Atmadharma magazine - Ank 093
(Year 8 - Vir Nirvana Samvat 2477, A.D. 1951)
(Devanagari transliteration).

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: १९६: आत्मधर्म: ९३
() ते चार प्रकारमांथी (१) संसारी रागी जीवने, (२) अर्हंत भगवानने तथा (३) एक छूटा परमाणुने
क्या क्या पर्यायो होय छे?
() महावीर भगवानना पर्यायोने सीमंधर भगवानना तथा ऋषभदेव भगवानना पर्यायो साथे सरखावो.
उत्तर: ३
() गुणना विकारने (एटले के विशेषकार्यने) पर्याय कहे छे. पर्यायना चार प्रकार: १–स्वभाव अर्थपर्याय
२–विभावअर्थपर्याय; ३–स्वभाव व्यंजनपर्याय अने ४–विभावव्यंजनपर्याय.
() संसारी अज्ञानी जीवने विभावअर्थपर्याय तथा विभावव्यंजनपर्याय होय छे.
अर्हंत भगवानने स्वभावअर्थपर्याय, विभाव अर्थपर्याय तथा विभावव्यंजनपर्याय होय छे.
एक छूटा परमाणुने स्वभावअर्थपर्याय ने स्वभावव्यंजनपर्याय होय छे.
() महावीर भगवान सिद्ध छे, तेमने स्वभावअर्थपर्याय तथा स्वभावव्यंजनपर्याय छे. सीमंधर भगवान
अर्हंत छे, तेमना ज्ञान वगेरे गुणना स्वभावअर्थपर्याय छे ते तो महावीर भगवान जेवा ज छे, पण
तेमने बीजा केटलाक गुणना विभावअर्थपर्यायो पण छे, तथा विभावव्यंजनपर्याय छे. महावीर
भगवानने विभावपर्यायो नथी.
महावीर भगवान अने ऋषभदेव भगवान–ए बंनेना स्वभावअर्थपर्यायो तो सरखा ज छे, पण तेमना
स्वभावव्यंजनपर्यायनी आकृतिमां एटलो फेर छे के महावीर भगवाननी आकृति नानी छे ने ऋषभदेव
भगवाननी आकृति मोटी छे.
प्रश्न: ४
() वर्तमान काळे आ भरतक्षेत्रमां जन्मेला जीवने सळंग क्या क्या शरीरो रह्यां छे?
() माताना उदरमां आवेल जीवने क्या शरीरो ऊपजतां नथी?
() गृहीत अने अगृहीत मिथ्यादर्शनमां तफावत शो?
उत्तर: ४
() वर्तमानकाळे आ भरतक्षेत्रमां जन्मेला जीवने कार्मण अने तैजस ए बे शरीरो सळंग रह्यां छे.
() माताना उदरमां आवेल जीवने कार्मण अने तैजस ए बे शरीरो नवां ऊपजतां नथी; तेम ज आहारक
अने वैक्रियिक शरीरो पण ऊपजतां नथी.
() गृहीत मिथ्यादर्शन तो कुगुरु वगेरेना उपदेशथी, जन्म्या पछी नवुं ग्रहण करेलुं छे, अने अगृहीत
मिथ्यादर्शन कोईना उपदेश वगर अनादिथी चाल्युं आवे छे. गृहीत मिथ्यादर्शन तो जीवे पूर्वे छोड्युं पण
छे पण अगृहीत मिथ्यादर्शन अज्ञानी जीवे कदी छोड्युं नथी. गृहीत मिथ्यादर्शन छूटवा छतां अगृहीत
मिथ्यादर्शन रही जाय छे; अगृहीत मिथ्यादर्शन छूटे तेने गृहीत मिथ्यादर्शन पण छूटी ज जाय छे.
एकवार पण अगृहीत मिथ्यादर्शन छोडे तो जीवनी मुक्ति थया वगर रहे नहि. पोताना आत्माना
स्वरूप संबंधी भूल ते अगृहीत मिथ्यादर्शन छे अने देवगुरुशास्त्रना स्वरूपसंबंधी भूल ते गृहीत
मिथ्यादर्शन छे.
प्रश्न: प
नीचेना प्रश्नोना जवाब लखी तेनां कारणो आपो–
(१) पैसा वडे धर्म थाय?
(२) सिद्ध परमात्माने आकार होय?