देवी पूछे छेः हे माता! तारा जेवी उत्तम स्त्री जगतमां बीजी कोण छे?
माता कहे छेः तीर्थंकर समान पुत्रने जन्म देनारी स्त्री जगतमां उत्तम छे.
बीजी देवी पूछे छेः हे माता! कान होवा छतां जगतमां बहेरो कोण छे?
माता जवाब आपे छेः जैन सिद्धांतने जे सांभळतो नथी ते बहेरो छे.
वळी बीजी देवी पूछे छेः हे माता! देवेन्द्र वगेरे मोटा मोटा पण जेना दास बनी जाय एवो उत्कृष्ट पुरुष
देवी पूछे छेः हे माता! जगतमां खरो सुभट कोण छे?
माता कहे छेः विषय–कषायोने जीतनार धर्मात्मा पुरुष ज सुभट छे.
देवी पूछे छेः हे माता! आप बतावो के कयो तपस्वी भवदुःख पामे छे?
माता उत्तर आपे छेः हे देवी! आत्माना अनुभव विना जे तप करे छे ते भवदुःख सहे छे.
देवी पूछे छे, हे माता! जगतमां जीव शेना वगर दुःख पामे छे?
माता कहे छेः रत्नत्रयरूपी धन वगरनो जीव दुःख पामे छे.
फरीने देवी पूछे छेः हे माता! ‘पुरुष’ नाम कयारे सफळ थाय?
तरत माता उत्तर आपे छे के–ज्यारे मोक्षनो पुरुषार्थ करे त्यारे.
देवी पूछे छेः हे माता! शेना वगर नर पशु समान छे?
माता कहे छेः भेदज्ञानरूपी विद्या वगर नर पशु समान छे.
वळी देवी पूछे छेः हे माता! कयुं कार्य जगतमां उत्तम छे?
माता जवाब आपे छेः हे देवी! आत्मध्यान ते जगतमां परम सुखकारी उत्तम कार्य छे.
इत्यादि प्रकारे देवीओ प्रश्न पूछती अने माता प्रसन्नतापूर्वक तेना सुंदर जवाब आपता; देवीओ कहे छेः
नाथुलालजीए कह्युं के
बंने बेनो मानस्तंभ उपर पधार्या हता. त्यां, नीचे ऊभेला हजारो भक्तजनोनी नजर पण न पहोंचे एटले
ऊंचे ऊंचे आकाशमां अतिशय भक्ति अने प्रमोदभावथी तेओश्रीए मानस्तंभनी शुद्धि करी हती. ए पवित्र
हस्तोथी थती मानस्तंभशुद्धिनुं पावन द्रश्य नीरखनारा पण भक्तिरसमां रंगाईने पावन थई जता हता.
पण कंपायमान थाय छे. अहो! जेनो जन्म थतां इन्द्रना आसन पण कंपी ऊठे एवो जेनो प्रभाव.....ते
तीर्थंकरना जन्मोत्सवनी शुं वात! सौधर्मेन्द्रनुं सिंहासन डगमग थतां, ते अवधिज्ञानथी भगवान श्री नेमिनाथ
तीर्थंकरनो जन्म थवानुं जाणे छे ने देवोनी सभामां भगवानना जन्मकल्याणकनो उत्सव मनाववा माटे आनंदनुं
वातावरण छवाई