Atmadharma magazine - Ank 121
(Year 11 - Vir Nirvana Samvat 2480, A.D. 1954)
(Devanagari transliteration).

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महावीर भगवानी.मुक्तिनो.मंगल.महोत्सव
(श्री महावीर निर्वाण–कल्याणक–महोत्सव प्रसंगना
पू. गुरुदेवश्रीना जुदा जुदा प्रवचनो उपरथी.)
महावीर भगवान पोते सिद्ध थया ए तो सर्वोत्कृष्ट मंगळ छे...अने...जे
भव्यात्माओए पोताना आत्मामां शुद्ध सम्यग्दर्शनादि प्रकाश प्रगटावीने सिद्धदशा सन्मुख
पुनीत पगलां मांडया छे तेओ पण धन्य छे...ते पण अपूर्व मंगळ छे.
* * *
आजे मुक्तिना महोत्सवनो मांगलिक दिवस छे. आ भरतक्षेत्रना अंतिम तीर्थंकर श्री महावीर भगवान
आजे मुक्त थया. आजथी २४७९ वर्ष पहेलां तेओश्री आ भरतभूमिमां तीर्थंकरपणे विचरता हता; ते वखते तो
इन्द्रो अने देवोना टोळां भगवाननी पूजा–भक्ति करवा अहीं ऊतरता हता. आजे आसो वद अमासना परोढिये
भगवान अभूतपूर्व सिद्धदशा पाम्या; तेनो आजे महोत्सव छे. भगवान पावापुरीमांथी मोक्ष पाम्या; त्यारे देव–
देवेन्द्र अने अनेक राजाओ वगेरेए रत्नदीपको वडे भगवानना निर्वाण–कल्याणकनो महोत्सव कर्यो, तेथी ते दिवस
दिपावली पर्व तरीके प्रसिद्ध छे. आ रीते दीपावली पर्व लौकिक तहेवारनो दिवस नथी पण भगवाननी मुक्तदशानो
मांगलिक महोत्सव छे.
*
मोक्षार्थी जीवोए ए विचारवुं जोईए के भगवान कोण हता अने तेओ कई रीते मोक्ष पाम्या? महावीर
भगवान पण जेवा आ बधा आत्माओ छे तेवा आत्मा छे; तेओ पण पहेलां अज्ञानदशामां चार गतिमां भ्रमण
करता हता; पछी कोई धन्य पळे अपूर्व पुरुषार्थथी आत्मतत्त्वनी ओळखाण करीने उन्नति–क्रममां चडतां चडतां तेओ
त्रणलोकनानाथ तीर्थंकर थया. आत्मामां जे केवळज्ञान अने परमानंद सामर्थ्यरूपे हता ते तेमने पर्यायमां परिपूर्ण
व्यक्त थई गया. भगवान जेवुं ज स्वभावसामर्थ्य दरेक आत्मामां भर्युं छे; तेनी ओळखाण करीने तेमां लीन थतां
पर्यायमां ते व्यक्त थाय छे. आ रीते कोई पण आत्मा भगवान जेवी दशा प्रगट करी शके छे.
महावीर भगवाननो आत्मा अत्यारे सिद्धदशामां बराबर पावापुरी उपरना सिद्धक्षेत्रमां बिराजे छे, पूर्ण
अतीन्द्रिय आनंद तेमने प्रगटी गयो छे, देहरहित दशा प्रगटी गई छे, कोईपण अन्य द्रव्योनी अपेक्षा वगर एकला
आत्मस्वभावथी ज तेओ परिपूर्ण ज्ञान अने सुखमय थई गया छे, अने हवे पछीना अनंत–अनंत काळ सुधी एवी
ज कृतकृत्यदशामां बिराजमान रहेशे. अहो! ए सिद्धदशाना महिमानी शी वात? धन्य ए दशा...
‘सादि अनंत अनंत समाधि सुखमां;
अनंत दर्शन ज्ञान अनंत सहित जो.
–अपूर्व अवसर एवो कयारे आवशे?
जुओ, आ आत्माना सिद्धपदना गाणां! आ सिद्धपदनो महिमा करवा जेवो छे. कोईने पुत्र जन्मे के लग्न
थाय तेने जगतमां मंगळ कहे छे, पण खरेखर तो आत्मानी मोक्षदशा प्रगटे ते ज अपूर्व मंगळ छे. मोटा राजवैभव
के बंगला अने स्त्री के पुत्र वगेरे संयोगो तो पूर्वे अनंतवार जीवने मळी गया छे, पण पूर्वे कदी नहि पामेल एवी
तो एक मोक्षदशा ज छे, तेथी ते ज अभूतपूर्व छे. भगवान एवी अभूतपूर्व सिद्धदशाने आजे पाम्या. भगवाननी
जेम आ आत्मा पण कई रीते मोक्ष पामे, मोक्षनो उपाय शुं छे–ते समजवुं जोईए. भगवान मोक्ष पाम्या तेनो
महोत्सव ऊजवे अने पूजा करे, पण मोक्षनो उपाय शुं छे ते पोते न समजे तो पोताने अपूर्व कल्याणनो लाभ थाय
नहि.
*
दीपावली पर्व ते तो खरेखर महावीर भगवाननी मुक्तिनो महान मांगलिक महोत्सव छे; तेने बदले
अत्यारे तो लोको लक्ष्मीपूजन–चोपडापूजन वगेरे अशुभभाव करीने
कारतकः २४८०
ः पः