प्रमाणे,–एम नक्की कर्युं एटले परमां के स्वमां क्यांय परिणामना फेरफारनी बुद्धि न रहेतां ज्ञान ज्ञानमां ज
एकाग्रता पामे छे. तेने ज धर्म अने मोक्षमार्ग कहेवाय छे.
परिणाममां फेरफार न थाय’ एम वस्तुस्थितिनी प्रतीत करतां ज्ञानमां धीरज आवी जाय छे. अने ज्यां ज्ञान
धीरुं थईने स्वमां वळवा लाग्युं त्यां मोक्षपर्याय थतां वार लागे नहि. आ रीते क्रमबद्ध पर्यायनी प्रतीतमां
मोक्षमार्ग आवी जाय छे.
ते ज प्रकाशे छे अने तेनी पहेलांंना परिणामो ते वखते प्रकाशता नथी. पहेलां परिणामना उत्पाद–व्यय–धु्रव
सिद्ध करती वखते ‘वर्तमान परिणाम पूर्व परिणामना व्ययरूप छे’ एम कह्युं हतुं, अने अहीं द्रव्यना उत्पाद–
व्यय–धु्रव सिद्ध करवामां कथनशैली फेरवीने एम कह्युं के ‘वर्तमान परिणाम वखते पूर्वना परिणाम प्रगट थतां
नथी.’–माटे ते पूर्व परिणामनी अपेक्षाए द्रव्य व्ययरूप छे. जे परिणाममां द्रव्य वर्ती रह्युं होय ते परिणामनी
अपेक्षाए द्रव्य उत्पादरूप छे, तेनी पहेलांनां परिणाम के जे अत्यारे प्रगट नथी तेनी अपेक्षाए द्रव्य व्ययरूप
छे, ने बधाय परिणाममां सळंग वहेता द्रव्यना प्रवाहनी अपेक्षाए ते धु्रवरूप छे. –ए प्रमाणे द्रव्यनुं
त्रिलक्षणपणुं ज्ञानमां नक्की थाय छे. आवो ज्ञेयोनो निर्णय करनारुं ज्ञान स्वमां ठरे छे, तेनुं नाम
मोतीना स्पर्शनी अपेक्षाए माळानो व्यय थयो, बीजा मोतीना स्पर्शनी अपेक्षाए माळानो उत्पाद थयो अने
‘माळा’ तरीकेनो प्रवाह तो चालु ज रह्यो तेथी माळा धु्रव रही. ए प्रमाणे एक पछी एक थता परिणाममां
वर्तनारा द्रव्यमां पण उत्पाद, व्यय ने धु्रव समजवा.
द्रव्य पण परिणमे छे. जो परिणामनो उत्पाद थतां द्रव्य पण नवा परिणामे न ऊपजतुं होय तो तो द्रव्य
भूतकाळमां रही जाय एटले के वर्तमान वर्तमानपणे ते वर्ती शके नहि, ने तेनो अभाव ज थाय. माटे
परिणामना उत्पाद–व्यय थतां द्रव्य पण उत्पाद–व्ययपणे परिणमे ज छे. द्रव्यना परिणमन वगर परिणामना
उत्पाद–व्यय थाय नहि, अने द्रव्यनी सळंग धु्रवता पण नक्की न थाय. माटे द्रव्य उत्पाद–व्यय–धु्रववाळुं ज छे;
‘पर्यायमां ज उत्पाद–व्यय छे ने द्रव्य तो धु्रव ज रहे छे, तेमां उत्पाद–व्यय थता ज नथी’–एम नथी.
परिणामना उत्पाद–व्यय–धु्रवमां वर्ततुं द्रव्य पण एक समयमां त्रिलक्षणवाळुं छे.
उपरथी द्रष्टि खसी ने स्व तरफ वळ्यो. हवे स्वमां पण पर्याय उपरथी द्रष्टि खसी गई केम के ते पर्यायमांथी
पर्याय प्रगटती नथी पण द्रव्यमांथी पर्याय प्रगटे छे, एटले द्रव्य उपर द्रष्टि गई. एने त्रिकाळी सत्नी प्रतीति
थई. आवी त्रिकाळी सत्नी प्रतीति थतां द्रव्य पोताना परिणाममां स्वभावनी धाराए वहेतुं, ने विभाव
धारानो नाश करतुं परिणमे छे. माटे द्रव्यने त्रिलक्षण अनुमोदवुं.