
परमां तो ते कांई करी शकतो नथी. दरेक पदार्थमां
पोतपोतानी अनंती शक्ति होवा छतां, परनुं कांई
करे एवी तो शक्ति कोई द्रव्यमां जरापण नथी.
त्रणकाळ त्रणलोकमां एक तणखलांने पण तोडवानुं
सामर्थ्य कोई आत्मामां नथी, जड परमाणुनी
अवस्थामां चैतन्यनो अधिकार नथी.
जैन छे, अने जे पोताना आत्माने रागवाळो
अशुद्ध ज अनुभवे छे तथा रागथी धर्म थवानुं
माने छे तेने जैनधर्मनी खबर नथी तेथी
भगवान तेने खरेखर जैन कहेता नथी.
शुद्धद्रष्टिथी पोताना शुद्ध आत्माने जे जीव देखे
छे ते ज जैनशासनने देखे छे तेथी ते ज जैन छे.
जे जीव शुद्धआत्माने नथी देखतो ने एकला
रागने ज देखे छे–ते जैनशासनने देखतो नथी,
तेथी ते जैन नथी.