प्राप्ति थई नथी. पूर्वे आत्मानी प्राप्ति न थई ते काळ तो वीती गयो, पण हवे तेनुं भान करीने पर–मात्मदशानी
प्राप्ति कई रीते थाय तेनी आ वात चाले छे. लोको पण कहे छे के ‘जाग्या त्यांथी सवार. ’ तेम आत्मानुं भान
ज्यारे पोते करे त्यारे थाय छे. तेमां पूर्वनो काळ नडतो नथी.
कांई लाभ–नुकशान करे एम बनी शके नहि. वर्तमान दशामां परम–आनंदनो अभाव छे अने विकारदशा प्रगट
छे ते ज संसार छे. शरीरादि परनो आत्मामामां अभाव छे, तेथी तेनी क्रियावडे आत्मामां कांई भाव थाय–एम
नथी. अभावमांथी भाव केम थाय?
संगथी संसार छे. स्वभावनो संग (–स्वभावनो आश्रय) करे तो तेमां परना संगनी (परना आश्रयनी)
नास्ति छे. परनो आश्रय छोडीने पोतानो आश्रय क्यारे करे? के परथी पोतानी भिन्नता जाणे त्यारे. मारा स्व
चतुष्टयथी मारी अस्ति छे ने परना स्वचतुष्टयथी तेनी अस्ति छे, परना चतुष्टयमां मारी नास्ति छे ने मारा
चतुष्टयमां परनी नास्ति छे.
ने परथी नास्ति छे, एटले के पर्याय स्वतंत्र छे तेमां कोई बीजानी असर नथी.
भोंकायो माटे दुःख थयुं’ पण खरेखर वस्तुस्वभाव तेम नथी. शरीरनी अवस्था शरीरमां, छरानी अवस्था
छरामां अने दुःखरूप आत्मानी अवस्था आत्मामां. छराने लईने शरीरनी अवस्था थती नथी ने शरीर छेदायुं
तेने लीधे आत्मानी दुःख अवस्था थई नथी. दरेकनी अवस्था पोतपोताना स्वकाळथी स्वतंत्र छे. नास्तिधर्मने
यथार्थ समजे तो तेमां आ बधा न्याय भेगा आवी जाय छे.
नास्तिरूप छे; तेम आत्मा पोताना चतुष्टयथी अस्तिरूप छे अने ते ज परवस्तुना द्रव्य–क्षेत्र–काळ–भावथी
नास्तिरूप छे. बीजा आत्मानी अपेक्षाए बीजा आत्माओ छे, पण एक आत्मानी अपेक्षाए बीजा बधा
आत्माओ ‘अनात्मा’ छे, तो एक आत्मा बीजा आत्माने शुं करे? नास्तित्व एटले अभाव; एकमां बीजानो
अभाव छे. जेमां जेनो अभाव होय तेमां ते शुं करे? ‘अभाव’ कांई न करी शके. जेम ससलाना शींगडानो
जगतमां अभाव छे तो ते लागे अने गूमडुं थाय एम कदी बने नहि. तेम परमां आत्मानो अभाव छे तो
आत्मा परमां शुं करे? ने परवस्तु आत्माने शुं करे? सिद्ध भगवानथी मांडीने निगोद सुधीना बधाय जीवो
पोतपोताना द्रव्य–क्षेत्र–काळ–भावथी छे ने परथी नथी. आवुं वस्तुस्वरूप जाण्या वगर सम्यग्ज्ञान के
सम्यग्दर्शन थाय नहि. सम्यग्दर्शननो विषय तो हजी घणो सूक्ष्म छे. पहेलांं परथी भेदज्ञान कर्या वगर अंतरना
सूक्ष्म रागादि भावोथी स्वभावनुं भेदज्ञान कई रीते करशे?
स्वभावनी अंतर्द्रष्टिथी एम समजे के आ रागनुं अस्तित्व तो मात्र एक समय पूरतुं छे ने मारा स्वभावनुं
अस्तित्व त्रिकाळ छे, मारो त्रिकाळी स्वभाव राग पूरतो नथी, मारा त्रिकाळी स्वभावमां एक समयना रागनुं