Atmadharma magazine - Ank 093
(Year 8 - Vir Nirvana Samvat 2477, A.D. 1951)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 16 of 21

background image
अषाढ: २४७७ : १९५:
श्री सनातन जैन शिक्षणवर्ग
विद्यार्थीओने उनाळानी रजाओ दरमियान ता. ११–प–प१ वैशाख सुद पांचमथी ता. ४–६–प१ वैशाख
वद अमास सुधी सोनगढमां श्री जैन स्वाध्याय मंदिर तरफथी जैनदर्शन शिक्षणवर्ग खोलवामां आव्यो हतो. सं
१९९७ थी मांडीने दर वर्षे आवो शिक्षणवर्ग खोलवामां आवे छे. वचमां त्रण वखत पू. गुरुदेवश्री विहारमां
होवाथी ए वर्ग खोलायो न हतो; ए रीते ‘शिक्षणवर्ग’ नुं आ आठमुं वर्ष हतुं. आ वर्गमां आवेला बाळकोने
श्री जैनसिद्धांत प्रवेशिकानो एक अध्याय तथा छहढाळानी पहेली बे ढाळ शीखववामां आवी हती. ता. २–६–
प१ ना रोज वर्गनी लेखित परीक्षा लेवामां आवी हती, ने विद्यार्थीओने लगभग १प० रूा. नां पुस्तको ईनाम
तरीके वहेंचाया हता. तथा पास थयेला विद्यार्थीओने श्री जैन स्वाध्याय मंदिर तरफथी छापेला सर्टिफिकेट
आपवामां आव्या हता. परीक्षामां विद्यार्थीओने पूछायेला प्रश्नो अने तेना जवाबो अहीं आपवामां आवे छे:–
प्रश्न: १
नीचेना कोई पण एक विषय उपर लगभग २० लीटीनो निबंध लखो–
(१) संसारमां परिभ्रमण करतो जीव शा कारणे अनंत दुःख भोगवे छे?
(२) पुण्य अने धर्म.
[आ प्रश्नना उत्तररूपे प्राप्त थयेला निबंधो आ अंकमां अन्यत्र छपाया छे, त्यांथी वांची लेवा.]
प्रश्न: २
() सात तत्त्वोनां नाम लखी आस्रव अने निर्जरा तत्त्वनी बाबतमां मिथ्याद्रष्टि शी भूल करे छे ते लखो.
() आत्मानुं स्वरूप सुखरूप छे अने ते समजवुं सहेलुं छे छतां तेने कष्टदायक अने समजवुं कठण कोण माने
छे? अने ते क्या तत्त्वनी भूल करे छे?
(ग
भूल छे?
उत्तर: २
() जीव, अजीव, आस्रव, बंध, संवर, निर्जरा अने मोक्ष–ए सात तत्त्वो छे. तेमां मिथ्याद्रष्टि जीव
आस्रवतत्त्व बाबतमां ए भूल करे छे के–मिथ्यात्व अने राग–द्वेषादि आस्रव भावो प्रगटपणे जीवने दुःख
देनार होवा छतां तेने सुखरूप मानीने तेनुं सेवन करे छे. पुण्य ते आस्रवरूप होवा छतां तेने ते धर्मनुं
कारण माने छे. तथा आत्मभानपूर्वक ईच्छानो निरोध ते तप छे, तेनाथी निर्जरा थाय छे, ते सुखरूप
होवा छतां अज्ञानी तेने कलेशरूप माने छे अने पांच ईन्द्रियविषयोमां प्रीति करे छे, –आ निर्जरातत्त्वनी
भूल छे.
() आत्मानुं स्वरूप समजवुं सहेलुं अने सुखरूप होवा छतां अज्ञानी तेने कठण अने दुःखरूप माने छे; तेमां
ते संवरतत्त्वनी भूल करे छे.
() शरीरने अनुकूळता थतां ‘हुं सुखी छुं’ ने प्रतिकूळता थतां ‘हुं दुःखी छुं’ एम अज्ञानी जीव माने छे अने ते
जीवतत्त्वनी भूल करे छे. केम के जीव तो चैतन्यमय अमूर्तिक छे, ते देहथी जुदो छे, तेने ते जाणतो नथी.
प्रश्न: ३
() पर्यायनी व्याख्या लखो ने तेना क्या क्या चार प्रकार छे ते लखो?