Atmadharma magazine - Ank 081a
(Year 7 - Vir Nirvana Samvat 2476, A.D. 1950)
(Devanagari transliteration).

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: द्वितीय अषाढ: २४७६ आत्मधर्म : १९७:
जे जीवे प्रसन्न चित्तथी आत्मस्वभावनी वात पण सांभळी छे ते जीव भविष्यमां थनारी मुक्तिनुं
अवश्य भाजन थाय छे. अहीं श्रुताः एटले के सांभळी छे–एम कहेवामां सूक्ष्म न्याय छे. सांभळवानुं कहेतां,
संभळावनार निमित्त केवा होय तेनुं ज्ञान पण आवी जाय छे. पोते जागीने भान करे त्यां सामे कयुं निमित्त
हतुं, केवा देव–गुरु–शास्त्र निमित्तरूपे होई शके तेनुं पण यथार्थ भान थया वगर रहेतुं नथी. एवो
स्वपरप्रकाशक ज्ञानस्वभाव छे.
जुओ भाई, आ वात सूक्ष्म छे; पण आ वात समजवानी दरेक जीवमां ताकात भरी छे. एकेक आत्मा
सिद्ध भगवान जेवो छे. तेनो विश्वास लावीने होंशपूर्वक श्रवण अने मंथन करवुं जोईए. ‘मने नहि समजाय’
एवी नमाली मान्यता छोडी देवी जोईए. भगवान आचार्यदेवे समयसारनी पहेली गाथामां ज आत्मामां
सिद्धपणुं स्थाप्युं छे के हुं सिद्ध छुं अने तुं सांभळनार पण सिद्ध छे. अमे तारा ज्ञानमां तारा आत्मानुं सिद्धपणुं
स्थापीए छीए. माटे तुं पण तारा ज्ञानमां ए वात बेसाडीने पहेले धडाके सिद्धपणानी हा पाड. पूर्णताना लक्षे
शरूआत ते ज वास्तविक शरूआत छे. पहेलेथी आत्माने सिद्ध जेवो स्थापीने ज वात उपाडी छे. आवा
वास्तविक वस्तुस्वभावना भान विना धर्मनी शरूआत थाय नहीं.
सुवर्णपुरी – समाचार
(१) पू. गुरुदेवश्रीनुं सोनगढमां आगमन :– राजकोट शहेरमां पंचकल्याणक महोत्सव पूर्ण करीने, तेमज
सौराष्ट्रमां महान धर्मप्रभावना करीने, अने श्री शत्रुंजय सिद्धक्षेत्रनी यात्रा करीने प्रथम अषाड सुद ६ ना रोज
पू. गुरुदेवश्री सोनगढ पधार्या छे. पू. गुरुदेवश्री पधार्या ते प्रसंगे सर्वे मुमुक्षुसंघे अंतरना उमळकाथी भावभर्युं
स्वागत कर्युं हतुं. पू. गुरुदेवश्री सुखशांतिमां सोनगढ बिराजे छे.
(२) समयसार–प्रवचनसारजीनी शरूआत :– अषाड सुद ८ ना रोज प्रवचनमां सवारे श्री प्रवचनसारजी तथा
बपोरे श्री समयसारजीनी पहेलेथी मंगळ शरूआत थई छे. समयसार अने प्रवचनसार जेवा बे पवित्र
परमागमोना वांचननी एक ज दिवसे शरूआत थवानो आ पहेलो ज प्रसंग होवाथी मुमुक्षुओने ते प्रसंगे घणो
उत्साह हतो.
(३) पुस्तक वेचाण विभाग :– बहारगामथी पुस्तको मंगावनार जिज्ञासुओ हवे सोनगढथी पुस्तको मंगावी
शकशे. सोनगढमां पुस्तक वेचाण विभाग पहेलांंनी माफक ज शरू थई गयेल छे.
(४) प्रेस समाचार :– हालमां श्री समयसार–प्रवचनो (बंध अधिकार) तेम ज श्री नियमसार–प्रवचनो
(शुद्धभाव अधिकार) प्रेसमां छपाय छे. ए सिवाय एक नवी स्तवनमाळा पण छपाय छे. नियमसार गुजराती
तेमज समयसार गुजराती (बीजी आवृत्ति) छापवानुं थोडा वखतमां शरू थशे. चिद्दविलास गुजरातीनुं
छापकाम लगभग पूरुं थवा आव्युं छे, ते तैयार थये आत्मधर्मना ग्राहकोने भेट मोकली देवामां आवशे.
(५) प्रवचननी रेकर्ड :– राजकोटमां चैत्र वद ५ ना रोज श्रीमद् राजचंद्रजीना समाधि दिने पू. गुरुदेवश्रीनुं खास
प्रवचन थयुं हतुं; ते प्रवचनना शरूआतना भागनी एक ग्रामोफोन–रेकर्ड उतरेली छे. रेकर्डनी किंमत रूा. २–२–०
छे. रेकर्ड सोनगढथी मळी शकशे.
(६) प्रौढवयना गृहस्थो माटे श्री जैनदर्शन शिक्षणवर्ग :– गया वर्षनी माफक आ वर्षे पण श्रावण सुद ५ ता.
१८–८–५० शुक्रवारथी शरू करीने श्रावण वद १० ता. ६–९–५० बुधवार सुधी, सोनगढमां श्री जैन
स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट तरफथी साचा तत्त्वज्ञानना अभ्यासनी शरूआत करनारा भाईओ माटे एक जैनदर्शन
शिक्षणवर्ग खोलवानुं नक्की कर्युं छे. आ वर्ग खास प्रौढ उमरना जैन भाईओने माटे खोलवामां आव्यो छे. जे
मुमुक्षु भाईओने वर्गमां आववा ईच्छा होय तेओए पोतानुं नाम “श्री जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट सोनगढ” ए
सरनामे मोकली देवुं.