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तेम थई रह्युं छे, जगतनो बोजो मारा माथे नथी, हुं मारा आत्मानुं साधी लउं–आ प्रमाणे धर्मी जीव
स्वसन्मुख थई पोतेपोतानुं हित साधे छे.
अने आत्माथी शरीरनुं कांई कार्य थतुं नथी; छतां अज्ञानी जीव परनो मोह करे छे.
छूटी जाय; एटले परनुं स्वामीपणुं छोडी पोते पोतानी शक्तिनी संभाळ करीने सिद्धदशाने साधे. संसारी जीव
अनादिथी पोतानी निजनिधिने भूल्यो छे तेने सर्वज्ञदेव तेनी निधि बतावे छे. जेम दीकरीने सासरे मोकलतां
करियावर आपे छे तेम जीवने सिद्धदशारूपी सासरे मोकलवा माटे केवळी भगवान करियावर आपे छे. कोई पूछे
के–आ आत्मानी अनंत शक्तिनी वात शा माटे संभळावो छो? तो कहे छे के–हवे तने संसारमांथी सिद्धदशामां
मोकलवो छे तेथी तने तारी रिद्धि सोंपाय छे. ‘तो आत्मानी साथे शुं आपशो?’ के–आत्मामां पोतानी अनंती
शक्ति छे ते ओळखावीने तेनी अनंती निर्मळ पर्यायो प्रगट करीने आत्माने सिद्ध दशामां साथे आपशुं, तेनो
भोगवटो सादिअनंतकाळ सिद्धदशामां साथे रहेशे. एटले के आत्मानी अनंतशक्तिनी प्रतीत करे तेने
अल्पकाळमां आवी सिद्धदशा थया विना रहे नहि.
सगपण बांध्युं. जेम पुत्री माबापने त्यां होय त्यारे तो एम माने के आ मारुं घर अने आटली अमारी मूडी.
पण सगपण थतां ज तेनी द्रष्टि फरी गई के आ घर अने आ मूडी मारां नहि, ते मारी साथे आववानां नथी
पण ज्यां सगपण कर्युं ते घर अने ते घरनी मूडी मारी छे. तेम अज्ञानी जीव अनादिकाळथी संसारमां ऊछर्यो
छे, शरीर ते हुं, पुण्य–पाप ते हुं–एम बालकपणे ते मानी रह्यो छे. हवे अनंत शक्तिना पिंड आत्मा साथे तेनुं
सगपण करावीने ज्ञानी कहे छे के जो भाई! तारे सिद्ध थवुं छे ने!....‘हा’....तो तारी साथे तारा अनंत गुणनी
ऋद्धि आवशे, पण आ शरीर–मन–वाणी–लक्ष्मी–कुटुंब के पुण्य–पाप ते कोई तारी साथे आवशे नहि; तारी
अनंतगुणनी ऋद्धि तारी साथे कायम रहेशे, पण शरीर के पुण्य–पाप ते कोई चीज तारी साथे कायम रहेवानी
नथी. आम समजतां ज जीवनी द्रष्टि फरी जाय छे के अहो! मारी अनंत शक्तिओ मारामां छे तेनो ज हुं स्वामी
छुं, ते ज मारुं स्वरूप छे, तेने भूलीने शरीरने तथा पुण्य–पापने में भ्रमथी मारुं स्वरूप मान्युं हतुं पण ते कोई
मारुं स्वरूप नथी, ते कोई मारी साथे रहेवाना नथी. जुओ, साचुं समजतां ज द्रष्टि गुलांट मारे छे, परसन्मुख
द्रष्टि हती ते छूटीने स्वसन्मुख द्रष्टि थई जाय छे, तेमां अपूर्व पुरुषार्थ छे.
आम धर्मी जीव परनुं स्वामित्व छोडीने पोतानी स्वभावऋद्धिनो स्वामी थाय छे. परथी लाभ–नुकशान थाय
एवी द्रष्टि तेने छूटी गई ने आत्मा साथे सगपण कर्युं.