Atmadharma magazine - Ank 114
(Year 10 - Vir Nirvana Samvat 2479, A.D. 1953)
(Devanagari transliteration).

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ः १२६ः आत्मधर्मः ११प
माता कहे छेः हे देवी! सम्यग्दर्शनरूपी रत्न जगतमां उत्तम सारभूत छे.
देवी पूछे छेः हे माता! तारा जेवी उत्तम स्त्री जगतमां बीजी कोण छे?
माता कहे छेः तीर्थंकर समान पुत्रने जन्म देनारी स्त्री जगतमां उत्तम छे.
बीजी देवी पूछे छेः हे माता! कान होवा छतां जगतमां बहेरो कोण छे?
माता जवाब आपे छेः जैन सिद्धांतने जे सांभळतो नथी ते बहेरो छे.
वळी बीजी देवी पूछे छेः हे माता! देवेन्द्र वगेरे मोटा मोटा पण जेना दास बनी जाय एवो उत्कृष्ट पुरुष
आ जगतमां कोण छे?
माता कहे छेः ‘मेरा पुत्र’ अर्थात् तीर्थंकर भगवान.
देवी पूछे छेः हे माता! जगतमां खरो सुभट कोण छे?
माता कहे छेः विषय–कषायोने जीतनार धर्मात्मा पुरुष ज सुभट छे.
देवी पूछे छेः हे माता! आप बतावो के कयो तपस्वी भवदुःख पामे छे?
माता उत्तर आपे छेः हे देवी! आत्माना अनुभव विना जे तप करे छे ते भवदुःख सहे छे.
देवी पूछे छे, हे माता! जगतमां जीव शेना वगर दुःख पामे छे?
माता कहे छेः रत्नत्रयरूपी धन वगरनो जीव दुःख पामे छे.
फरीने देवी पूछे छेः हे माता! ‘पुरुष’ नाम कयारे सफळ थाय?
तरत माता उत्तर आपे छे के–ज्यारे मोक्षनो पुरुषार्थ करे त्यारे.
देवी पूछे छेः हे माता! शेना वगर नर पशु समान छे?
माता कहे छेः भेदज्ञानरूपी विद्या वगर नर पशु समान छे.
वळी देवी पूछे छेः हे माता! कयुं कार्य जगतमां उत्तम छे?
माता जवाब आपे छेः हे देवी! आत्मध्यान ते जगतमां परम सुखकारी उत्तम कार्य छे.
इत्यादि प्रकारे देवीओ प्रश्न पूछती अने माता प्रसन्नतापूर्वक तेना सुंदर जवाब आपता; देवीओ कहे छेः
अहो माता! आपना हृदयमां तीर्थंकरनो वास छे...तेथी आप पूज्य छो.....एम कहीने पछी ‘जय जय मात
परम अधिकारी’–इत्यादि स्तुति करे छे. आ प्रमाणे शुक्रवारे गर्भकल्याणकनां द्रश्यो थया हता.
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मानस्तंभनी वेदी तथा कलश अने ध्वजशुद्धि
बपोरे श्री मानस्तंभनी वेदी तथा कलश अने ध्वजनी शुद्धि थई हती. त्यारबाद भव्य मानस्तंभनी
वेदीशुद्धि पवित्रात्मा पु. बेनश्री–बेनजी चंपाबेन अने शान्ताबेनना सुहस्ते कराववा माटे प्रतिष्ठाचार्य पंडित श्री
नाथुलालजीए कह्युं के
‘ये दोनों बहिन जैसे पवित्र आत्माओं के हस्तसे मानस्तंभ की शुद्धि हो इससे
अधिक और क्या हो सकता है?–आ सांभळीने बधा भक्तजनोने बहु हर्ष थयो हतो. पु. बेनश्री–बेनजीना
सुहस्ते प्रथम मानस्तंभना नीचेना भागनी वेदीशुद्धि थई हती, त्यारबाद उपरना भागमां वेदीशुद्धि करवा माटे
बंने बेनो मानस्तंभ उपर पधार्या हता. त्यां, नीचे ऊभेला हजारो भक्तजनोनी नजर पण न पहोंचे एटले
ऊंचे ऊंचे आकाशमां अतिशय भक्ति अने प्रमोदभावथी तेओश्रीए मानस्तंभनी शुद्धि करी हती. ए पवित्र
हस्तोथी थती मानस्तंभशुद्धिनुं पावन द्रश्य नीरखनारा पण भक्तिरसमां रंगाईने पावन थई जता हता.
जन्म कल्याणक (शनिवार चैत्र सुद सातम)
आजे भगवानना जन्मकल्याणकनो महोत्सव थयो. शिवादेवी मातानी सेवामां रहेली देवीओ सवारमां
ऊगता प्रभाते भगवानना जन्मनी वधाई आपे छे, अने चारे तरफ आनंद छवाई जाय छे, ईंद्रोना आसन
पण कंपायमान थाय छे. अहो! जेनो जन्म थतां इन्द्रना आसन पण कंपी ऊठे एवो जेनो प्रभाव.....ते
तीर्थंकरना जन्मोत्सवनी शुं वात! सौधर्मेन्द्रनुं सिंहासन डगमग थतां, ते अवधिज्ञानथी भगवान श्री नेमिनाथ
तीर्थंकरनो जन्म थवानुं जाणे छे ने देवोनी सभामां भगवानना जन्मकल्याणकनो उत्सव मनाववा माटे आनंदनुं
वातावरण छवाई