वीरमगाम अने वढवाण जंकशन थईने,
भावनगर तरफ जतां वच्चे रस्तामां धोळा
जंकशन पछी तरत ज सोनगढ आवे छे. दिल्ही
बाजुथी आवनाराओए वच्चे अमदावाद
जवानी जरूर नथी.
सोनगढ वहेलासर पहोंची शकाय छे.)
कल्याणक भूमि: गीरनार)–ए बंने तीर्थधामो
सोनगढथी बहु नजीक छे, अने ते बंने ठेकाणे
ट्रेईन जाय छे. श्री गीरनारजी तेम ज
शत्रुंजयतीर्थनी यात्राए आवनार जिज्ञासुओए सोनगढनी पण यात्रा करीने, पू. गुरुदेवश्रीना आध्यात्मिक
उपदेशनो तेम ज सोनगढना तीर्थधामोनां दर्शननो लाभ अवश्य लेवो जोईए. आ उपरांत सोनगढथी
भावनगर थईने घोघा बंदरनी यात्रा पण नजीक ज छे. घोघामां घणा प्राचीन दि० जिनप्रतिमाओ बिराजमान
छे. सौराष्ट्रना अनेक शहेरो (–राजकोट, वढवाण, सुरेन्द्रनगर, चोटीला, बोटाद, राणपुर, लाठी, भावनगर,
वींछीया, सावरकुंडला) मां श्री दिगंबर जिनप्रतिमा बिराजमान छे.
‘मोटा आंकडिया’ अने ‘सोनगढ’ ए बंने गामो तद्न जुदां छे; मोटा आंकडियामां तो मात्र ‘आत्मधर्म’
मासिक छपाय छे, पू. गुरुदेवश्रीना सत्समागमनो लाभ लेवा माटे तो सोनगढ ज आववानुं होय छे.
‘आत्मधर्म मासिकना ग्राहक थई जवुं जोईए. ए सिवाय श्री ‘सद्गुरु प्रवचन प्रसाद’ नामनी एक
हस्तलिखित दैनिक प्रत्रिका पण प्रसिद्ध थाय छे, तेमां पू. गुरुदेवश्रीना हंमेशना प्रवचनो प्रसिद्ध थाय छे.
गुरुदेवश्रीनां समयसार उपरनां प्रवचनोनुं ओछामां ओछुं एक पुस्तक तो दरेक जिज्ञासुओए जरूर वांचवुं
जोईए.