Atmadharma magazine - Ank 103
(Year 9 - Vir Nirvana Samvat 2478, A.D. 1952)
(Devanagari transliteration).

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–ए कडी आवेली त्यारे पू. गुरुदेवश्रीए गद्गदभावे सीमंधर प्रभु अने कुंदकुंद प्रभु प्रत्येनी जे अतिशय
भक्ति व्यक्त करेली तेनुं वर्णन थई शके तेम नथी. हालमां पण, समवसरण–स्तुतिमां ज्यारे उपरनी कडी
गवाती होय छे त्यारे पू. गुरुदेवश्री आंखो मींचीने कोई विशिष्ट ऊंडा विचारमां मग्न थई जता होय एम
मुमुक्षुओने देखाय छे.
पू. गुरुदेवश्री घणी वार भक्तिभीना अंतरथी कहे छे केः ‘भगवान कुंदकुंदाचार्यदेवनो अमारा पर घणो
उपकार छे, अने तेमना दासानुदास छीए’ ................... श्रीमद् भगवत्कुंदकुंदाचार्य महाविदेहक्षेत्रमां सर्वज्ञ
वीतराग श्री सीमंधर भगवानना समवसरणमां गया हता अने त्यां तेओश्री आठ दिवस रह्या हता ए विषे
अणुमात्र शंका नथी.....कल्पना करशो नहि, ना कहेशो नहि, ए वात एम ज छे; मानो तो पण एम ज छे, न
मानो तो पण एम ज छे. यथातथ्य वात छे, अक्षरशः सत्य छे, प्रमाण सिद्ध छे.
अहो! जेमणे पुनित चरणथी भरत भूमिने पावन करी ते सीमंधर तातने नमस्कार हो......! ...... जे
संतोनी ऊंडी ऊंडी भक्तिना बळे भगवान भरते पधार्या ते संतोने नमस्कार हो.............
***
“नमुं हुं तीर्थनायकने, नमुं ॐकार नादने; ॐकार संघर्यो जेणे, नमुं ते कुंदकुंदने.
अहो उपकार जिनवरनो, कुंदनो, ध्वनि दिव्यनो; जिन–कुंद–ध्वनि आप्यां, अहो! ते गुरुकहाननो.”
***
जैन–विद्यार्थी गृह, सोनगढ
गतांकमां जाहेर थया मुजब अहीं जैन–विद्यार्थीगृह
चालु थई गयेल छे. हवे ते गृहमां दाखल थवा इच्छनार नवा
विद्यार्थीए मे मासनी आखर तारीख सुधीमां अहीं नीचेना
सरनामे अरजी मोकली आपवी, कारण के मर्यादित संख्यामां ज
विद्यार्थीओने दाखल करवानी योजना छे. ते मुजब जो विद्यार्थी
संख्या थई जशे तो त्यारपछी जे अरजी आवशे ते स्वीकारी
शकाशे नहि. माटे मुकरर करेल तारीख पहेलां विद्यार्थीए प्रवेश
माटेनी अरजी मोकली आपवी.
विद्यार्थी दीठ मासिक भोजन खर्च रूा. २प) पचीस
लेवानुं नक्की थयेल छे.
आ विद्यार्थीगृहमां ओछामां ओछा गुजराती पांचमा
धोरण तथा तेनी उपरना विद्यार्थीओने दाखल करवामां
आवशे. सोनगढमां हाइस्कूल मेट्रीक सुधीनी छे.
मोहनलाल काळिदास जसाणी,
नेमिदास खुशालदास शेठ,
मंत्रीओ
श्री जैन–विद्यार्थीगृह
c/o श्री जैन स्वाध्याय मंदिर
सोनगढः सौराष्ट्र