Atmadharma magazine - Ank 115
(Year 10 - Vir Nirvana Samvat 2479, A.D. 1953)
(Devanagari transliteration).

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द्वितीय वैशाखः २४७९ः १४३ः
पूज्य गुरुदेवना पावन चरणोमां
‘वैशाख सुखबीज’ पू.
गुरुदेवश्रीना जन्मनोधन्य दिवस छे. मुमुक्षु
भक्तजनोने माटे आदिवस धणा आनंद अने
उल्लासनो छे. संसारमांतरफडता मुमुक्षु जीवोने
जीवनना आधार आजेमल्या...धर्मपिता गुरुदेवे
अनेक–अनेकबाळकोने उगारीने
संसारमां डूबताबचाव्या. तेओ श्रीना
उपकारनो बदलो तो कईरीते वळी शके!! तेओश्रीना
आ ६४ मा जन्मोत्सवनामंगळ प्रसंगे तेमना
चरणकमलमां भक्तिअंजलि अर्पीए.....
*
हे परम उपकारी श्री सद्गुरुदेव! आपनी दिव्यद्रष्टि अने अपूर्व वाणी द्वारा आपे अनेक आत्मार्थी ओने
आत्मजीवन आप्युं छे....आत्मार्थी बालकोना आप जीवनरक्षक छो. परम वात्सल्य अने करुणभावथी
मुमुक्षुबालकोने आप मोक्षमार्ग प्रत्ये दोरी रह्या छो. आपनी मंगलकारी विशाळ छायामां अनेक बाळको
निर्भयपणे विश्राम पाम्या छे.
हे कल्याणकारी गुरुदेव! आपना उपकारने केवी रीते वर्णवीए? आपना परम महिमाने कई रीते व्यक्त
करीए? सीमंधरादि तीर्थंकर भगवंतोए सेवेला पंथने आप स्वयं साधी रह्या छो ने भव्य जीवोने ए पंथे आप
दोरी रह्या छो. आ कळियुगमां आप श्री जेवा पवित्र संतनी शीतल छाया ज मुमुक्षु जीवोने जीवननो आधार छे.
आपना महान प्रतापे ज भव्य जीवोने कल्याणनो धोरी मार्ग प्राप्त थयो छे. आपश्रीनो आत्मा हितरूपे
परिणमी गयेलो छे अने आपनी द्रष्टि–आपनी वाणी–वगेरे सर्व चेष्टाओ भव्यजीवोना हितने माटे छे.
हे गुरुदेव! आपश्रीना ६३मा वर्षमां आपना प्रतापे ६३ फूट ऊन्नत्त धर्मस्तंभ सुवर्णपुरीमां
स्थपायो.....अने भारतभरमां महान धर्मप्रभावना थई. आपश्रीना आ ६४ मा वर्षमां एथी पण विशेष उन्नत
धर्मप्रभावनाना कार्यो आपना सुहस्ते थाओ.
हे धर्मपिता! अम बाळकोना जीवनना रक्षक अने कल्याणना सींचक आप ज छो. अम–अल्पमति
बाळको पासे आ भक्तिअंजलि सिवाय एवुं बीजुं शुं छे के जे आपना चरणे भेट धरीए! अमे तो अमारी
झोळी पसारीने आपनी पासे याचना करीए छीए के क्षणे क्षणे अम बाळकोना जीवननी संभाळ करीने आप
ज्ञान–वैराग्यनुं सींचन करो. आपश्रीना ऊंडा ऊंडा पवित्र अध्यात्मजीवनने ओळखवानी अने तेने
अनुसरवानी अम बाळकोने शक्ति आपो.
अम बाळकोने चरणोमां राखजो....
सर्व पर्याये करजो सहाय......
वंदन करुं भावथी हुं.....
–अतिशय वात्सल्य अने करुणापूर्वक अम बाळकोना जीवननी संभाळ करीने, अमने कल्याणमार्गमां
प्रोत्साहन आपनारा हे धर्मपतिा...गुरुदेव! समस्त जीवना आपनी पवित्र चरण छायामां रहीने शीघ्र आत्म
कल्याण साधवानुं सामर्थ्य आपो.