प्रवाहक्रममां वर्तमान वर्ततो कोई पण एक परिणाम पूर्वना परिणामना व्ययरूप छे, त्यार पछीना परिणामनी
अपेक्षाए एटले के पोते पोतानी अपेक्षाए उत्पादस्वरूप छे, ने पहेलां–पछीनो भेद पाड्या वगर आखा
प्रवाह–क्रमना अंश तरीके जुओ तो ते परिणाम धु्रवरूप छे. ए रीते एकेक परिणाममां उत्पाद–व्यय–धु्रव छे.
वापर्या. केम के वर्तमान एक ज परिणाम लीधो तेमां ज तेनो वर्तमान स्वकाळ आवी गयो.
समजतां एकला वर्तमान परिणामनी द्रष्टि न रहेतां परिणामी द्रव्यनी द्रष्टिथी परिणाम अने परिणामीनी
एकता थतां सम्यक्त्वनो उत्पाद थाय छे, तेमां पूर्वना मिथ्यात्वनो व्यय छे ज, मिथ्यात्वने टाळवुं नथी पडतुं.
कोई परिणामने हुं फेरवी शकुं नहि, मात्र जाणुं–एवो मारो स्वभाव छे, एम ज्ञानस्वभावनी प्रतीतमां
सम्यक्त्व परिणामनो उत्पाद छे, ने तेमां मिथ्यात्वनो व्यय छे ज. एटले मिथ्यात्व टाळुं ने सम्यक्त्व प्रगट करुं
ए वात नथी रहेती. ज्यां आवी बुद्धि थई त्यां ते समयनो सत् परिणाम पोते ज सम्यक्त्वना उत्पादरूप ने
मिथ्यात्वना व्ययरूप छे, तथा एकबीजा साथे संकळायेला परिणामोना सळंगप्रवाह तरीके ते परिणाम धु्रव छे. –
ए रीते एकेक परिणाम उत्पाद–व्यय–धु्रवयुक्त सत् छे.
परथी नथी पण पोताथी छे. एकेक समयनो वर्तमान अंश निरपेक्षपणे पोताथी ज उत्पाद–व्यय–धु्रवरूप सत् छे.
सिवाय जो बीजुं मान तो, वस्तुमां तो कांई फेरफार थवानो नथी पण तारुं ज्ञान मिथ्या थशे.
परिणाम एकसरखा ज थाय. माटे द्रव्यने लईने परिणामनुं सत् छे एम न लेतां, एकेक समयना परिणाम पोते
सत् छे अने द्रव्य ज ते वर्तमान परिणामपणे वर्ततुं सत् छे–एम लीधुं छे. प्रवाहनो वर्तमान अंश ते अंशने
लईने ज छे. अहो, एकेक समयनुं अकारणीय सत् साबित कर्युं छे. समय समयनुं सत् अहेतुक छे. बधा
पदार्थोना त्रणे काळना वर्तमाननो दरेक अंश निरपेक्ष सत् छे, ज्ञान तेने जेम छे तेम जाणे पण फेरवे नहि. ज्ञाने
जाण्युं माटे ते अंश ते प्रमाणे छे–एम नथी. ते पोते स्वयं सत् छे.
केवळज्ञान थयुं माटे बीजा समये ते केवळज्ञान रह्युं–एम नथी, पण बीजा समयना ते वर्तमान परिणामनुं
केवळज्ञान ते समयना अंशथी ज सत् छे. पहेला समयना सत्ने लीधे बीजा समयनुं सत् नथी. ए ज प्रमाणे
सिद्ध भगवानने पहेला समयनी सिद्ध पर्याय हती माटे बीजा समये सिद्ध पर्याय थई–एम नथी. सिद्धमां ने
बधां य द्रव्योमां एकेक समयनो अंश सत् छे.
काळना दरेक परिणामनुं जे वर्तमान छे ते वर्तमान ज तेनो