पं. टोडरमल्लजी कृत मोक्षमार्ग प्रकाशकना पहेला छ अध्याय उपरनां पू. गुरुदेवश्रीना प्रवचनोनो
पुस्तक जेवुं बनी गयुं छे. तद्न नवी शरूआतवाळा के अभ्यासी, सर्वे जिज्ञासुओए आ पुस्तकनो अभ्यास
करवा जेवो छे. पृ. २०० किंमत : ०–१२–०
अनंतकाळथी कदी एक सेकंड पण प्राप्त नहि करेल एवुं अपूर्व सम्यग्दर्शन,–के जेने एक सेकंड मात्र पण
प्रवचनोनो संग्रह आ पुस्तकमां छे. सम्यग्दर्शन शुं चीज छे ने केटलो अपूर्व तेनो महिमा छे–ए वात समजवा
माटे आ पुस्तक अति उपयोगी छे. ऊंडा जिज्ञासुओए जरूर स्वाध्याय करवा योग्य छे. पृ. २१७ किंमत १–४–०
(हिंदीमां पण छपाय छे.)
दरेक जैनोए जरूर वांचवा योग्य छे. साचुं जैनत्व क्यारे कहेवाय? पोताने ‘जैन’ एटले के ‘जिनेन्द्रनो
आ पुस्तक घणुं ज सहेलुं छे, कोई पण प्राथमिक अभ्यासी सहेलाईथी वांची–समजी शके तेवुं छे. बीजी आवृत्ति
पृ. ७६ किंमत ०–९–०
धर्मनो ग्राहक होवो जोईए. एक साथे पांच सेट खरीद करनारने रूा. ७५–०–० मां आपवामां आवशे.
१०४–१–८..................... ओळखाण अहितनी............. ओळखाण सहितनी
१०६–१–३४................... वैशाख सुद ६ समे................ वैशाख सुद दसमे
११०–२–९...................... एम साधारण...................... अमे साधारण
११३–२–१२.................... पुण्य तो धोया छे................. पुण्य तो थोथां छे
११५–१–१९.................... जेने गोठव्युं छे..................... जेने गोठयुं छे
११६–१–१८.................... जे द्वीपमां जे श्री................... जे द्वीपमां श्री
१२०–छेल्ली कडी.............. नित्य वहुंती........................ नित्ये वहंती
१२२–२–२३.................... विकारी तत्त्वोनो स्वभाव...... विकारी तत्त्वोनो अभाव
१२६–२–४...................... वैशाख सुद ६...................... वैशाख वद ६
१३४–१–२८.................... वैशाख वद १ सुधी............... वैशाख वद अमास सुधी
१३४–२–३८.................... तैयार छे............................. तैयार थया छे.
१४०–१–७...................... सत्पुरुषना..... अंतर्मंथन.......सत्पुरुषना वचनोनुं अंतर्मंथन
१४०–२–१३.................... गाथा २३ थी २८................. गाथा २३ थी ६८