुणे पोते करी छे. जो गुणनी दशा पोते न करे ने बीजो करावे तो ते गुणनी दशा रहेती नथी. अने जो
अवस्थाने स्वतंत्र न माने तो