Atmadharma magazine - Ank 114
(Year 10 - Vir Nirvana Samvat 2479, A.D. 1953)
(Devanagari transliteration).

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ः १३२ःः मानस्तंभ–महोत्सव अंकः
द्रश्य लागतुं हतुं. आहारदानमां नवधाभक्तिनां प्रसंगे
पण भगवान श्री नेमिनाथ मुनिराज प्रत्ये गुरुदेवने
एवो भाव उल्लसी गयो हतो के ए मुनिराजना
पवित्र चरणोदकने भक्तिपुर्वक हाथमां लईने पोताना
मस्तके चडाव्युं हतुं.
ए भुवनमां थोडीवार बिराजीने भगवान
वनमां विचरी गया. पोताना आंगणे तीर्थंकर
भगवान पधार्या अने भगवानने प्रथम आहारदाननो
महान लाभ मळ्‌यो तेना हर्षमां पू. बेनश्री चंपाबेन
तथा पू. बेन शान्ताबेन–बंनेए पोतपोताना तरफथी
उल्लासपूर्वक दाननी रकमो जाहेर करी हती अने बीजा
भक्तजनोए पण उल्लासपुर्वक तेने अनुमोदन
आपीने ते ज वखते हजारो रूा. ना दाननी जाहेरात
करी हती.
भक्तोना अंतरमां एवी ऊंडी भावना हती
के तीर्थंकर भगवाने जे घरे आहार कर्यो त्यां ज
गुरदेव आहार करे.....पू. गुरुदेवश्रीए आ विनंतिनो
स्वीकार करतां तेओश्रीना आहारनो पवित्र प्रसंग
पण बेनश्री–बेनने त्यां ज थयो हतो. एक तो
भगवानना आहारनो प्रसंग, अने वळी गुरुदेवना
आहारनो प्रसंग.....एक साथे आवा बे महान
लाभनो अपुर्व प्रसंग बने पछी उल्लासमां शुं खामी
रहे!! ए उल्लास अंतरमां समातो न हतो. ते
वखतनो ए बंने बहेनोनो उमंग तो तेओ ज
जाणे...आहारप्रसंग पछी लांबो वखत सुधी चालेली
असाधारण भक्ति अने दूरदूर संभळाता जयकार ए
उमंगनी साक्षी पूरता हता. आ पावन प्रसंग जेमणे
नजरे जोयो हशे तेओ तेनी स्मृतिथी हजी पण
आह्लादित थता हशे.
*
आहारदान प्रसंगनुं काव्य–
लिया मुनिने अहार... जयजयकार... जयजयकार
नेमिनाथ मुनिराय... जयजयकार... जयजयकार
स्वर्णनगर द्वारावती प्यारा
बना आज है परम सुहाना
बहन–द्वै वरदत्तराय
...जयजयकार जयजयकार... लिया०
अहार हुआ नगरी हर्षाई
रत्नराशि हरि ने बरसाई
पुलकित हैं नरनार
... जयजयकार जयजयकार.... लिया०
तीर्थंकर का पावन चरणां
हुआ आज यह मंगल घरमां
धन्य मोक्षविहारी नाथ
... जयजयकार जयजयकार... लया०
नेमि प्रभु ने लिया अहारा
सब से प्रथम मंगलकारा
हिरदे हरख न माय
... जयजयकार जयजयकार...
लिया मुनिने आहार... जयजयकार जयजयकार...
नेमिनाथ मुनिराय... जयजयकार जयजयकार...
*
अंकन्यास विधान (सोमवार)
आजे बपोरे प्रतिष्ठा माटेना जिनबिंबो उपर
पू. गुरुदेवश्रीना परम पवित्र हस्ते अंकन्यासविधि
थयो हतो. प्रतिष्ठामां आ अंकन्यासविधि घणो
महत्वनो गणाय छे. प्रतिष्ठामां एकंदर ३२ प्रतिमाओ
हता, तेमांथी सीमंधर भगवानना आठ प्रतिमा
मानस्तंभमां बिराजमान करवा माटेना हता.
जिनशासनना परम प्रभावी गुरुदेवश्रीना महामंगल
करकमळथी सोनानी सळी वडे ए वीतरागी जिनबिंबो
उपर महापवित्र भावथी ज्यारे ॐ वगेरे मंत्राक्षरो
अंकित थता हता त्यारे गुरुदेवना पावन हस्ते थई
रहेला ए महाकार्यनुं पावन द्रश्य हजारो भक्तजनो
खूब ज उल्लासथी निहाळी रह्या हता अने जयजयकार
नादथी वधावता हता.....दिगंबर जैनशासननी
प्रभावनाना जेवां महान कार्यो भगवान श्री
कुंदकुंदाचार्यदेव अने नेमिचंद्राचार्यदेवना सुहस्ते थयां
तेवा ज महान कार्यो अत्यारे कहान गुरुदेवना सुहस्ते
नजर समक्ष बनी रह्यां हतां. अने ए नीरखी–
नीरखीने भक्तो उमंगथी नीचेनुं काव्य गाता हता–
(राग–महावीरा तेरी धूनमें.......)
श्री सद्गुरु करकमळेथी... महामंगळ विधि थाय छे...
महा मंगळ विधिथाय छे...महामंगळ विधि थाय छे...
–महा मंगळ विधि थाय छे......श्री०
आ भरतक्षेत्रमांही प्रतिष्ठा स्वर्णे गाजे.........(२)
श्री मानस्तंभ बन्यो छे सुवर्णना मंदिरीये....श्री०
श्री जिनवर मुखडां नीरखी गुरुवरना दीलडां हरखे. (२)
ए पुनित हृदयोमांही श्री जिनवरजी बिराजे... श्री०...