पुनीत पगलां मांडया छे तेओ पण धन्य छे...ते पण अपूर्व मंगळ छे.
इन्द्रो अने देवोना टोळां भगवाननी पूजा–भक्ति करवा अहीं ऊतरता हता. आजे आसो वद अमासना परोढिये
भगवान अभूतपूर्व सिद्धदशा पाम्या; तेनो आजे महोत्सव छे. भगवान पावापुरीमांथी मोक्ष पाम्या; त्यारे देव–
देवेन्द्र अने अनेक राजाओ वगेरेए रत्नदीपको वडे भगवानना निर्वाण–कल्याणकनो महोत्सव कर्यो, तेथी ते दिवस
दिपावली पर्व तरीके प्रसिद्ध छे. आ रीते दीपावली पर्व लौकिक तहेवारनो दिवस नथी पण भगवाननी मुक्तदशानो
मांगलिक महोत्सव छे.
करता हता; पछी कोई धन्य पळे अपूर्व पुरुषार्थथी आत्मतत्त्वनी ओळखाण करीने उन्नति–क्रममां चडतां चडतां तेओ
त्रणलोकनानाथ तीर्थंकर थया. आत्मामां जे केवळज्ञान अने परमानंद सामर्थ्यरूपे हता ते तेमने पर्यायमां परिपूर्ण
व्यक्त थई गया. भगवान जेवुं ज स्वभावसामर्थ्य दरेक आत्मामां भर्युं छे; तेनी ओळखाण करीने तेमां लीन थतां
पर्यायमां ते व्यक्त थाय छे. आ रीते कोई पण आत्मा भगवान जेवी दशा प्रगट करी शके छे.
आत्मस्वभावथी ज तेओ परिपूर्ण ज्ञान अने सुखमय थई गया छे, अने हवे पछीना अनंत–अनंत काळ सुधी एवी
ज कृतकृत्यदशामां बिराजमान रहेशे. अहो! ए सिद्धदशाना महिमानी शी वात? धन्य ए दशा...
के बंगला अने स्त्री के पुत्र वगेरे संयोगो तो पूर्वे अनंतवार जीवने मळी गया छे, पण पूर्वे कदी नहि पामेल एवी
तो एक मोक्षदशा ज छे, तेथी ते ज अभूतपूर्व छे. भगवान एवी अभूतपूर्व सिद्धदशाने आजे पाम्या. भगवाननी
जेम आ आत्मा पण कई रीते मोक्ष पामे, मोक्षनो उपाय शुं छे–ते समजवुं जोईए. भगवान मोक्ष पाम्या तेनो
महोत्सव ऊजवे अने पूजा करे, पण मोक्षनो उपाय शुं छे ते पोते न समजे तो पोताने अपूर्व कल्याणनो लाभ थाय
नहि.
कारतकः २४८०