: १२६ : आत्मधर्म : ९०
दर्शन शिक्षण वर्ग’ खोलवामां आवे छे; ते लगभग २५ दिवस चाले छे, ने पछी तेनी परीक्षा लेवामां आवे छे.
आ वर्गमां जुदा जुदा गामना सेंकडो विद्यार्थीओ लाभ ले छे. विद्यार्थीओना भोजन अने पुस्तकोनी व्यवस्था
संस्था तरफथी करवामां आवे छे.
वळी बीजो एक शिक्षण वर्ग प्रौढ वयना गृहस्थोने माटे श्रावण महिनामां खोलवामां आवे छे; ते लग–
२० दिवस चाले छे. तेमां पण बहार गामना अनेक जिज्ञासुओ लाभ ले छे.
[८] सोनगढमां धार्मिक–उत्सवो
सामान्य धार्मिक तहेवारो उपरांत दर वर्षे नीचे जणावेला दिवसोए सोनगढमां खास धार्मिक–उत्सव
उजवाय छे–
फागण सुद २ : जिनमंदिरमां भगवान श्री सीमंधर प्रभुजीनी प्रतिष्ठानो वार्षिक महोत्सव.
वैशाख सुद २ : परम पूज्य सद्गुरुदेव श्री कानजी स्वामीना जन्मदिननो मंगल महोत्सव.
वैशाख सुद ६ : श्री समवसरण मंदिरमां भगवान श्री सीमंधर प्रभुना चौमुख प्रतिमाजीनी तथा श्री
कुंदकुंदाचार्य प्रभुनी प्रतिष्ठानो वार्षिक महोत्सव.
वैशाख वद ८ : श्री जैन स्वाध्याय मंदिरनुं उद्घाटन तथा तेमां श्री समयसारजी परमागमनी
स्थापनानो वार्षिक महोत्सव.
–उपरना दरेक धार्मिक महोत्सवमां भाग लेवा माटे बहार गामथी मोटी संख्यामां जिज्ञासुओ आवे छे.
आत्मिक कल्याणनी भावनावाळा तत्त्वना जिज्ञासुओए सत्समागमनो सीधो लाभ लेवा माटे अवश्य
सोनगढना जागृत तीर्थधामनी मुलाकात लेवी जोईए.
नवतत्त्वो अने धर्म
(१) जीव अने अजीव ए बे मूळ द्रव्यो
अनादि अनंत निज निज स्वरूपे जुदा जुदा छे.
(२) तेओ सर्वथा नित्य नथी पण नित्य–
अनित्यस्वरूप छे.
(३) तेओ वस्तुपणे कायम टकीने पोतानी
अवस्था बदले छे एटले के उत्पाद–व्यय–धु्रवरूप छे.
(४) तेमां जीव ज्यारे परना आश्रये ऊपजे
छे त्यारे तेनी पर्यायमां पुण्य–पाप–आस्रव ने बंधनी
उत्पत्ति थाय छे.
(प) जीव ज्यारे स्वभावनो आश्रय करीने
ऊपजे छे त्यारे संवर–निर्जरा ने मोक्षनी उत्पत्ति थाय छे.
जोया.
(८) दिव्यध्वनि द्वारा ते नवतत्त्वो कहेवाया.
(९) यथार्थ श्रोताओ ते नवतत्त्वनुं स्वरूप
समजीने पोताना स्वभाव तरफ वळ्या.
(१०) स्वभाव तरफ वळतां तेमनी
पर्यायमांथी पुण्य–पाप आस्रव ने बंधरूप विकारी
तत्त्वोनो अभाव थवा लाग्यो ने संवर–निर्जरा तथा
मोक्षरूप निर्मळ तत्त्वोनी उत्पत्ति थवा लागी. आनुं
नाम धर्म छे ने आ ज हितनो उपाय छे.
ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा
फागण सुद २ ना मंगल दिने ध्रांगध्राना शाह
छोटालाल डामरदास तथा तेमना धर्मपत्नी मोतीबेन–
ए बंनेए, तेम ज अमरेलीना देसाई प्राणलाल
रामजी तथा तेमना धर्मपत्नी हेमकुंवरबेन ए बंनेए,
पू. गुरुदेवश्री पासे आजीवन ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा
अंगीकार करी छे. ते बदल तेमने धन्यवाद!
ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा
फागण वद २ ने रविवारना रोज वींछीयाना
शेठ मणीलाल वालजीभाई तथा तेमना धर्मपत्नी
व्रजकुंवर बेन ए बंनेए सजोडे आजीवन ब्रह्मचर्य
प्रतिज्ञा पू. गुरुदेवश्री पासे धारण करी छे; ते माटे
तेमने धन्यवाद!