Atmadharma magazine - Ank 086
(Year 8 - Vir Nirvana Samvat 2477, A.D. 1951)
(Devanagari transliteration).

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आफ्रीकामां मुमुक्षु
मंडळनी स्थापना
पू. गुरुदेवश्रीना आत्मकल्याणकारी उपदेशनो प्रभाव मात्र भारतमां ज नहि पण आफ्रीकामां पण
पहोंच्यो छे; तेथी आफ्रीकाना नाईरोबी गाममां केटलाक मुमुक्षुओए मळीने मुमुक्षुमंडळनी स्थापना करी छे,
अने त्यां नियमित पू. गुरुदेवश्रीना प्रवचनोनी स्वाध्याय थाय छे. मुमुक्षुमंडळनी स्थापना थयाना समाचार
जणावतां प्रमुख, मंत्री वगेरेए उल्लासभर्यो पत्र लखेल छे. तेमां तेओ लखे छे के :
“यात्राओ करी हती, व्याख्यानो सांभळ्‌या हता, क्रियाओमां वधु द्रढता हती; परंतु खरेखरुं सत्य
समजवा माटे सुर्वणपुरी तरफ आववानुं भाग्यमां न हतुं एटले सद्गुरुनो समागम अने अमृतवाणी
सांभळवानुं–समजवानुं प्राप्त न थयुं......अने हवे समजपूर्वक आत्माने अनुलक्षीने पुरुषार्थ करवानो मोको
मल्यो छे. जूनी रूढी (घरेड) पडेल ते शंकाओनुं समाधान थयुं अने सत्य तरफ ढळवानी रुचि थई, वधु रुचि
थती जाय छे.
× × × रुचिवंत पुरुषो गमे त्यां अने गमे तेवा संयोगो होय तोपण छूपा रहेता नथी...
[] मुमुक्षुमंडळनी स्थापना जेठ वद ४ ने रविवारे थई.
[] सरस्वती भंडारनी स्थापना अषाड वद ८ ने रविवारे थई, तेमां वांचन तथा वेचाण माटे सेंकडो
रूा. नां पुस्तको सोनगढथी मंगाव्यां छे.
[] शरूआतमां दर रविवारे २ थी ६ सुधी वांचन, स्वाध्याय, चर्चा तथा भक्तिनो कार्यक्रम राखेल.
त्यारबाद दर शनिवारे पण रातना ७ाा थी १० सुधी वांचन तथा चर्चानो कार्यक्रम राखेल.
[] पर्युषण पर्व बहु ज आनंदथी ऊजवेल अने ते वखते दररोज सवारना ८ थी रातना ९ वाग्या
सुधीनो कार्यक्रम राखेल. तेमां वांचन, स्वाध्याय, भक्ति, आरति अने प्रतिक्रमण थतुं हतुं. दरेक भाईओए
उत्साहपूर्वक लाभ लीधेल हतो. अने पांच भाईओए आठ आठ दिवसना उपवास कर्या हता.
[] आसो वद १० ने रविवारथी दररोज ६ाा थी ८ा सुधीनो कार्यक्रम राखेल छे, अने दररोज वांचन,
भक्ति तथा आरति थाय छे. रविवारे २ थी ८ सुधीनो कार्यक्रम राखेल छे. ते उपरांत सरकारी तहेवारोए
दुकानो बंध होय ते दिवसे रविवार मुजब कार्यक्रम राखेल छे.”
उपरनो कार्यक्रम वांचीने त्यांना मुमुक्षुमंडळनो उत्साह जणाई आवे छे. आ उत्साह माटे त्यांना
मुमुक्षुमंडळने धन्यवाद!
स्व० धरमशीभाईने आफ्रीकामां सत्धर्म प्रचार माटे घणो उत्साह हतो, अने तेमणे आफ्रीकामां
‘आत्मधर्म’ना सेंकडो ग्राहको बनाव्या हता. तेमना स्वर्गवास पाछळ तेमना सुपुत्री पानीबेन तरफथी
सोनगढनी संस्थाना जुदा जुदा खातामां एकंदर हजारेक रूा. आप्या हता. ते माटे तेमनो आभार!
!
अमदावादमां सुप्रभावती बेन–के जेओ अमदावाद मुमुक्षुमंडळना एक सभ्य छे
तेमणे साडाबार वर्षनी तपस्या करी हती,–साडाबार वर्ष सुधी एकांतरा उपवास कर्या हता.
साडाबार वर्ष सुधी एवा प्रकारनी तपस्या करवा छतां, सत्समागमना प्रतापे तेओ समजे
छे के आ एक प्रकारनो मात्र शुभभाव छे, आत्मानी मुक्ति तो सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्र
वडे ज थाय छे अने ए ज धर्म छे, अने ते माटेनी तेमनी भावना छे.
कारतक सुद ३ ना रोज तेमनी तपस्यानुं पारणुं हतुं; ते प्रसंग त्यांना
मुमुक्षुमंडळ द्वारा उत्साहथी उजववानो कार्यक्रम दिवाळीथी शरू थयो हतो. आ प्रसंगे का.
सुद २ ना रोज ते बेनना घरे प्रभुश्रीनी प्रतिमाने गाजते–वाजते पधरावीने
बिराजमान कर्या हता, अने बे दिवस सुधी तेमनी पूजा, भक्ति तेम ज स्वाध्याय,
प्रभावना वगेरेथी आ प्रसंग ऊजव्यो हतो. आथी अमदावादमां सारी धर्मप्रभावना
थई हती.