Atmadharma magazine - Ank 118
(Year 10 - Vir Nirvana Samvat 2479, A.D. 1953)
(Devanagari transliteration).

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: २२२ : आत्मधर्म–११८ : श्रावण : २००९ :
तेनो भावार्थ ए छे के : मुनि यथाजातरूप निर्ग्रंथ दिगंबर मुद्राना धारक होय छे, तेमने तिलतुषमात्र
परिग्रहनुं ग्रहण होतुं नथी; छतां जे जीव कंई पण परिग्रह धारण करीने मुनिपणुं मनावे छे ते निगोद जाय छे.
केमके ते जीवने जिनसूत्रनी श्रद्धा नहीं होवाथी ते मिथ्याद्रष्टि छे अने मिथ्यात्वनुं फळ निगोद छे.
मुनिदशानो अलौकिक महिमा छे, अहो! मुनिवरो तो केवळी प्रभुना पाडोशी छे, तेओ पंच परमेष्ठी
पदमां भळी गया छे, अने केवळज्ञान लेवानी तैयारीवाळा छे –जाणे हमणां श्रेणी मांडीने केवळज्ञान लीधुं के
लेशे –एवी तेमनी आत्मजागृति छे. –आवा मुनिवरो मंगलरूप छे, लोकमां उत्तम छे अने भव्यजीवोने
शरणरूप छे. ए धन्यदशामां दुःख के कलेश नथी पण सिद्ध भगवान जेवो अपूर्व महाआनंद छे. आवी
मुनिदशामां घणुं दुःख छे एम जे माने छे ते मूढ छे, मुनिनी अद्भुत अंतरदशानुं तेने भान नथी. आ
मोक्षमार्गी मुनिवरो आगमचक्षुवाळा होय छे, तेनुं वर्णन करतां प्रवचनसारमां (गा. २३४ नी टीकामां) कहे छे
के : सर्वत: चक्षुपणानी सिद्धिने माटे भगवंत श्रमणो आगमचक्षु होय छे. तेओ ते आगमरूप चक्षुवडे...स्व–
परनो विभाग करीने, महामोहने जेमणे भेदी नाख्यो छे एवा वर्तता थका, परमात्माने पामीने, सतत
ज्ञाननिष्ठ ज रहे छे.
अहो! धन्य ते मुनिवर...! संयम सुधासागरमां झूलता ए संतोना पावनकारी चरणोमां भक्तिपूर्वक
नमस्कार हो...
“णमो लोए सव्व साहूणं”
र्
भादरवा सुद पांचम ने रविवार ता. १३–९–प३ थी भादरवा सुद
चौदस ने मंगळवार ता. २२–९–प३ सुधीना दस दिवसो सोनगढमां दस
लक्षणी धर्म अथवा पर्युषणपर्व तरीके ऊजवाशे. आ दिवसो दरमियान
उत्तमक्षमा वगेरे दस धर्मो उपर पू. गुरुदेवश्रीना खास अध्यात्म प्रवचनो थशे.
जैन अतिथि सेवा–समितिनी वार्षिक बेठक
भादरवा सुद बीज ने गुरुवार ता. १०–९–प३ ना रोज सांजे पांच
वागे श्री जैन अतिथि सेवा–समितिनी वार्षिक बेठक मळशे, तेमां सर्वे सभ्योने
हाजर रहेवा विनंति छे.
धार्मिक–प्रवचनना खास दिवसो
सोनगढमां दर वर्षनी माफक श्रावण वद चौदस (पहेली) ने रविवार
ता. ६–९–प३ थी भादरवा सुद पांचम ने रविवार ता. १३–९–प३ सुधीना
आठ दिवसो धार्मिक दिवसो तरीके ऊजवाशे ने आ दिवसोमां पू. गुरुदेवश्रीनां
खास प्रवचनो थशे. आ दिवसो दरमियान घणाखरा मुमुक्षुओने कामधंधाथी
निवृत्तिनो विशेष अवकाश मळतो होवाथी तेओ लाभ लई शके ते हेतुए आ
आठ दिवसो राखवामां आवे छे.