Atmadharma magazine - Ank 093
(Year 8 - Vir Nirvana Samvat 2477, A.D. 1951)
(Devanagari transliteration).

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अषाढ: २४७७ : १९७:
(३) आकाशना कटका थई शके?
(४) धर्मास्तिकाय गति करी शके?
(प) तमे क्षमा करी शको छो?
(६) अलोकाकाशमां परिणमन हेय?
उत्तर: प
(१) पैसा वडे धर्म न थाय; केम के पैसा तो जड छे ने धर्म तो आत्मानी शुद्ध पर्याय छे.
(२) सिद्ध परमात्माने आकार होय छे; केम के तेमनामां प्रदेशत्त्व गुण छे, प्रदेशत्त्वगुणने लीधे द्रव्यनो कोई ने
कोई आकार जरूर होय छे.
(३) आकाशना कटका न थई शके; केम के ते सर्वव्यापी एक अखंड द्रव्य छे.
(४) धर्मास्तिकाय पोते गति न करी शके, केम के तेनामां तेवी क्रियावती शक्ति नथी. गति तो जीव अने
पुद्गल ए बे द्रव्यो ज करी शके छे. ते गति करतां द्रव्योने धर्मास्तिकाय निमित्त थाय एवो
गतिहेतुत्त्वगुण तेनामां छे पण ते पोते तो सदा स्थिर ज रहे छे.
(प) आत्मा क्षमा करी शके छे, केम के तेनामां चारित्र नामनो गुण छे.
(६) अलोकाकाशने पण परिणमन होय छे, केम के आकाशमां द्रव्यत्वगुण छे, तेथी तेनी हालत सदाय बदलाया
करे छे.
प्रश्न: ६ (१)
एक भाईए कह्युं के ‘श्रीगुरुए ईच्छा थई ने तेमना मुखमांथी वाणी नीकळी, तेनुं श्रवण करीने मारुं
मिथ्याज्ञान टळीने मने सम्यग्ज्ञान थयुं ने भविष्यमां उग्र पुरुषार्थ करीने हुं केवळज्ञान प्राप्त करीश.’
उपरना वाक्यमांथी नीचे लखेला बोलो वच्चे चार प्रकारना अभावमांथी क्यो अभाव लागु पडे छे ते
लखीने तेनुं कारण जणावो–
(१) श्रीगुरुनी ईच्छा अने वाणी
(२) मुख अने वाणी
(३) तेमनी वाणी अने मारुं सम्यग्ज्ञान
(४) मारुं सम्यग्ज्ञान अने मिथ्याज्ञान
(प) मारुं सम्यग्ज्ञान अने केवळज्ञान.
उत्तर: ६ (१)
(१) श्रीगुरुनी ईच्छा अने वाणी वच्चे अत्यंत अभाव छे, केम के ईच्छा ते जीवनी पर्याय छे ने वाणी ते
अजीवनी पर्याय छे; जीव अने अजीवनी पर्यायनो एकबीजामां अत्यंत अभाव छे.
(२) मुख अने वाणी वच्चे अन्योन्य अभाव छे; केम के ते बंने पुद्गलनी पर्यायो छे. एक पुद्गलनी वर्तमान
पर्यायनो बीजा पुद्गलनी वर्तमान पर्यायमां अभाव होय तेने अन्योन्य अभाव कहे छे.
(३) श्रीगुरुनी वाणी अने मारा सम्यग्ज्ञान वच्चे अत्यंत अभाव छे; केम के वाणी जडनी पर्याय छे ने
सम्यग्ज्ञान ते आत्मानी पर्याय छे. जड अने चेतननी पर्यायोनो एकबीजामां अत्यंत अभाव छे.
(४) मारी सम्यग्ज्ञानरूप वर्तमान पर्यायनो पूर्वनी मिथ्याज्ञान पर्यायमां अभाव ते प्राक्अभाव छे; केम के
एक द्रव्यनी वर्तमान पर्यायनो तेनी पूर्व पर्यायमां अभाव ते प्राक्अभाव छे.
(प) मारी वर्तमान सम्यग्ज्ञान पर्यायनो भविष्यनी केवळज्ञान पर्यायमां अभाव छे ते प्रध्वंसअभाव छे; केम
के एक द्रव्यनी वर्तमान पर्यायनो तेनी भविष्यनी पर्यायमां अभाव ते प्रध्वंसअभाव छे.
प्रश्न: ६ (२)
(१) भाषावर्गणा अने वाणी (शब्दो) मां, तथा
(२) मिथ्याज्ञान अने सम्यग्ज्ञानमां उत्पाद्–व्ययध्रौव्य समजावो.
उत्तर: ६ (२)
(१) भाषावर्गणा अने वाणी ते बंने पुद्गलद्रव्यनी पर्यायो छे; ज्यारे भाषावर्गणा पलटीने वाणी थाय छे
त्यारे ते पुद्गलमां वाणीरूप पर्यायनो