तेमने वंदन हो. आचार्यदेव पोते छद्यस्थ छे तेथी विकल्प छे; भगवानने नमस्कार करतां विकल्पनो निषेध करे
व्यवहार छे. ते व्यवहारनो निषेध छे, ने शुद्धातानो आदर छे. –ए रीते आचार्यदेवने निश्चय–व्यवहारनी संधि
छे. वर्तमान विकल्प छे तेनो आदर नथी पण सर्वज्ञदेवे जे स्वभाव बताव्यो ते स्वभावनो ज आदर छे.
विकल्पने कारणे एम कह्युं के भगवंतोने नमस्कार हो... एटले खरेखर तो भगवान जे रीते स्वाश्रय करीने पूर्ण
थया ते ज रीते हुं स्वाश्रयने अंगीकार करुं छुं– ए ज तीर्थंकरोनो पंथ छे.
कहीए छीए ते रीते तमे आत्माना द्रव्य–गुण–पर्यायनो तमारा ज्ञानमां निर्णय करो... अने तमारा पर्यायने
पराश्रयथी छोडावीने स्वाधीन आत्मतत्त्वमां वाळो. अमे पुरुषार्थ वडे सम्यक् आत्मस्वभावनी श्रद्धा अने
आत्मतत्त्वनी श्रद्धा अने एकाग्रता करवाथी मोहनो क्षय थईने सम्यग्दर्शन अने केवळज्ञाननी प्राप्ति थशे. माटे
पुरुषार्थ वडे स्वाश्रय करो...
नमुं छुं... जे मार्गे आप निवृत्त थया ते ज मार्गे हुं चाल्यो आवुं छुं. हे पूर्णपुरुषार्थना स्वामी, भगवान्!
आपना दिव्य उपदेशनी कोई अद्भुत बलिहारी छे. आपनो उपदेश जीवोने पराश्रयथी छोडावीने मोक्षमार्गमां
लगाडनारो छे. आपना चरणकमळमां हुं नमस्कार करुं छुं... कई रीते नमुं छुं? आपना उपदेशने पामीने. आपे
उपदेशेला स्वाश्रित विधिने अंगीकार करीने हुं आपना पंथे चाल्यो आवुं छुं.
ज्ञानीओ तो कहे छे के आवा स्वाश्रयमार्गनी यथार्थ मान्यता ते क्षायक जेवुं अप्रतिहत सम्यग्दर्शन छे. अहो
नाथ! जे उपाये आपे द्रव्य–गुण–पर्यायने ओळखीने, क्रमबद्ध आत्मपर्यायने जाणीने, अभेद स्वरूपनी प्रतीति
अने स्थिरता करीने, सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्ररूप निर्मळ दशा प्रगट करी अने अरिहंतदशा पाम्या, तथा
जगतने ते ज उपदेश करीने सिद्धदशा पाम्या, तेम अमे पण आपनो स्वाश्रयनो उपदेश सांभळीने, ए ज रीते
स्वाश्रय वडे सम्यक् श्रद्धा–ज्ञान–चारित्र प्रगट करीने मुक्त थईशुं. ए माटे हे प्रभो! आपने नमस्कार हो.
रागरहित परिपूर्ण स्वभावनो जेणे पोताना ज्ञानमां निर्णय कर्यो तेणे एकला आत्माना आश्रयनो स्वीकार
कर्यो अने समस्त परद्रव्य तेम ज परभावोना आश्रयनी मान्यता छोडी तेने अनंत पुरुषार्थ प्रगट्यो छे.. ए
जीव तीर्थंकरोना पंथे चालवा मांडयो छे.
स्वभावनो निर्णय करीने तारो ज आश्रय कर. अत्यारे पण स्वभावनो निर्णय करीने–स्वाश्रय प्रगट करीने
तीर्थंकरोना पंथे विचरी शकाय छे.
श्री तीर्थंकरोना स्वाश्रित पंथने नमस्कार हो.
तीर्थंकरोनो पंथ दर्शावनारा संतोने नमस्कार हो.