Atmadharma magazine - Ank 123
(Year 11 - Vir Nirvana Samvat 2480, A.D. 1954)
(Devanagari transliteration).

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सु.व.र्ण.पु.री.स.मा.चा.र
* पू. गुरुदेवनो विहार *
परम पूज्य गुरुदेवना प्रभावे सौराष्ट्रमां अनेक जिनमंदिरो थया छे, तेमां पंचकल्याणक प्रतिष्ठा तेम ज वेदी
प्रतिष्ठाना मंगळ प्रसंगो निमित्ते सोनगढथी पोष वद त्रीज ने बुधवार (ताः २१–१–प४) ना रोज पू. गुरुदेवनो
विहार थशे. पोष वद त्रीजे सोनगढथी विहार करीने पू. गुरुदेव उमराळा पधारशे अने ते ज दिवसे त्यां
“कहानगुरु जन्मभूमिस्थान” नुं तेम ज “उजमबा स्वाध्याय गृह” नुं उद्घाटन थशे.
उमराळा बाद राजकोट थईने पू. गुरुदेव माह सुद १० दसम लगभगमां जुनागढ गीरनारजी तीर्थनी
यात्राए पधारशे. अने त्यारबाद पोरबंदर वगेरे स्थळोए पधारशे. प्रतिष्ठाना मुहूर्तो नीचे प्रमाणे छेः–
पोरबंदर (पंचकल्याणक प्रतिष्ठा) फागण सुद ३
मोरबी (पंचकल्याणक प्रतिष्ठा) चैत्र सुद २
वांकानेर (पंचकल्याणक प्रतिष्ठा) चैत्र सुद १३
वढवाण सीटी (वेदी प्रतिष्ठा) चैत्र वद ८
वढवाण केम्प (वेदी प्रतिष्ठा) वैशाख सुद ३
राणपुर (वेदी प्रतिष्ठा) वैशाख सुद १३
बोटाद (वेदी प्रतिष्ठा) वैशाख वद
उमराळा (वेदी प्रतिष्ठा) जेठ सुद ४
* * *
* पू. गुरुदेवना विहार दरम्यान सोनगढमां जैन अतिथि सेवा समिति तेम ज पुस्तक वेचाण विभाग बंध
राखवामां आवशे; तेनी सौए नोंध लेवी.
* आ अंकमां संपादकीय–लेख आपी शकायो नथी.
– ः राणपुरमां जिनमंदिरनुं खातमुहूर्त ः –
परम पूज्य सद्गुरुदेवश्रीना पुनित प्रभावे वीतरागी जैनधर्मनी प्रभावना दिन प्रतिदिन वृद्धिगत थई रही
छे, अने ठेर ठेर वीतरागी जिनमंदिरो थाय छे. मागसर वद एकमना मंगलदिने राणपुरमां श्री महावीर भगवानना
दि. जिनमंदिरनुं खातमुहूर्त मुमुक्षुओना घणा उल्लासपूर्वक पोरबंदरना शेठ श्री नेमिदास खुशालभाईना सुहस्ते थयुं
छे. आ मंगल प्रसंग निमित्ते श्री जिनेन्द्रदेवनी रथयात्रा घणा उल्लासथी नीकळी हती. खातमुहूर्त विधि बाद शेठ श्री
नेमिदासभाईए पोताने आवो मंगल अवसर प्राप्त थयो ते बदल उल्लासभर्युं प्रासंगिक प्रवचन कर्युं हतुं अने पू.
गुरुदेवश्रीना प्रतापे आवा मंगल प्रसंगो फरी फरी प्राप्त थाओ–एवी भावना साथे रूा. २प०१) पोताना नामथी
तेमज रूा. २प०१) तेमना धर्मपत्नीना नामथी राणपुर जिनमंदिरने अर्पण कर्या हता. खातमुहूर्त प्रसंगे बीजा
भक्तजनोए पण उल्लासपूर्वक भाग लईने रकमो जाहेर करी हती. एकंदरे फाळो रूा. १२६००) उपरांत थयो हतो,
–जेमां सोनगढना जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट तरफथी आवेला २प०१) रूा. नो पण समावेश थई जाय छे.
राणपुरमां आ खातमुहूर्तना मंगल प्रसंगे त्यांना शेठश्री प्रेमचंदभाई तथा नाराणभाई वगेरे भक्तजनोने
घणो ज उल्लास हतो; तेम ज आ प्रसंगे सोनगढथी पू. बेनश्री बेनजी पधार्या होवाथी आ प्रसंग विशेष उल्लासथी
उजवायो हतो. आ मंगल प्रसंगनी प्राप्ति माटे राणपुरना मुमुक्षुओने धन्यवाद!