आसो: २४७८ : २४७ :
विषय अंक–पृष्ठ विषय अंक–पृष्ठ
पू. गुरुदेवश्रीनो ६३मो जन्मोत्सव १०४–१प० वीरशासन जयंति महोत्सव १०प–१७०
पू. गुरुदेवश्रीनो मंगल–जन्मोत्सव १०२–११० वैराग्यना त्रण प्रसंगो ९९–४७
पूर्णस्वरूपना लक्षे ज धर्मनी शरूआत १०४–१६४ वैराग्य प्रसंग १००–६६
पोरबंदरमां श्री जिनमंदिरनुं खातमुहूर्त १०प–१७७ निश्चयना आश्रये तेमनो निषेध १००–७४
बंधभाव अने मोक्षभाव १०७–२१९ व्यवहारनयना चार प्रकारो अने
बेसता वर्षनो मंगल–संदेश ९७–१ निश्चयना आश्रये तेमनो निषेध (१) १००–७प
भवभ्रमण केम न अटक्युं? ९८–२६ व्यवहारनयना चार प्रकारो अने
भव्य जीवोना कल्याण–अर्थे उपकारी श्रीगुरुओए निश्चयना आश्रये तेमनो निषेध (२) १०१–१०२
केवो उपदेश आप्यो? १०८–२३८ • श – श्र •
भावना ९९–४६ शास्त्रकार संतोए पोकारेला अनुभवसिद्ध
महत्त्वनुं कार्य शुं? १०४–१६१ परम सत्यनो सार ९७–२१
मंगल महोत्सव १०३–१३० शुद्धता केम थाय? १०७–२१७
मंगल वधाई १०३–१२९ शुद्धात्माना अनुभव माटे झंखतो शिष्य १०३–१३१
मानस्तंभ १०१–१०८ शुद्धात्मानी धगशवाळा जिज्ञासु शिष्यने ९८–३४
मानस्तंभ १०२–१२प श्रावको अने श्रमणो कोनी भक्ति करे? १०२–१२०
मानस्तंभ १०३–१४७ श्राविका–ब्रह्मचर्याश्रमना उद्घाटन प्रसंगे श्री वछराजजी
मानस्तंभ १०प–१८६ शेठ पू. गुरुदेवश्रीनो उपकार मानी रह्या छे तेनुं द्रश्य १०१–९१
मानस्तंभ १०८–२४४ श्राविक–ब्रह्मचर्याश्रमना उद्घाटनोत्सव
‘मानस्तंभनी मंगल–भेरी’ प्रसंगनुं मंगलप्रवचन १०१–८७
(शिलान्यास प्रसंगनुं प्रवचन) १०प–१७८ श्राविका–ब्रह्मचर्याश्रमनी स्वाध्यायशाळानी
मानस्तंभ–शिलान्यास–महोत्सव १०४–१प० दिवालो उपर लखेलां वचनामृत १०६–२०२
मिथ्याद्रष्टि अनंतसंसारी जीवराशिनी ऊंधी श्रद्धा१००–८१ श्राविका–ब्रह्मचर्याश्रमनुं उद्घाटन १००–६७
मुक्तिनो पंथ १०७–२१० श्राविका–ब्रह्मचर्याश्रमनुं उद्घाटन १००–६७
मूरख जीवने श्रीगुरुनो उपदेश १००–८२ श्राविका–ब्रह्मचर्याश्रमनो उद्घाटनमहोत्सव
मोक्षमार्गनुं प्रथम पगथियुं १००–७३ (सोनगढमां) १०१–८६
मोरबीमां श्री जिनमंदिरनुं खातमुहूर्त १०२–१२४ श्री जैनदर्शन शिक्षणवर्ग १०२–११०
• र – व • श्री जैनदर्शन शिक्षणवर्ग १०३–१३०
रत्नत्रयनो भक्त १०१–८७ श्री जैनदर्शन शिक्षणवर्ग १०४–१६७
राग–द्वेषनुं मूळप्रेरक कोण? १००–८२ श्री जैनदर्शन शिक्षणवर्गनी परीक्षाना प्रश्न–उत्तर१०६–१९७
राजकोट दि. जिनमंदिर संबंधे ९९–प२ श्री जैनदर्शन शिक्षणवर्ग (प्रौढ) १०प–१७७
वर्तमानमां ज त्रिकाळ १०४–१६० श्री जैन विद्यार्थीगृहनुं उद्घाटन (सोनगढमां) १०२–१२६
‘वंदित्तु सव्वसिद्धे’ ९८–२प श्री जैन विद्यार्थीगृह सोनगढ १०४–१६७
वंदित्तु सव्वसिद्धे १००–८० श्री जैन स्वाध्याय–मंदिरना उद्घाटननो अने
विकल्पना अभावरूप परिणमन क्यारे थाय? १०३–१४प समयसारजीनी स्थापनानो वार्षिकोत्सव १०४–१प०
विरला ९७–२३ श्री नियमसारनी प३ मी गाथानुं स्पष्टीकरण ९९–प६