जेमणे अनेक सुमुमुक्षुओ
अने भ्रष्ट थता अनेक
जीवोने वात्सल्यपूर्वक
फरी सन्मार्गमां द्रढपणे
स्थापित कर्या छे.....एवा
आ त्रिकाल मंगळस्वरूप
पवित्र आत्मा पू.
गुरुदेवना पुनति
शरणमां रहीने अपूर्व
करतां मुमुक्षुजनोनां हैया
आनंदथी अति उल्लसित
थाय छे अने शिर
तेओश्रीना चरणमां झूकी
जाय छे.
जीवोना हृदयना आराम
छो.....ऊंडा ऊंडा अंधारे
भटकता अनेक जिज्ञासु
जीवोने कल्याणमार्गनी
केडी आपना ज पुनित
प्रतापे सांपडी छे....अम–
मुमुक्षुओना जीवनमां
आपनो परम उपकार
छे... सर्व मंगल प्रसंगोमां
छे....आप अमारा
आत्मउद्धारक छो...तेथी
अमारा अंतरमांथी
पोकार ऊठे छे के–
(२) चालो! ए चैतन्यभानुना दिव्य तेजने झीलीने अज्ञान–अंधकारने मिटावीए...
(३) चालो! ए चैतन्यभानुना दिव्य प्रतापने झीलीने भवसमुद्रने सूकवी नाखीए...
(४) चालो! ए चैतन्यभानुना दिव्य प्रकाशमां मुक्तिमार्गे गमन करीए...
(५) चालो! ए चैतन्यभानुथी जैनशासनने दीपावीए......