Atmadharma magazine - Ank 112
(Year 10 - Vir Nirvana Samvat 2479, A.D. 1953)
(Devanagari transliteration).

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: ७४ : आत्मधर्म–११२ : महा : २००९ :
अनेकान्तमूर्ति भगवान आत्मानी
केटलीक शक्तिओ
(१३)
असंकुचितविकासत्व शक्ति
(गतांकथी चालु)
ज्ञानस्वभावी आत्मामां रहेली शक्तिओनुं वर्णन चाले छे. तेमां तेरमी
असंकुचितविकासत्वशक्तिनुं विवेचन चाले छे. आत्माना असंख्यप्रदेशी क्षेत्रमां चैतन्यस्वभावनी
अमर्यादित ताकात छे; असंख्यप्रदेशमां प्रभुतानी ताकात भरी छे, सिद्धनी ताकात आटला ज क्षेत्रमां
छे, त्रणकाळ त्रणलोकने जाणनारो आटला स्वक्षेत्रमां ज रहेलो छे. त्यां, ‘आटला अल्पक्षेत्रमां आवो
बेहदस्वभाव केम होय!’ –एम अल्पक्षेत्रनी सामे जोईने जे बेहदस्वभावमां संदेह करे छे ते जीव
पर्यायमूढ मिथ्याद्रष्टि छे. आत्मानुं क्षेत्र भले असंख्यप्रदेशी ज हो, पण एटला क्षेत्रमां ज अनंत ज्ञान–
दर्शन–आनंद उत्पन्न करवानी ताकात तेनामां भरी छे. –आम आत्मस्वभावनी अमर्यादित प्रभुतानो
विश्वास करतां पर्याय विकसे छे, नाना–मोटा क्षेत्रनी साथे तेने संबंध नथी. कोईने पांचसो हाथनो
आकार होय छतां मोटो मूढ होय, तथा कोईने सात हाथनो आकार होय ने केवळज्ञान पामे. माटे क्षेत्र
उपरथी स्वभावनुं माप नथी. जुओ, आकाश लोकालोक व्यापी अनंतअनंत प्रदेशी छे, ने परमाणु एक
प्रदेशी ज छे; छतां, जेम अनंत प्रदेशी आकाश पोताना स्वभावथी त्रिकाळ टके छे तेम एक प्रदेशी
परमाणु पण पोताना स्वभावथी त्रिकाळ टकनार छे; पोतपोतानी सत्ताथी बंने परिपूर्ण छे. आकाशमां
जेटला अनंत गुणो छे तेटला ज गुणो एक परमाणुमां पण छे; आकाशनुं क्षेत्र मोटुं अने परमाणुनुं
क्षेत्र नानुं–छतां ते बंनेमां पोतपोताना सरखां ज गुणो छे. आकाशनुं क्षेत्र मोटुं माटे तेनामां वधारे
गुणो ने परमाणुनुं क्षेत्र नानुं माटे तेनामां ओछा गुणो–एम नथी. आ रीते क्षेत्र उपरथी स्वभावनी
ताकातनुं माप नीकळतुं नथी. जीव असंख्यप्रदेशी द्रव्य छे छतां तेना स्वभावमां अनंत काळ अने
अनंत क्षेत्रना पदार्थोने जाणवानी ताकात भरी छे. ते स्वभावनो विश्वास करे तो तेनी अपार शक्तिनो
विकास थई जाय छे. स्वभावनी सामे जोवाथी ज स्वभावनो विश्वास थाय छे; ए सिवाय बहारमां
बीजो कोई तेनो उपाय नथी.
आत्मद्रव्यना एक समयना परिणमनमां अनंत अमर्यादित ताकात प्रगटवानी शक्ति छे; ते
ताकात परना के पर्यायना आश्रये नहि पण द्रव्यना ज आश्रये प्रगटे छे. आवो अमर्यादित चिद्विलास
छे. निमित्त तो पर छे ने पर्याय अधूरी छे तेना उपर जोर आपतां ते मर्यादितना लक्षे मर्यादितपणुं ज
रहे छे, पण विकास थतो नथी. त्रिकाळीस्वभावनुं जोर आपतां पर्यायमां पण अमर्यादितशक्ति खीले
छे.
जेम लोकोमां पण जे उदार होय ते एम कहे छे के तमारे जोईए तेटलुं लई जाओ, अमने
संकोच नहि आवे. तेम अनंतशक्तिनो पिंड प्रभु आत्मा एवो उदार छे के जो तेनी श्रद्धा करे तो
विकासमां ते जराय संकोच राखे तेवो नथी. अनंती केवळज्ञान पर्यायो विकसे तोपण आत्मामां कदी
संकोच पडतो नथी. आत्मामां एवी शक्ति छे के तेनो विश्वास करीने तेनुं अवलंबन लेतां केवळज्ञान
पूरुं विकसे, तेमां संकोच न रहे. पण आवा आत्माने समजवानी दरकार करवी जोईए. बहारमां बुद्धि
लगावीने मफतनो अभिमान करे छे तेने बदले अंतरमां पोताना आत्माने पकडवा माटे बुद्धि
लगाववी जोईए, तेनी रुचि अने उल्लास जोईए. अनंतकाळमां पूर्वे कदी नथी करी