अध्यात्मनी पराकाष्ठाभूत परमपारिणामिकभाव, शुद्धकारणपर्याय
वगेरेना परम गहन रहस्यो खोली अध्यात्मतृषित सुपात्र मुमुक्षुओ पर
उपकारनी अवधि करी छे. परम महिमावंत पारिणामिकभावनी
भावनाने आ प्रवचनोमां खूब खूब घूंटी छे. ए पारिणामिकभावनुं ऊंडुं
परम प्रयोजनभूत शुद्धात्मदेवनो महिमा पू. गुरुदेवश्रीए घणी उच्च अने
घणी स्पष्ट शैलीथी गायो छे. जेने सुगुरुगमे शास्त्रोना मर्म उकेलवानी
द्रष्टि मळी चूकी छे एवा मुमुक्षुओने तो आ प्रवचनोनो स्वाध्याय अने
रटण करतां एम ज लागशे के जाणे पोते चैतन्यपरमात्माना दर्शन करवा
माटे अध्यात्मनी कोई ऊंडी–ऊंडी गुफामां ऊतरी रह्या होय! मुमुक्षुओ आ
प्रवचनोनो अतिशय एकाग्रताथी अभ्यास करी अंर्तगुफामां
बिराजमान चैतन्यदेवने देखो अने आत्मिक सुधारसने अनुभवो.
छापवामां आवी छे तेने बदले भादरवा सुद एकम, बुधवार ता :– ९–९–
प३ सुधारी लेवा विनंति छे.
आप जाणो छो के अत्यार सुधी “आत्मधर्म” अनेकान्त
वल्लभ–विद्यानगर (गुजरात) लाववामां आव्युं छे. आ फेरबदलीने
कारणे श्रावण मासनो अंक वखतसर प्रगट करी शकायुं नहीं––ते बदल
क्षमा याचीए छीए.