Atmadharma magazine - Ank 120
(Year 10 - Vir Nirvana Samvat 2479, A.D. 1953)
(Devanagari transliteration).

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आत्मधर्म: १२०: : २५७ :
• जे आत्मा पोतानी पूर्ण ज्ञानशक्तिनी प्रतीत करे ते ज खरो जैन अने सर्वज्ञदेवनो भक्त छे.
• आत्मा परने ल्ये–मूके, के तेमां फेरफार करे एम जे माने छे ते जीव आत्मानी शक्तिने, सर्वज्ञदेवने के
जैनशासनने मानतो नथी, ते खरेखर जैन नथी.
* * *
• जुओ भाई! आत्मानो स्वभाव ज ‘सर्वज्ञ’ छे, सर्वज्ञशक्ति बधा आत्मामां भरी छे. ‘सर्व... ज्ञ’
एटले बधाने जाणनार. बधाने जाणे एवो मोटो महिमावंत पोतानो स्वभाव छे, तेने अन्यपणे–
विकारीस्वरूपे मानी लेवो ते आत्मानी मोटी हिंसा छे. आत्मा मोटो भगवान छे, तेनी मोटाईना आ
गाणां गवाय छे.
* * *
• भाई रे! तुं सर्वनो ज्ञ एटले जाणनार छो पण परमां फेरफार करनार तुं नथी. ज्यां दरेक–दरेक वस्तु
जुदी छे त्यां जुदी चीजनुं तुं शुं कर? तुं स्वतंत्र अने ते पण स्वतंत्र. अहो! आवी स्वतंत्रतानी
प्रतीतमां एकली वीतरागता छे.
* * *
• ‘अनेकान्त’ एटले हुं मारा ज्ञानतत्त्वपणे छुं ने परपणे नथी–एम नक्की करतां ज जीव स्वतत्त्वमां रही
गयो ने अनंता परतत्त्वोथी उदासीनता थई गई. आ रीते अनेकान्तमां वीतरागता आवी जाय छे.
* * *
ज्ञानतत्त्वनी प्रतीत वगर पर प्रत्येथी साची उदासीनता थाय नहि.
* * *
• स्व–परना भेदज्ञान वगर वीतरागता थाय नहि. ज्ञानतत्त्वने चूकीने ‘हुं परनुं करुं’ एम मानवुं ते
एकान्त छे, तेमां मिथ्यात्व अने राग–द्वेष भरेला छे, ते ज संसारभ्रमणनुं मूळ छे.
* * *
• ‘हुं ज्ञानपणे छुं ने परपणे नथी’ –एवा अनेकान्तमां भेदज्ञान अने वीतरागता छे, ते ज मोक्षमार्ग
छे अने ते परमअमृत छे.
× × ×
• जगतमां स्व अने पर बधा तत्त्वो निज–निज स्वरूपे सत् छे, आत्मानो स्वभाव तेने जाणवानो छे;
छतां, ‘हुं परने फेरवुं’ एवा ऊंधा अभिप्रायमां सत्नुं खून थाय छे तेथी ते ऊंधा अभिप्रायने महान
हिंसा कहेवामां आवी छे अने ते ज महान पाप छे.
× × ×
• अहो! हुं तो ज्ञान छुं. आखुं जगत एम ने एम पोतपोताना स्वरूपमां बिराजी रह्युं छे ने हुं मारा
ज्ञानतत्त्वमां बिराजुं छुं; तो पछी क्यां राग ने क्यां द्वेष! राग–द्वेष क्यांय छे ज नहि. हुं तो बधायने
जाणनार सर्वज्ञतानो पिंड छुं, मारा ज्ञानतत्त्वमां राग–द्वेष छे ज नहि. –आम धर्मी जाणे छे.
× × ×
• हे जीव! ज्ञानी तने तारो आत्मवैभव देखाडे छे. पोताना ज्ञानमां ज स्थिर रहीने एक समयमां
त्रणकाळ–त्रणलोकने जाणे एवो ज्ञानवैभव तारामां भर्यो छे. जो तारी सर्वज्ञशक्तिनो विश्वास कर तो
क्यांय फेरफार करवानी बुद्धि ऊडी जाय.
× × ×
• वस्तुनी पर्यायमां जे समये जे कार्य थवानुं छे ते ज नियमथी थाय छे अने सर्वज्ञना ज्ञानमां ते ज
प्रमाणे जणायुं छे;–आम जे नथी मानतो अने निमित्तने लीधे तेमां फेरफार थवानुं माने छे तेने
वस्तुना स्वरूपनी के सर्वज्ञतानी प्रतीत नथी.
× × ×