Atmadharma magazine - Ank 090
(Year 8 - Vir Nirvana Samvat 2477, A.D. 1951)
(Devanagari transliteration).

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: चैत्र : २४७७ : १२३ :
सौराष्ट्रनुं एक जागृत तीर्थधाम
सोनगढ
[] सोनगढनी विशेषता
सोनगढमां परम पू. सत्पुरुष श्री कानजी स्वामी बिराजमान छे. तेओ हंमेशां आध्यात्मिक उपदेश
आपीने जिज्ञासु जीवो पर महान उपकार करी रह्या छे. तेओश्रीना कल्याणकारी उपदेशनो लाभ लेवा माटे
भारतमांथी दूरदूरना अनेक जिज्ञासुओ आवे छे ने तेओश्रीनी अपूर्व वाणीनुं श्रवण करीने पोताने धन्य माने
छे.... सोनगढ संबंधी माहितीना अभावे कोई कोई जिज्ञासुओने मुश्केली पडे छे; तेथी अहीं सोनगढ संबंधी
केटलीक माहिती आपी छे.
परम पूज्य श्री कानजी स्वामीना उच्च आध्यात्मिक उपदेशना श्रवणनो अपूर्व लाभ मळवो ए
सोनगढनी सौथी मुख्य विशेषता छे. सोनगढमां श्री समयसार, प्रवचनसार वगेरे शास्त्रो उपर हंमेशां सवारे
तथा बपोरे बे वखत पू. गुरुदेवश्रीनां नियमित प्रवचनो थाय छे अने ए उपरांत आखो य दिवस विधविध
विषयो पर तत्त्वचर्चा चाल्या ज करे छे. जिज्ञासुओने शंका–समाधान माटे रात्रे एक कलाक खास प्रश्नोत्तर माटे
राखवामां आवे छे. पहेला सोनगढमां जैनोनी खास वस्ती न हती पण हवे पू. गुरुदेवश्रीना सदुपदेशनो
निरंतर लाभ लेवा माटे बहारगामना घणा मुमुक्षुओ सोनगढमां घर करीने रह्यां छे.
[] सोनगढमां धर्मस्थानो
सोनगढमां नीचे मुजब धर्मस्थानो छे:
(१) श्री जिनमंदिर:
तेमां भगवान श्री
सीमंधरस्वामी मूळ–
नायकपणे
बिराजमान छे.
तेमनी प्रतिमाजी
अति भव्य अने
भाववाहिनी छे.
मंदिरना उपला
भागमां श्रीनेमनाथ
भगवान बिराजमान
छे. हंमेशां बपोरना
प्रवचन पछी आ
जिनमंदिरमां समूह
भक्ति थाय छे.
श्री जिनमंदिर, धर्मसभा अने स्वाध्याय मंदिर सोनगढ