Atmadharma magazine - Ank 089
(Year 8 - Vir Nirvana Samvat 2477, A.D. 1951)
(Devanagari transliteration).

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फागण : २४७७ : ८३ :
धन्य
ए सीमंधरप्रभुनो
प्रतिष्ठा – महोत्सव
श्री सीमंधरप्रभुना प्रतिष्ठा महोत्सवनां
केटलांक उल्लासभर्या संस्मरणो
* * * * *
श्री जिनेन्द्रदेवना पंचकल्याणक एटले दुनियानो सर्वोत्कृष्ट मांगळिक महोत्सव! ए पंचकल्याणक
संसारमांथी जीवोने ओछा करीने मोक्ष–जीवोनी वृद्धि करनारा छे.
परम पूज्य गुरुदेवश्रीना पुनित प्रतापे, सौराष्ट्रमां एवा पंचकल्याणकना मंगळ महोत्सवो ऊजववानुं
अने नीहाळवानुं सौभाग्य मुमुक्षुओने पांच वार सांपड्युं छे. तेमां सौथी पहेलो प्रसंग सोनगढमां सीमंधर
प्रभुनी पंच कल्याणक प्रतिष्ठा थई त्यारे ऊजवायो.
वीर सं. २४६७ ना फागण सुद बीजे सोनगढना जिनमंदिरमां सीमंधरप्रभुनी प्रतिष्ठा थई. आजे तो ए
प्रसंगने दस वर्ष वीती गया...छतां भक्तजनोना हृदयमां ते वखतनो उल्लास एवो ने एवो ताजो छे...तेनुं
स्मरण करतां आजे पण भक्तजनोनां हृदय भक्तिरसमां भींजाई जाय छे.
वीर सं. २४६प मां पू. गुरुदेवश्री संघ सहित पालीताणा शत्रुंजयतीर्थनी यात्राए पधार्या...त्यां भगवाननां
दर्शन करतां करतां कोई विरला भक्तोने एवी भावना जागी के ‘अरेरे! आपणने साक्षात् भगवाननो तो विरह,
पण भगवाननी वीतरागीमूद्रानां पण दर्शन न मळे!’ एम भाव थतां सोनगढमां वीतरागी प्रतिमा स्थापवानुं दील
थयुं...पछी तो भगवानने स्थापवा माटेनी भक्तोनी ए भावना फेलाती फेलाती पू. गुरुदेवश्री पासे पहोंची अने पू.
गुरुदेवश्रीने पण वीतरागी जिनप्रतिमा स्थापवाना भाव थया...ने एकवार पद्मनंदी पचीसीना वांचन वखते
प्रवचनमां जिनप्रतिमा संबंधी एवी वात आवी के ‘जे भव्य जीव नानामां नानुं जिनमंदिर अने जव जेवडा
जिनप्रतिमा बनावे छे तेने पण एवा पुण्यनी प्राप्ति थाय छे के साक्षात् सरस्वती पण तेना पुण्यनुं वर्णन करी शकती
नथी; तो बीजानी तो शुं वात?’ पू. गुरुदेवना श्री मुखेथी ए वात सांभळतां राजकोटना शेठ श्री नानालालभाई
तथा तेमना बंधुओने सोनगढमां वीतरागी जिनमंदिर कराववानी भावना थई... अने तेमना तरफथी जिनमंदिर
बधायुं. ए रीते भक्तोना अंतरनी ऊंडी भावनानां
बीजडां फाल्यां ने खरेखर सोनगढमां सीमंधर भगवान
भेट्या...
प्रतिष्ठा पहेलांं माह सुद रना रोज सुप्रभाते
सूर्यना किरणो बहार नीकळतां मंगल मुहूर्ते घणा
उल्लास पूर्वक श्री सीमंधरादि भगवंतोनो ग्राम
प्रवेशोत्सव थयो हतो. भगवान पधार्या... ने पहेली
वखत तेमनी भव्य मूद्रा नीरखतां ज पू. गुरुदेव
भक्तिथी स्तब्ध थई गया... आंखोमांथी आंसु वही
गया. हजी भगवाननी प्रतिष्ठा थई न हती पण पू.
गुरुदेवने एटली बधी लगनी लागी हती के वारे वारे
भगवान पासे जईने बेसता ने दिवसनो
भगवान श्री सीमंधर जिन–स्वागत अंक