तेमने तत्त्व समजवानो प्रेम हतो अने बहु वात्सल्यवाळा हता, तथा पू. गुरुदेव प्रत्ये तेमने घणो भक्तिभाव
हतो. मुंबईमां तबियतनी गंभीर स्थिति दरमियान पण तेओ पू. गुरुदेवना प्रवचन (रील द्वारा) सांभळता
हता, अने प्रसन्न थता हता. टुंका जीवनमां पण तत्त्वना संस्कार वडे तेमणे जीवनने सार्थक कर्युं छे अने पाछळ
पोतानी बंने पुत्रीओने पण तेनो वारसो आपी गया छे. आवा वैराग्य प्रसंग देखीने जिज्ञासुओए जीवनमां
तत्त्व समजवानी दरकार करवी जोईए अने ते माटे प्रमाद छोडीने अहर्निश जाग्रत रहेवुं जोईए.
प्रत्ये तेमने घणो भक्तिभाव हतो तथा तत्त्वनो प्रेम हतो. उमराळामां उत्सव प्रसंग जोवा माटे तेमने घणी होंश
हती अने ते माटे तेओ उमराळा आव्या हता. पण सवार पडतां पहेलांं तो अनित्यताए तेमने पोतानी गोदमां
समावी दीधा. एकाएक आ समाचार सांभळता मंडळना भाई–बेनोमां वैराग्यनी लागणी प्रसरी गई हती.
जीवननी आवी अनित्यता जाणीने आत्मार्थी जीवोए धु्रव चैतन्यतत्त्वनी भावना करवा जेवी छे....
सत्समागमे क्षणना पण प्रमाद वगर चैतन्यनी समजण करवा जेवी छे.
हाल ३५ वर्षनी छे. तेओ सुशिक्षित अने कुमारिका छे. आ शुभ कार्य माटे तेमने धन्यवाद घटे छे.
बदल तेमने धन्यवाद!
पधार्या हता, उमराळा त्रण दिवस रोकाईने, लीमडा तथा दामनगर थईने पोष वद ७
ना रोज लाठी पधार्या छे. त्यांथी पोष वद १२ ने रविवारे राजकोट पधारशे. त्यारबाद
गोंडल, वडीआ, जेतपुर वगेरे थईने महा सुद १० लगभगमां जुनागढ गिरनार तीर्थनी
यात्राए पधारशे; अने त्यांथी पोरबंदर पधारशे. पोरबंदरमां पंचकल्याणक प्रतिष्ठा
महोत्सव छे, तेनुं मुहुर्त फागण सुद त्रीजनुं छे. विहारमां परमपूज्य गुरुदेव सुखशांतिमां
बिराजे छे अने पोताना पवित्र वचनामृत द्वारा सौराष्ट्रमां धर्मवृष्टि करता जाय छे.