: १८६: आत्मधर्म: ११७
(प) क्या जीवने वधारेमां वधारे शरीर होय? अने ते क्या क्या?
(६) द्रव्योमां आकार शा कारणे होय?
• उत्तर: प •
(१) दरेक द्रव्यमां अगुरुलघुत्व नामनो गुण होवाथी एक द्रव्य पलटीने बीजा द्रव्यरूपे थई जतुं नथी;
आथी जीव शरीररूपे थतो नथी.
(२) औदारिक, वैक्रियिक, आहारक, तैजस अने कार्मण ए पांच शरीरो छे.
(३) एक द्रव्यमां तेना अनंत गुणोनी अनंत अर्थपर्यायो एक साथे होय छे; अने द्रव्यअपेक्षाए एक
समये एक ज अर्थपर्याय होय छे.
(४) धर्म, अधर्म, आकाश अने काळ ए चार द्रव्योने त्रिकाळ स्वभावव्यंजनपर्याय होय छे.
(प) छठ्ठा गुणस्थानवर्ती कोई मुनिने चार शरीरो होय छे, ते आ प्रमाणे: औदारिक, तैजस, कार्मण
अने आहारक.
(६) प्रदेशत्व नामनो सामान्यगुण दरेक द्रव्यमां छे, ते प्रदेशत्व गुणने लीधे दरेक द्रव्यमां कोईने कोई
आकार होय छे.
• प्रश्न: ६ •
नीचेना पदार्थो द्रव्य छे, गुण छे के पर्याय छे? ते जणावो––
(१) सम्यग्दर्शन (२) प्रकाश (३) द्वेष (४) वस्तुत्व (प) परमाणु (६) संगीत (७) चेतना (८)
चालवुं. ––उपरना पदार्थोमां जे द्रव्य होय तेनो विशेष गुण लखो;
––जे गुण होय ते क्या द्रव्यनो केवो (सामान्य के विशेष) गुण छे ते लखो;
––अने जे पर्याय होय ते क्या द्रव्यनी केवी पर्याय (अर्थपर्याय के व्यंजनपर्याय) छे ते लखो.
• उत्तर: ६ •
(१) सम्यग्दर्शन:– ते जीवद्रव्यना श्रद्धागुणनी अर्थपर्याय छे.
(२) प्रकाश:– ते पुद्गलद्रव्यना रूपगुणनी अर्थपर्याय छे.
(३) द्वेष:– ते जीवद्रव्यना चारित्रगुणनी अर्थपर्याय छे.
(४) वस्तुत्व:– ते छए द्रव्यनो सामान्य गुण छे.
(प) परमाणु:– ते द्रव्य छे अने वर्ण–गंध–रस–स्पर्श तेना विशेष गुण छे.
(६) संगीत:– ते पुद्गलद्रव्यनी स्कंधरूप अर्थपर्याय छे.
(७) चेतना:– ते जीवद्रव्यनो विशेष गुण छे.
(८) चालवुं:– ते पुद्गलद्रव्यनी क्रियावती शक्तिनी अर्थपर्याय छे.
प्रौढ वयना गृहस्थो माटे –
जैनदर्शन – शिक्षणवर्ग
दर वर्षनी माफक आ वर्षे पण श्रावण सुद बीज (ता. ११–८–प३)
मंगळवारथी शरू करीने श्रावण वद दसम (ता. २–९–प३) बुधवार सुधी,
सोनगढमां श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट तरफथी तत्त्वज्ञानना अभ्यास माटे
जैनदर्शन–शिक्षणवर्ग खोलवामां आवशे. जे जैन भाईओने वर्गमां आववानी
ईच्छा होय तेमणे सूचना मोकली देवी अने वखतसर आवी जवुं.
–श्री जैन स्वाध्याय मंदिर
सोनगढ: सौराष्ट्र