Atmadharma magazine - Ank 093
(Year 8 - Vir Nirvana Samvat 2477, A.D. 1951)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 3 of 21

background image
सुवर्णपुरी समाचार
(सोनगढ : जेठ वद ८)

• परम पूज्य गुरुदेवश्री सुखशांतिमां बिराजे छे.
• हाल सवारे प्रवचनमां श्रीप्रवचनसारजी वंचाय छे; तेमां छेल्ला भागमां वर्णवेल ४७ नयोनुं स्वरूप
वंचाय छे. थोडा दिवसोमां श्री प्रवचनसार पूरुं थशे; त्यारपछी श्रीकार्तिकेयानुप्रेक्षा प्रवचनमां वंचाशे.
कार्तिकेयानुप्रेक्षा बे हजार वर्ष करतां य वधारे पुराणुं शास्त्र छे. अने तेमां बार वैराग्य भावनाओनुं उत्तम
वर्णन छे.
• बपोरना प्रवचनमां श्री समयसारजी (नवमी वखत) वंचाय छे; तेमां हाल निर्जरा अधिकार वंचाय
छे. आ उपरांत भक्ति, रात्रिचर्चा वगेरे कार्यक्रम हंमेश मुजब चाले छे.
• हाल प्रेसमां मुख्य श्री नियमसार शास्त्र अक्षरश: गुजराती अनुवाद सहित छपाय छे. अनुवादकार्य
थोडा वखतमां पूरुं थशे. आ शास्त्रनी १८७ गाथाओ छे, तेमांथी लगभग १प० गाथाओ छपाई गई छे.
भादरवा सुद पांचम दरमियान आ पवित्र शास्त्रनुं प्रकाशन थई जशे–एवो संभव छे.
आ सिवाय समयसार–प्रवचनो (बंध अधिकार) छपाय छे ते थोडा वखतमां प्रसिद्ध थशे.
पंचकल्याणक–प्रवचनो छपाई गया छे ते पण बंधाईने थोडा वखतमां प्रसिद्ध थशे. आ पुस्तक सचित्र छे.
नियमसार–प्रवचनो (शुद्धभाव अधिकार) छपाईने प्रसिद्ध थई गयेल छे, तेनी किंमत १–१०–० छे.
ब्रह्मचर्य–प्रतिज्ञा
वैशाख वद आठमना मंगल दिने बरवाळाना भाईश्री चीमनलाल भाईलाल तथा तेमना धर्मपत्नी
प्रभावतीबेन–ए बंनेए सजोडे पू. गुरुदेवश्री पासे आजीवन ब्रह्मचर्यप्रतिज्ञा अंगीकार करी छे; ते माटे तेमने
धन्यवाद!
सुधारो: आत्मधर्म अंक ९२
आत्मधर्म अंक ९२ पृष्ठ १७७ पहेली कोलमनी लाईन १–२मां–‘आत्माने लक्षे विकार पण छे’ एम
छपाई गयुं छे तेने बदले ‘आत्माने परलक्षे विकार पण छे’ एम सुधारीने वांचवुं.
चैतन्यतत्त्वनो महिमा अने दुर्लभता
अहो, आत्माना शुद्धस्वभावनी अत्यंत महिमावाळी वात जीवोए यथार्थपणे कदी सांभळी नथी.
अत्यारे चैतन्यतत्त्वना महिमानी साची वात सांभळवा मळवी पण घणी दुर्लभ थई पडी छे. जे जीव घणो
जिज्ञासु ने घणो लायक थईने आत्मस्वभावनी आ वात सांभळे तेनुं कल्याण थई जाय तेम छे.
–प्रवचनमांथी