अषाढ: २४७९ : १८९:
गति अने गतिहेतुत्व बंने एक साथे एक द्रव्यमां होता नथी.
(६) माणस चाले छे त्यारे तेनो पडछायो तेनी साथे चाले छे?
उत्तर: ना; खरेखर पडछायो नथी चालतो, पण ते ते ठेकाणे रहेला रजकणो ज तडकामांथी छायारूपे
पलटता जाय छे, एक ठेकाणानी छाया बीजा ठेकाणे नथी जती.
(७) मानस्तंभना दर्शन चक्षुथी कर्या ते चक्षुदर्शन छे?
उत्तर: ना; केमके ‘आ मानस्तंभ छे’ एवो भेद दर्शनउपयोगमां नथी होतो. आ मानस्तंभ छे––एम
जाण्युं ते तो ज्ञानउपयोग थई गयो.
• प्रश्न: ४ •
नीचेना पदार्थो वच्चे क्यो अभाव छे ते कारण आपी समजावो–
(१) सिद्धपणानो संसारदशामां
(२) घडियाळनो कांटो अने कालाणु वच्चे
(३) मतिज्ञाननो श्रुतज्ञानमां
(४) जीवनो विकार अने कर्म वच्चे
(प) जड ईन्द्रियो अने जड मन वच्चे
• उत्तर: ४ •
(१) सिद्धपणानो संसारदशामां अभाव ते ‘प्राक्अभाव’ (प्रागभाव) छे, केमके एक द्रव्यनी वर्तमान
पर्यायनो तेनी पूर्व पर्यायमां जे अभाव तेने प्रागभाव कहे छे.
(२) घडियाळनो कांटो अने काळाणु वच्चे अत्यंत अभाव छे, केमके ते बंने जुदा जुदा द्रव्यो छे; एक
द्रव्यनो बीजा द्रव्यमां अभाव ते अत्यंतअभाव छे.
(३) मतिज्ञाननो (पछीना) श्रुतज्ञानमां अभाव ते प्रध्वंस अभाव छे, केमके एक द्रव्यनी
वर्तमानपर्यायनो तेनी आगामी पर्यायमां जे अभाव ते प्रध्वंसअभाव छे.
(४) जीवनो विकार अने जडकर्म वच्चे अत्यंत अभाव छे, केमके बंने भिन्न–भिन्न द्रव्योनी पर्याय छे.
(प) जड ईन्द्रिय अने जड मन वच्चे अन्योन्यअभाव छे, कारणके ते बंने पुद्गलद्रव्यनी ज पर्यायो
छे;–एक पुद्गलद्रव्यनी वर्तमान पर्यायनो बीजा पुद्गलद्रव्यनी वर्तमान पर्यायमां अभाव ते अन्योन्य अभाव
छे.
• प्रश्न: प •
नीचेना पदार्थो द्रव्य छे, गुण छे के पर्याय छे?
ते ओळखी काढो––
(१) तीखाश (२) अचक्षुदर्शन (३) अठवाडियुं (४) समुद्घात (प) चेतना (६) अवगाहनहेतुत्व
(७) मृगजळ (८) सूक्ष्मत्व.
––उपरना पदार्थोमां जे द्रव्य होय तेनो विशेष गुण लखो;
––जे गुण होय ते क्या द्रव्यनो केवो गुण छे ते लखो;
––अने जे पर्याय होय ते क्या द्रव्यना क्या गुणनी केवी (विकारी के अविकारी, तथा अर्थ के व्यंजन)
पर्याय छे ते लखो.
• उत्तर: प •
(१) तीखाश:– ते पुद्गलद्रव्यना रसगुणनी विभाव अर्थपर्याय छे.
(२) अचक्षुदर्शन:– ते जीवद्रव्यना दर्शनगुणनी विभाव अर्थपर्याय छे.
(३) अठवाडियुं:– ते काळद्रव्यनी व्यवहारपर्याय छे.
(४) समुद्घात:– जीवद्रव्यना प्रदेशोमां संकोचविकास थवाना कारणे समुद्घात थाय छे अने ते जीवना
प्रदेशत्वगुणनी विभाव व्यंजनपर्याय छे.
(प) चेतना:– ते जीवद्रव्यनो विशेष गुण छे, अने अनुजीवी छे.
(६) अवगाहनहेतुत्व:– ते आकाशद्रव्यनो विशेष गुण छे अने अनुजीवी छे.