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परिणाम अने तेनो कर्ता
(१) प्रश्नः– जडने परिणाम होय?
उत्तरः– हा; जडने पण परिणाम होय छे.
(२) प्रश्नः– जडमां ज्ञान तो नथी, तो तेने परिणाम कई रीते होय?
उत्तरः– जड वस्तुमां ज्ञान–दर्शनरूप के राग–द्वेषरूप परिणाम न होय, पण तेनी अवस्थारूप जड परिणाम
होय छे. जेमके, शरीर चाले, ऊभुं रहे, बोलाय वगेरे अवस्थाओ थाय छे ते बधाय जडना
परिणाम छे.
(३) प्रश्नः– ते जडनां परिणामनो कर्ता कोण छे?
उत्तरः– ते जडनां परिणामनो कर्ता जड पोते छे. दरेक वस्तु पोते पोताना परिणामनी कर्ता छे. शरीर हाले–
चाले–बोलाय ते बधा जडना परिणाम छे ने तेनो कर्ता जड छे, आत्मा तेनो कर्ता नथी.
(४) प्रश्नः– परिणाम एटले शुं?
उत्तरः– जीव के अजीव दरेक द्रव्य परिणामी छे एटले समये समये तेमां नवी पर्याय थया करे छे, ते
पर्यायने ‘परिणाम’ कहेवाय छे. अथवा परिणाम एटले कार्य.
(प) प्रश्नः– परिणाम कयां रहे छे?
उत्तरः– परिणाम अने परिणामी अभेद छे एटले जे द्रव्यना परिणाम होय ते द्रव्यमां ज ते परिणाम रहे
छे; द्रव्यना परिणाम द्रव्यथी जुदा होय नहीं.
(६) प्रश्नः– कर्म कोनां परिणाम छे?
उत्तरः– कर्म ते जड पुद्गलना परिणाम छे, तेनो कर्ता जड छे, जीव तेनो कर्ता नथी.
(७) प्रश्नः– राग कोनां परिणाम छे?
उत्तरः– राग ते जीवनां परिणाम छे, तेनो कर्ता जीव छे, जडकर्म तेना कर्ता नथी.
(८) प्रश्नः– एक द्रव्य बीजा द्रव्यना परिणामने करे?
उत्तरः– ना; जड के चेतन सर्वे द्रव्यो पोतपोताना परिणामना कर्ता छे; कोई द्रव्यना परिणामनुं कर्ता बीजुं
द्रव्य नथी. दरेक द्रव्य पोते कर्ता छे अने तेना परिणाम ते तेनुं कर्म छे.
(९) प्रश्नः– बे द्रव्यो भेगां थईने एक अवस्था करे के नहि?
उत्तरः– ना, बे द्रव्यो भेगां थईने एक अवस्था करता नथी, केमके एक परिणामना कर्ता बे न होय; एटले
छे.
(१०) प्रश्नः– आ समजवाथी शुं लाभ?
उत्तरः– दरेक द्रव्य स्वतंत्र छे अने ते दरेक द्रव्य पोते ज पोताना कार्यने करे छे,–आम समजतां समस्त पर
द्रव्योथी आत्मानुं भेदज्ञान थाय छे अने परनी क्रियाना कर्तापणानी मिथ्याबुद्धि छूटी जाय छे, तेम ज
मारुं काम बीजो करे–एवी पराश्रयपणानी मिथ्याबुद्धि छूटी जाय छे;–आम थतां स्वद्रव्यनो आश्रय
थाय छे ने स्वद्रव्यना आश्रये सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्ररूप धर्मनो लाभ थाय छे.
(–श्री समयसार कळश प१ थी प४ ना प्रवचन उपरथी.)
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कारतकः २४८० ः १३ः