Atmadharma magazine - Ank 119
(Year 10 - Vir Nirvana Samvat 2479, A.D. 1953)
(Devanagari transliteration).

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भाद्रपदः २४७९ः २२७ः
(शांतिनाथ भगवाने करेलो शांतिनो उपदेश)
(२)
(शांतिनाथ भगवानना केवळज्ञान कल्याणक प्रसंगनुं आ प्रवचन छे;
आ प्रवचननो पहेलो भाग “आत्मधर्म” अंक ११४ मां आवी गयो छे.
त्यारपछीनो बीजो भाग अहीं आप्यो छे. वीर सं. २४७प जेठ सुद ४ लाठी.)
*
दिव्यध्वनिमां चौद ब्रह्मांडना जीवोने भगवाननुं आमंत्रण
छे केः ‘अरे जीवो! तमारामां परमात्मा थवानुं सामर्थ्य भर्युं
छे.....तमे मुक्तिने लायक छो....आ मोक्षना मांडवा नंखाया छे, तमे
पण तमारी परमात्मदशा प्राप्त करवा माटे आ मोक्षना मांडवे
आवो! अंर्तअवलोकन वडे तमारा आत्माने ओळखीने तेनो
महिमा करो तो अल्पकाळमां सिद्धदशा प्रगटे.’
भगवाननी दिव्यवाणी तो अमोघवाणी छे, ते कदी खाली
जाय नहीं..... ते वाणी झीलीने धर्मवृद्धि करनारा जीवो जरूर होय
ज...वाणी काने पडतां ज पात्र श्रोताने तो एम थाय के अहो! मने
आवी अपूर्व वाणी मळी छे तो हुं नक्की मारी पात्रताथी समजीने
अल्पकाळमां मुक्त थईश....आ प्रमाणे जे ऊंडेथी हा पाडीने यथार्थ
वात समजी जाय तेवा ज श्रोता अहीं लीधा छे...एवो श्रोता धन्य
छे, तेनुं जरूर कल्याण थई जाय छे.
*
शांतिनाथ भगवानने केवळज्ञान थया पछी दिव्यध्वनि छूटयो. भगवानने पोताने तो पूर्णशांति हती ने
बीजाओने पण दिव्यध्वनि द्वारा शांतिनो उपदेश देता हता....हे जीवो! तमारे आत्महित करवुं होय, शांति
जोईती होय, तो वस्तुस्वरूपनी स्वतंत्रता जाणीने आत्मस्वभावनो आश्रय करो.
* स्वतंत्रतानो ढंढेरो *
भगवानना दिव्यध्वनिमां, वस्तुनी त्रिकाळी शक्ति अने तेनी समय समयनी पर्यायोनी स्वतंत्रतानो
ढंढेरो पीटयो छे. त्रिकाळी द्रव्य स्वतंत्र छे अने तेनी समय समयनी अवस्था पण स्वतंत्र छे. अज्ञानी जीवो
काळलब्धिनुं नाम लईने पराश्रयमां अटकी जाय छे, परंतु काळ तो परवस्तु छे, खरेखर आत्माना स्वभाव
तरफना पुरुषार्थनी दशा ते ज आत्मानी स्वकाळलब्धि छे. त्रिकाळी सत् अने समय समयनुं सत् स्वतंत्र छे;
बधा पदार्थो अने तेमनी वर्तमान पर्याय स्वतंत्र छे. आत्मा जडकर्मने लीधे रखडतो नथी अने जडकर्म आत्माने
विकार करावतुं नथी. जो जीवनी पर्यायनो कर्ता बीजो कहो तो जीवनी स्वतंत्रता ज क्यां रही? आ जीवनो कर्ता
बीजो छे एम कहो तो जीववस्तु ज स्वतंत्र सिद्ध थती नथी; जेनो कर्ता होय ते वस्तु कृत्रिम करे, त्रिकाळी
वस्तुनो कोई कर्ता न होय. अने जो त्रिकाळी वस्तुनो कोई कर्ता नथी तो तेना वर्तमाननो पण कर्ता कोण होय?
–कोई कर्ता नथी. जेम