Atmadharma magazine - Ank 106
(Year 9 - Vir Nirvana Samvat 2478, A.D. 1952)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 3 of 21

background image
: १९० : आत्मधर्म–१०६ : श्रावण : २००८ :
सु... व.... र्ण.... पु..... री....
स.... मा.... चा..... र
[अषाढ वद पांचम]
* परम पूज्य सद्गुरुदेवश्री सुखशांतिमां बिराजे छे.
* सवारना प्रवचनमां कार्तिकेयानुप्रेक्षा वंचाय छे, तेमां अत्यारे लोक
अनुप्रेक्षा वंचाय छे. बपोरना प्रवचनमां पंचास्तिकाय वंचातुं हतुं ते अषाढ
सुद पांचमना रोज पूर्ण थयुं छे; अअषाढ वद ४ थी बृहद् द्रव्यसंग्रहनुं वांचन
शरू थयुं छे. वचमां थोडा दिवस समयसारनो कर्ताकर्मअधिकार वंचायो हतो.
* श्री समयसार–गुजरातीनी बीजी आवृत्ति अमृतचंद्राचार्यदेवनी
संस्कृतटीका सहित छपाय छे. लगभग अडधुं छपाई गयुं छे. समयसार–
बंधअधिकार उपरनां प्रवचनो छपाई गया छे ते थोडा वखतमां प्रसिद्ध थशे.
आ प्रवचनो पू. बेनश्री बेनना सुहस्ते लखायेलां छे. श्री पंचास्तिकायनुं
गुजराती भाषांतर तैयार थाय छे.
* श्री मानस्तंभजीनी नीचेनी पीठिकाओनुं चणतरकाम चाले छे. आ
मानस्तंभ श्री सीमंधर भगवानना समवसरणनी सामेना भागमां थाय छे.
* प्रौढ वयना गृहस्थ माटेनो जैन शिक्षणवर्ग श्रावण सुद २ थी शरू
थवानो छे.
* अषाढ सुद ८ थी १५ सुधी अष्टाह्निका उत्सव ऊजवायो हतो; तेम ज
ज अषाढ वद एकमे श्री वीरशासन जयंति महोत्सव ऊजवायो हतो.