Atmadharma magazine - Ank 091
(Year 8 - Vir Nirvana Samvat 2477, A.D. 1951)
(Devanagari transliteration).

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(अनुसंधान टाईटल पान ४थी चालु)
(३) मोक्षमार्ग प्रकाशक नां किरणो
पं. टोडरमल्लजी कृत मोक्षमार्ग प्रकाशकना पहेला छ अध्याय उपरनां पू. गुरुदेवश्रीना प्रवचनोनो
केटलोक सार आमां प्रसिद्ध करवामां आव्यो छे. तद्न नवा अभ्यासीने पण अनुकूळ पडे तेवुं आ पुस्तक छे. पू.
गुरुदेवश्रीनी चमकदार वाणीमांथी लेवायेला विधविध प्रकारना १६३ लेखोथी आ पुस्तक एक सुंदर पाठय
पुस्तक जेवुं बनी गयुं छे. तद्न नवी शरूआतवाळा के अभ्यासी, सर्वे जिज्ञासुओए आ पुस्तकनो अभ्यास
करवा जेवो छे. पृ. २०० किंमत : ०–१२–०
[हिंदीमां पण आ पुस्तक छपायुं छे. तेनी किंमत १–६–० छे.]
(४) सम्यग्दर्शन
अनंतकाळथी कदी एक सेकंड पण प्राप्त नहि करेल एवुं अपूर्व सम्यग्दर्शन,–के जेने एक सेकंड मात्र पण
धारण करे तो जीवना अनंत जन्म–मरणनो नाश थई जाय, तेने प्रगट करवानी रीत बतावनारां जुदा जुदा
प्रवचनोनो संग्रह आ पुस्तकमां छे. सम्यग्दर्शन शुं चीज छे ने केटलो अपूर्व तेनो महिमा छे–ए वात समजवा
माटे आ पुस्तक अति उपयोगी छे. ऊंडा जिज्ञासुओए जरूर स्वाध्याय करवा योग्य छे. पृ. २१७ किंमत १–४–०
(हिंदीमां पण छपाय छे.)
(प) मुक्तिनो मार्ग
दरेक जैनोए जरूर वांचवा योग्य छे. साचुं जैनत्व क्यारे कहेवाय? पोताने ‘जैन’ एटले के ‘जिनेन्द्रनो
भक्त’ कहेवडावनारनी जवाबदारी केटली?–ए वात पू. गुरुदेवश्रीनी तेजस्वी वाणी द्वारा आ पुस्तक दर्शावे छे.
आ पुस्तक घणुं ज सहेलुं छे, कोई पण प्राथमिक अभ्यासी सहेलाईथी वांची–समजी शके तेवुं छे. बीजी आवृत्ति
पृ. ७६ किंमत ०–९–०
[हिंदीमां पण छपायुं छे. किंमत ०–१०–० छे.]
उपरना बधा गुजराती पुस्तकोनी एकंदर किंमत २०–१–० थाय छे. आ बधां (नव) पुस्तकोनो सेट
एक साथे खरीदी करनारने मात्र रूा. १६–०–० मां आपवामां आवशे. आ योजनानो लाभ लेनार ‘आत्म–
धर्मनो ग्राहक होवो जोईए. एक साथे पांच सेट खरीद करनारने रूा. ७५–०–० मां आपवामां आवशे.
आ शास्त्रोद्वारा पवित्र तत्त्वज्ञानना अभ्यास वडे जिज्ञासुओ पोताना जीवननी पळोने सफळ बनावो.
श्री जैन स्वाध्याय मंदिर सोनगढ (सौराष्ट्र)
आत्मधर्मना अंक ८९ तथा ९० मां केटलीक अशुद्धिओ रही गयेली छे, तेमांथी केटलीकनुं शुद्धिपत्रक अहीं
आपवामां आव्युं छे; ते मुजब सुधारी लेवा जिज्ञासु वाचकोने विनंति छे.
पृष्ठ–कोलम–लाईन......... अशुद्ध................................ शुद्ध
१०२–हेडींग–३................ वीर सं. २४७६.................... वीर सं. २४६७
१०४–१–८..................... ओळखाण अहितनी............. ओळखाण सहितनी
१०६–१–३४................... वैशाख सुद ६ समे................ वैशाख सुद दसमे
११०–२–९...................... एम साधारण...................... अमे साधारण
११३–२–१२.................... पुण्य तो धोया छे................. पुण्य तो थोथां छे
११५–१–१९.................... जेने गोठव्युं छे..................... जेने गोठयुं छे
११६–१–१८.................... जे द्वीपमां जे श्री................... जे द्वीपमां श्री
१२०–छेल्ली कडी.............. नित्य वहुंती........................ नित्ये वहंती
१२२–२–२३.................... विकारी तत्त्वोनो स्वभाव...... विकारी तत्त्वोनो अभाव
१२६–२–४...................... वैशाख सुद ६...................... वैशाख वद ६
१३४–१–२८.................... वैशाख वद १ सुधी............... वैशाख वद अमास सुधी
१३४–२–३८.................... तैयार छे............................. तैयार थया छे.
१४०–१–७...................... सत्पुरुषना..... अंतर्मंथन.......सत्पुरुषना वचनोनुं अंतर्मंथन
१४०–२–१३.................... गाथा २३ थी २८................. गाथा २३ थी ६८