अंशने ज वस्तु मानी लीधी ने अंशीने न मान्यो तो द्रव्य क्षणिक थई जशे. माटे वस्तु ज ध्रुव नथी पण वस्तुनो
एक अंश ध्रुव छे.
छे; पण ते उत्पाद अने व्यय बंनेनो काळ एक ज छे. जे वखते जे पर्यायनो व्यय छे ते वखते ते पर्यायनो
उत्पाद नथी अने जे वखते जे पर्यायनो उत्पाद छे ते ज वखते ते पर्यायनो व्यय नथी. एकनो व्यय ने बीजानो
उत्पाद, बीजानो व्यय ने त्रीजानो उत्पाद,–ए प्रमाणे होवाथी ते क्रमे थता भावो छे. ज्यारे बीजनो व्यय थाय
त्यारे अंकुरनो उत्पाद थाय छे, माटे बीज अने अंकुर ते क्रमे थता भावो छे; तेना वगर वृक्षनी ध्रुवता रहे नहि.
उत्पाद–व्यय वगर क्रमे थता भावो बनी शके नहि ने क्रमे थता भावो वगर द्रव्यनुं अस्तित्व रही शके नहि. जेणे
द्रव्यने ज एकलुं ध्रुव मानी लीधुं तेने द्रव्यमां पूर्व पर्यायनो व्यय ने पछीनी पर्यायनो उत्पाद–एवा क्रमे थता
भावो रहेता नथी. पूर्वनो व्यय अने पछीनो उत्पाद–एवा क्रमे थता भावो वगर एनुं ध्रुव तत्त्व क्यां टकशे?
एटले तेने ध्रुवद्रव्यनो ज अभाव थई जशे; अथवा तो तेना मतमां द्रव्य क्षणिक ज थई जशे.–ए रीते द्रव्यनुं ज
ध्रुव मानवामां पण दोष आवे छे. ध्रुवता द्रव्यनी ज नथी पण द्रव्यना टकता अंशनी ध्रुवता छे.
उत्पाद–व्यय ने ध्रुव ए त्रणेने एक साथे न मानतां एकला उत्पादने, व्ययने के ध्रुवने ज माने तो शा
(२) जो द्रव्यनो ज व्यय मानी ल्यो तो उत्पाद अने ध्रुवनो समावेश द्रव्यमां थाय नहि अने दोष आवी पडे.
(३) जो द्रव्यने ज ध्रौव्य मानी ल्यो तो उत्पाद अने व्ययनो समावेश द्रव्यमां थाय नहि अने दोष आवी पडे.
पोते ज नाश पामतुं नथी अने द्रव्य पोते ज ध्रुव रहेतुं नथी, पण तेना अंशनो उत्पाद छे, अंशनो व्यय छे ने
अंशनी ध्रुवता छे. एटले ते उत्पाद–व्यय ने ध्रुव अंशोनां (–पर्यायोनां) छे, ने ते पर्यायो द्रव्यना छे. आथी बधुं
य एक ज द्रव्य छे.