Atmadharma magazine - Ank 117
(Year 10 - Vir Nirvana Samvat 2479, A.D. 1953)
(Devanagari transliteration).

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अषाढ: २४७९ : १९३ :
अहीं एम जाणवुं के उपादानमां कार्य थयुं त्यारे ते उपादाननी साथे पुरुषदेह, उत्तमसंहनन, महाविदेह
क्षेत्र वगेरेने समर्थकारण कह्यां, अने जो उपादानमां कार्य थयुं न होय तो तेमने ज असमर्थकारण कहेवाय छे.
निमित्तोने पण समर्थकारण कह्या तेथी एम न समजवुं के कार्यनी उत्पत्ति थवामां तेओ किंचित् पण कार्यकारी छे.
कार्यने उत्पन्न करवानुं सामर्थ्य तो एकला उपादानमां ज छे.
• प्रश्न: ४ तथा तेनो उत्तर •
(प्रश्न) नीचेनी मान्यतावाळा क्या अभावनो नकार करे छे ते कारण सहित लखो––
(१) वर्तमानमां एक जीवने अज्ञान वर्ते छे कारणके तेने कुगुरुनो उपदेश मळ्‌यो छे.
(उत्तर) ––आम माननार जीव, एक द्रव्यमां बीजा द्रव्यना अत्यंत अभावने मानतो नथी. केम के एक
जीवनी पर्यायमां बीजा जीवनो अत्यंत अभाव छे तेथी बीजाने कारणे अज्ञान थाय नहि.
(२) जीव वर्तमान मिथ्यात्वने टाळीने सम्यग्दर्शन प्रगट करी शके नहि.
(उत्तर) ––एम माननार जीव, वर्तमान मिथ्यात्व पर्यायनो भविष्यनी पर्यायमां प्रध्वंसअभाव छे तेने
मानतो नथी. भविष्यनी पर्यायमां वर्तमाननी पर्यायनो प्रध्वंसअभाव छे तेथी मिथ्यात्व टळीने सम्यग्दर्शन
प्रगट थई शके छे.
(३) पूर्वे एक जीवे घणो विकार कर्यो हतो तेथी ते वर्तमानमां पण विकार करे छे.
(उत्तर) ––एम माननार जीव, वर्तमान पर्यायनो पूर्वनी पर्यायमां प्राग्–अभाव छे तेने मानतो नथी;
वर्तमानपर्यायनो पूर्वनी पर्यायमां प्राग्अभाव छे तेथी पूर्वना विकारने कारणे वर्तमानमां विकार थाय––एम
नथी, पूर्वनी पर्याय विकारी होवा छतां वर्तमानमां निर्मळपर्याय थई शके छे.
(४) अरिहंत भगवानने चार अघाति कर्मो बाकी छे तेथी तेओ सिद्धदशाने प्राप्त करी शकता नथी.
(उत्तर) ––एवी मान्यतावाळो जीव, एक द्रव्यनो बीजा द्रव्यमां अत्यंत अभाव छे तेने मानतो नथी;
अरिहंत भगवान अने घातिकर्म–ए बंने वच्चे अत्यंत अभाव छे तेथी खरेखर अरिहंतभगवान घातिकर्मना
कारणे संसारमां रह्या नथी.
(प) पवननो झपाटो आवतां वृक्षनां पांदडां चाल्यां अने तेथी तेनी नीचे पडछायो चाल्यो.
(उत्तर) ––ते प्रमाणे माननार जीव, एक पुद्गलनी वर्तमानपर्यायनो बीजा पुद्गलनी
वर्तमानपर्यायमां अन्योन्यअभाव छे तेने मानतो नथी; पवन, पांदडानुं चालवुं अने पडछायो चालवो––ए
त्रणेय भिन्नभिन्न पुद्गलोनी अवस्था छे तेथी तेमनो एकबीजामां अन्योन्यअभाव छे अने तेथी पवनना
कारणे पांदडा चाल्या नथी तथा पांदडा चालवाने कारणे पडछायो चाल्यो नथी. (खरेखर पडछायो चालतो नथी
पण जुदी जुदी जग्याना परमाणुओ छायारूपे परिणमे छे.)
• प्रश्न: प तथा तेनो उत्तर •
(प्रश्न) नीचेना वाक्योनुं कथन क्या नयनुं छे ते लखो अने तेमां निश्चय–व्यवहार समजावो––
(१) कोई जीव प्रबळ कर्मना उदयने कारणे अगियारमा गुणस्थानेथी पडीने मिथ्यात्वी थई जाय छे.
(उत्तर) ––आ कथन व्यवहारनयनुं छे, केमके तेमां निमित्तथी कथन छे. खरेखर जीव कर्मना उदयने
लीधे अगियारमा गुणस्थानेथी नथी पड्यो पण पोतानी पर्यायमां नबळा पुरुषार्थने कारणे पोतानी लायकातथी
पड्यो छे–ते निश्चयनुं कथन छे. एक द्रव्यने कारणे बीजा द्रव्यमां कांई पण थाय एम कहेवुं ते व्यवहारकथन छे.
(२) जीव स्वपुरुषार्थ वडे अनंतवीर्य प्रगट करी शके छे.
(उत्तर) ––आ वाक्य निश्चयनयनुं छे एटले के ते यथार्थ छे अने जीवे अंतराय कर्मनो अभाव