Atmadharma magazine - Ank 090
(Year 8 - Vir Nirvana Samvat 2477, A.D. 1951)
(Devanagari transliteration).

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: चैत्र : २४७७ : १२५ :
[] सोनगढ आववानो रेल्वे मार्ग:
सोनगढ ए सौराष्ट्रनुं एक रेल्वे स्टेशन
छे. दिल्ही बाजुथी आवनाराओने महेसाणा,
वीरमगाम अने वढवाण जंकशन थईने,
भावनगर तरफ जतां वच्चे रस्तामां धोळा
जंकशन पछी तरत ज सोनगढ आवे छे. दिल्ही
बाजुथी आवनाराओए वच्चे अमदावाद
जवानी जरूर नथी.
(मुंबईथी भावनगर ‘एरोप्लेन
सरवीस’ चाले छे, ते द्वारा भावनगर थईने
सोनगढ वहेलासर पहोंची शकाय छे.)
[] सोनगढनी आसपासना तीर्थधामो:
पालीताणा (पांडवोनुं मुक्तिधाम:
शत्रुंजय) तेम ज (श्री नेमनाथ प्रभुनी
कल्याणक भूमि: गीरनार)–ए बंने तीर्थधामो
सोनगढथी बहु नजीक छे, अने ते बंने ठेकाणे
ट्रेईन जाय छे. श्री गीरनारजी तेम ज
शत्रुंजयतीर्थनी यात्राए आवनार जिज्ञासुओए सोनगढनी पण यात्रा करीने, पू. गुरुदेवश्रीना आध्यात्मिक
उपदेशनो तेम ज सोनगढना तीर्थधामोनां दर्शननो लाभ अवश्य लेवो जोईए. आ उपरांत सोनगढथी
भावनगर थईने घोघा बंदरनी यात्रा पण नजीक ज छे. घोघामां घणा प्राचीन दि० जिनप्रतिमाओ बिराजमान
छे. सौराष्ट्रना अनेक शहेरो (–राजकोट, वढवाण, सुरेन्द्रनगर, चोटीला, बोटाद, राणपुर, लाठी, भावनगर,
वींछीया, सावरकुंडला) मां श्री दिगंबर जिनप्रतिमा बिराजमान छे.
[] सोनगढ अने मोटा आंकडिया
सोनगढ ए बहु मोटुं शहेर नथी पण नानुं गाम छे...शांतिमय निवृत्तिधाम छे. ‘सोनगढ’ नामना
बीजा पण गामो छे माटे सोनगढ साथे ‘सौराष्ट्र’ लखवुं जरूरी छे. जिज्ञासुओए ए खास ध्यानमां राखवुं के
‘मोटा आंकडिया’ अने ‘सोनगढ’ ए बंने गामो तद्न जुदां छे; मोटा आंकडियामां तो मात्र ‘आत्मधर्म’
मासिक छपाय छे, पू. गुरुदेवश्रीना सत्समागमनो लाभ लेवा माटे तो सोनगढ ज आववानुं होय छे.
[] सोनगढनां प्रकाशनो
‘आत्मधर्म’ नामना मासिकपत्र द्वारा (हिंदी तेम ज गुजराती बंने भाषामां) पू. गुरुदेवश्रीना
आध्यात्मिक प्रवचनोनो सार प्रसिद्ध करवामां आवे छे हजारो वांचको तेनो लाभ ले छे. जिज्ञासुओए
‘आत्मधर्म मासिकना ग्राहक थई जवुं जोईए. ए सिवाय श्री ‘सद्गुरु प्रवचन प्रसाद’ नामनी एक
हस्तलिखित दैनिक प्रत्रिका पण प्रसिद्ध थाय छे, तेमां पू. गुरुदेवश्रीना हंमेशना प्रवचनो प्रसिद्ध थाय छे.
वळी आ संस्था द्वारा उच्च आध्यात्मिक साहित्यनुं प्रकाशन थाय छे; तेमां ‘भगवान श्री कुंदकुंद–कहान
जैन–शास्त्रमाळा’ द्वारा पप प्रकारनां पुस्तको प्रसिद्ध थई गयां छे; तेमांथी केटलांक पुस्तको हिंदीमां पण छे. पू.
गुरुदेवश्रीनां समयसार उपरनां प्रवचनोनुं ओछामां ओछुं एक पुस्तक तो दरेक जिज्ञासुओए जरूर वांचवुं
जोईए.
[] सोनगढमां धार्मिक शिक्षण वर्ग
उनाळानी रजाओ दरमियान विद्यार्थीओने जैन तत्त्वज्ञाननो अभ्यास कराववा माटे दर वर्षे एक ‘जैन