मोक्षनो उपाय छे.
उपदेश्यो तेम ज भविष्यकाळना मुमुक्षुओने माटे पण ते एक ज उपाय स्थाप्यो छे.
पुत्रने मूडी सोंपी दे छे अने भलामणो करे छे, तेम अहीं परम धर्मपिता सर्वज्ञप्रभु परमवीतराग आप्तपुरुष
मुक्ति पामतां पहेलांं (–सिद्ध थतां पहेलांं) तीर्थंकरपदे दिव्य उपदेश द्वारा जगतना भव्य जीवोने मोक्षनो उपाय
दर्शावे छे–तेमना स्वभावनी मूडी सोंपे छे.. हे जीवो! तमारो आत्मा सिद्धसमान शुद्ध छे, तेने ओळखीने तेनुं
शरण लो...स्वभावनुं शरण ते मुक्तिनुं कारण छे, बहारनो आश्रय ते बंधनुं कारण छे. धर्मपिता तीर्थंकरो
आवो स्वाश्रित मोक्षनो मार्ग बतावीने सिद्ध थया; अहो! तेमने नमस्कार हो.
आत्माने ओळखो...रे...ओळखो...सर्व प्रकारे आत्मस्वभावनो ज आश्रय करो. ते ज मुक्तिनो रस्तो छे...
अनंत तीर्थंकरोए दुंदुभीना नाद वच्चे दिव्यध्वनिथी आ एक ज मार्ग जगतना जीवोने दर्शाव्यो छे.
पुरुषार्थ करो. पोताना आत्माने सर्वज्ञ जेवो समजीने सर्वज्ञनी ओथ दईने पुरुषार्थ करो... सर्वज्ञनुं अनुकरण
करीने सर्वज्ञ जेवो पुरुषार्थ करो... जेम सर्वज्ञदेवे स्वाश्रय कर्यो तेम तमे तमारा आत्मानो आश्रय करो.
नथी. जेणे स्वभावनो निर्णय करीने ज्ञानने स्वभावमां स्थिर कर्युं छे तेणे स्वाश्रित मोक्षमार्गने अंगीकार कर्यो
छे. स्वभावना आश्रये प्रगटेलो भाव सदाय स्वभाव साथे अभेदपणे टकी रहे छे. तेथी, आचार्यदेव कहे छे के
अमे अमारा स्वभावनो आश्रय कर्यो छे तेथी मोहनो क्षय करीने अप्रतिहतभावे केवळज्ञान प्रगट करवाना
छीए... जेम अरिहंतो मोक्ष पाम्या तेम अमे पण ए ज प्रकारनो पुरुषार्थ करीने मोक्ष पामवाना छीए..
भगवंतोने नमस्कार हो!
स्वभावना आश्रये मोहनो क्षय करीने केवळज्ञान पाम्या, तेम हुं पण तमारो ज वारसो लेवा माटे स्वाश्रयथी
तमारी पाछळ चाल्यो आवुं छुं. अहीं! जेणे आवो पूर्ण स्वतंत्र स्वाश्रित मार्ग बतावीने अनंत उपकार कर्यो ते
भगवंतोने हुं नमस्कार करुं छुं–एटले के हुं पण ए स्वाश्रयने ज अंगीकार करुं छुं. भगवानना चरणकमळमां
अमारा नमस्कार हो, भगवाने बतावेला स्वाश्रितमार्गने अमारा नमस्कार हो. आचार्यदेव पोते पोताना मोक्ष
माटेनो उत्साह अने खुशाली जाहेर करे छे के हे प्रभो! जे रीते आपे मुक्ति करी ते ज रीते अमे पण मोक्षना ज
रस्ते छीए, अमे पण केवळज्ञान प्रगट करशुं अने अमे पण ते ज उपदेश करीने निर्वाण पामशुं. बीजुं तो शुं
कहीए? भगवंतोने नमस्कार हो. जे जीवोने स्वाश्रयनी रुचि होय अने पराश्रयनी रुचि टळी गई होय ते ज
जीव भगवंतोने नमस्कार करे छे. खरेखर भगवाने जेवो स्वाश्रयमार्ग