: २०० : आत्मधर्म–१०६ : श्रावण : २००८ :
‘वाणी’ अने ‘मरजी’ वच्चे अत्यंतअभाव छे; केमके वाणी ते पुद्गलद्रव्यनी पर्याय छे अने मरजी ते जीवनी पर्याय छे.
(२) ‘हथोडी’ अने ‘कुंडळ’ वच्चे अन्योन्यअभाव छे; कारण के ते बंने पुद्गल द्रव्यनी वर्तमान पर्यायो छे.
(३) ‘आहारकशरीर’ नो ‘आहारवर्गणा’मां प्राक्अभाव छे; कारण के ते बंने एक ज पुद्गलद्रव्यनी
अवस्थाओ छे, अने तेमां आहारक शरीर ते वर्तमान अवस्था छे अने आहारवर्गणा ते भूतकाळनी अवस्था छे.
(४) ‘र्क्म’ अने ‘आत्मा’ वच्चे अत्यंतअभाव छे; केमके कर्म पुद्गल द्रव्यनी पर्याय छे. जीव अने
पुद्गल ए बंने भिन्न भिन्न द्रव्यो छे.
(५) ‘सीमंधर परमात्मा’ अने तेमनी भावि ‘सिद्धदशा’ वच्चे प्रध्वंसअभाव छे; कारण के सीमंधर
परमात्मा ते वर्तमान अरिहंत अवस्था छे अने सिद्धपणुं ते तेमनी भविष्यनी पर्याय छे.
(६) ‘द्रव्यसंग्रह’ पुस्तक अने ‘ज्ञान’ वच्चे अत्यंतअभाव छे; कारण के द्रव्यसंग्रह ते पुद्गल द्रव्यनी
पर्याय छे, ने ज्ञान ते जीवद्रव्यनी पर्याय छे.
(७) ‘धन’ अने ‘धर्म’ वच्चे अत्यंतअभाव छे; कारण के धन तो पुद्गल द्रव्यनी अवस्था छे ने धर्म
जीवद्रव्यनी अवस्था छे.
प्रश्न : ६ (अ) नीचेना पदार्थोमांथी द्रव्य, गुण, पर्याय ओळखी काढो–
(१) केवळदर्शन (२) परमार्थकाळ (३) स्थितिहेतुत्व (४) आपणी नजर सामे देखाय छे ते आकाश
(५) उष्णता (६) नय (७) अंतर्मुहूर्त.
उपरना पदार्थोमांथी जे ‘द्रव्य’ होय तेनो विशेष गुण लखो; जे ‘गुण’ होय ते क्या द्रव्यनो अने केवी
जातनो (सामान्य के विशेष) गुण छे ते लखो; अने जे पर्याय होय ते क्या द्रव्यना, क्या गुणनो, केवो (विकारी
के अविकारी) पर्याय छे ते बतावो.
(ब) नीचेना गुणे अनुजीवी छे के प्रतिजीवी? अने ते क्या द्रव्यना छे ते लखो.
(१) अरूपीपणुं (२) अवगाहनहेतुत्व (३) सूक्ष्मत्व (४) अभव्यत्व (५) अचेतनत्व (६) प्रदेशत्व.
उत्तर : ६ [अ] (१) केवळदर्शन ते जीवद्रव्यना, दर्शनगुणनी, अविकारी पूर्ण पर्याय छे.
(२) परमार्थकाळ ते द्रव्य छे अने परिणमनहेतुत्व ते तेनो विशेषगुण छे.
(३) स्थितिहेतुत्व ते अधर्मद्रव्यनो विशेष गुण छे.
(४) नजर सामे देखातुं आकाश ते पुद्गलद्रव्यना वर्णगुणनी विकारी पर्याय छे.
(५) उष्णता ते पुद्गलद्रव्यना, स्पर्शगुणनी, विकारी पर्याय छे.
(६) नय ते जीवद्रव्यना ज्ञानगुणनी (श्रुतज्ञानना अंश रूप) अविकारी पर्याय छे.
(७) अंतर्मुहूर्त ते काळद्रव्यनी अविकारी पर्याय छे.
[ब] (१) अरूपीपणुं ते पुद्गल सिवायना पांचेय द्रव्योनो (जीव, धर्म, अधर्म, आकाश अने काळनो)
प्रतिजीवी गुण छे.
(२) अवगाहनहेतुत्व ते आकाशद्रव्यनो अनुजीवी गुण छे.
(३) सूक्ष्मत्व ते जीवद्रव्यनो प्रतिजीवी गुण छे.
(४) अभव्यत्व ते जीवद्रव्यनो अनुजीवी गुण छे.
(आ गुण अभव्य जीवोमां ज होय छे; भव्य जीवोमां ‘भव्यत्व’ नामनो गुण होय छे.)
(५) अचेतनत्व ते जीव सिवायनां पांचेय द्रव्योनो (–पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश अने काळनो)
प्रतिजीवी गुण छे.
(६) प्रदेशत्व ते छए द्रव्योनो अनुजीवी गुण छे.
उत्तम श्रेणी अने मध्यम श्रेणीमां विशेष माकर्स मेळवनार विद्यार्थीओनां नाम–
उत्तम श्रेणी (१) नरेशचंद्र मगनलाल महेता, सुरत : मार्क ९५
(२) रमेशचंद्र मगनलाल महेता, सुरत : मार्क ९१