आत्मामां त्रिकाळ छे. आवी अनंतशक्तिओथी अभेदरूप आत्माने प्रतीतमां लेवो ते प्रथम धर्म छे.
टकवा माटे कोई बीजानो आधार राखती नथी तेम परिणमवा माटे पण कोई बीजानो आधार राखती नथी.
अहीं आत्मानी शक्तिओना वर्णनमां परनी अने विकारनी उपेक्षा छे.
वर्तमान अवस्थानी रचना थाय तेमां ते अवस्थानुं स्वतंत्र सामर्थ्य छे, अवस्थानी रचना करे एवुं अवस्थानुं
वीर्य छे, त्रिकाळी वीर्यशक्तिना वर्तमान परिणमनमां ज वर्तमान अवस्थानी रचना करवानुं सामर्थ्य छे. जे
आम स्वीकारे तेनी द्रष्टि त्रिकाळीतत्त्व उपर जाय छे केमके वीर्यशक्ति एकली पर्याय जेटली नथी पण द्रव्य–गुण–
पर्याय त्रणेमां ते रहेली छे.
पुरुषार्थ नथी एम जे कहे छे तेणे मोक्षमार्गमां आत्मा ज नथी–एम मान्युं. केम के ज्यां पुरुषार्थ नथी त्यां
आत्मा ज नथी. अनंत शक्तिमांथी एक पण शक्तिने जो न माने तो तेणे आत्माने ज मान्यो नथी. एक
शक्तिनो निषेध करतां शक्तिमान् एवा आखा आत्मानो ज निषेध थई जाय छे. जो वीर्य–पुरुषार्थ न होय तो
मोक्षमार्गनी रचना कोण करे? स्वरूपनी रचनानुं सामर्थ्य तो वीर्यशक्तिमां छे. वळी जे पुरुषार्थने नथी मानतो
तेणे खरेखर सर्वज्ञने पण नथी मान्या; केम के सर्वज्ञ भगवाने तो मोक्षमार्गमां पुरुषार्थनुं परिणमन पण भेगुं
ज जोयुं छे, तेने जे न माने तेणे सर्वज्ञना ज्ञानने खरेखर कबूल्युं ज नथी, सर्वज्ञदेवनी ‘सर्वज्ञता’ नो निर्णय
करनारी पोतानी पर्यायमां पण अनंतो सम्यक्पुरुषार्थ रहेलो छे. जे जीवने पोतानो सम्यक्पुरुषार्थ नथी भासतो
ते जीवे सर्वज्ञने कबूल्या नथी. तेम ज पुरुषार्थवंत एवा पोताना आत्माने पण तेणे कबूल्यो नथी, ते तो
नास्तिक जेवो मिथ्याद्रष्टि छे.
जीव! तारी अनंतशक्तिओ तारा आत्माना ज आश्रये परिणमी रही छे, माटे तुं तारा आत्मा सामे ज जो.
आत्मानी सन्मुख जोतां तारी बधी शक्तिओ निर्मळपणे खीली जशे.
समय पूरतो विकार ते तो कृत्रिम अटकतो भाव छे, विकारनी उत्पत्ति करे एवुं वीर्यशक्तिनुं स्वरूप नथी. जो के
राग–द्वेषमां अटके छे ते पण आत्मानुं वीर्य छे पण ते विकार जेटली ज वीर्यशक्ति नथी; वीर्यशक्ति त्रिकाळ छे,
ते त्रिकाळनी द्रष्टिमां एक समयना विकारनो अभाव छे, माटे अहीं विकारमां अटके तेने आत्मवीर्य गण्युं नथी,
विकारने पण आत्मा गण्यो नथी; द्रव्य–गुण अने तेमां अभेद थयेली निर्मळ परिणति तेने ज अहीं आत्मा
गण्यो छे.
पोताना वीर्यगुणथी पोतानी सृष्टिने सरजे छे, पण परनी सृष्टिनो सरजनहार आत्मा नथी.
पुण्य वडे आत्मानी निर्मळपर्याय सर्जाय ए वात पण