Atmadharma magazine - Ank 124
(Year 11 - Vir Nirvana Samvat 2480, A.D. 1954)
(Devanagari transliteration).

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: महा : २०१० : आत्मधर्म–१२४ : ८३ :
वैराग्यना प्रसंग
(१) भाईश्री शांतिलाल गीरधरलालना धर्मपत्नी श्री बेनकुंवरबेन मागसर वद नोमना रोज मुंबई
मुकामे बिमारीथी मात्र ३८ वर्षनी वये स्वर्गवास पाम्या छे. छेल्ला केटलाक वर्षथी तेओ सोनगढ रहेता हता,
तेमने तत्त्व समजवानो प्रेम हतो अने बहु वात्सल्यवाळा हता, तथा पू. गुरुदेव प्रत्ये तेमने घणो भक्तिभाव
हतो. मुंबईमां तबियतनी गंभीर स्थिति दरमियान पण तेओ पू. गुरुदेवना प्रवचन (रील द्वारा) सांभळता
हता, अने प्रसन्न थता हता. टुंका जीवनमां पण तत्त्वना संस्कार वडे तेमणे जीवनने सार्थक कर्युं छे अने पाछळ
पोतानी बंने पुत्रीओने पण तेनो वारसो आपी गया छे. आवा वैराग्य प्रसंग देखीने जिज्ञासुओए जीवनमां
तत्त्व समजवानी दरकार करवी जोईए अने ते माटे प्रमाद छोडीने अहर्निश जाग्रत रहेवुं जोईए.
(२) गारियाधारना भाईश्री शीवलाल चत्रभुज पोष वद बीजनी रात्रे उमराळामां अचानक हृदय बंध
पडी जवाथी स्वर्गवास पाम्या छे. तेओ छेल्लां बार वर्षथी पू. गुरुदेवना समागममां रहेता हता, पू. गुरुदेव
प्रत्ये तेमने घणो भक्तिभाव हतो तथा तत्त्वनो प्रेम हतो. उमराळामां उत्सव प्रसंग जोवा माटे तेमने घणी होंश
हती अने ते माटे तेओ उमराळा आव्या हता. पण सवार पडतां पहेलांं तो अनित्यताए तेमने पोतानी गोदमां
समावी दीधा. एकाएक आ समाचार सांभळता मंडळना भाई–बेनोमां वैराग्यनी लागणी प्रसरी गई हती.
जीवननी आवी अनित्यता जाणीने आत्मार्थी जीवोए धु्रव चैतन्यतत्त्वनी भावना करवा जेवी छे....
सत्समागमे क्षणना पण प्रमाद वगर चैतन्यनी समजण करवा जेवी छे.
ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा
(१) भावनगरना भाईश्री हरिलाल जीवराजभाई भायाणीना सुपुत्री श्री. निर्मळाबेने पोष
सुद पांचमना रोज सोनगढनां पू. गुरुदेव पासे आजीवन ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा अंगीकार करी छे. तेमनी उंमर
हाल ३५ वर्षनी छे. तेओ सुशिक्षित अने कुमारिका छे. आ शुभ कार्य माटे तेमने धन्यवाद घटे छे.
(२) पोष वद बीजना रोज गढडाना भाईश्री अमीचंद गोपालजी कामदार तथा तेमना धर्म–
पत्नी ए बंनेए सजोडे आजीवन ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा पू. गुरुदेव पासे सोनगढमां अंगीकार करी छे, ते
बदल तेमने धन्यवाद!
(३) पोष वद चोथना रोज उमराळाना भाईश्री मगनलाल पोपटलाल महेता तथा तेमना
धर्मपत्नी ए बंनेए सजोडे आजीवन ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा पू. गुरुदेव पासे उमराळामां अंगीकार करी छे, ते
बदल तेमने धन्यवाद!
विहार – वर्तमान
परम पूज्य सद्गुरुदेव कानजी स्वामी धर्मप्रभावनाना अनेक मंगलकार्यो निमित्ते
सौराष्ट्रमां विहार करी रह्या छे. पोष वद त्रीजना रोज सोनगढथी विहार करीने उमराळा
पधार्या हता, उमराळा त्रण दिवस रोकाईने, लीमडा तथा दामनगर थईने पोष वद ७
ना रोज लाठी पधार्या छे. त्यांथी पोष वद १२ ने रविवारे राजकोट पधारशे. त्यारबाद
गोंडल, वडीआ, जेतपुर वगेरे थईने महा सुद १० लगभगमां जुनागढ गिरनार तीर्थनी
यात्राए पधारशे; अने त्यांथी पोरबंदर पधारशे. पोरबंदरमां पंचकल्याणक प्रतिष्ठा
महोत्सव छे, तेनुं मुहुर्त फागण सुद त्रीजनुं छे. विहारमां परमपूज्य गुरुदेव सुखशांतिमां
बिराजे छे अने पोताना पवित्र वचनामृत द्वारा सौराष्ट्रमां धर्मवृष्टि करता जाय छे.