: ६६ : आत्मधर्म–१२४ : महा : २०१० :
उमराळा नगरीमां
‘श्री कहानगुरु – जन्मधाम’ तथा ‘उजमबा – जैन स्वाध्याय गृह’ ना
उद्घाटनो मंगल महोत्सव तथा स्वाध्याय गृहमां समयसारजीनी स्थापना
आजथी ६३ वर्ष पहेलांं मोतीचंदभाईने घेर उजमबा मातानी कुंखे अवतार लईने श्री कहान
कुंवर–गुरुदेवे जे घरने पावन कर्युं ते घर नवेसरथी (जूना प्रमाणे ज) बांधवामां आव्युं छे, अने तेनुं
नाम श्री. कहानगुरु–जन्मधाम राख्युं छे, तथा तेनी बाजुमां ज “श्री उजमबा–जैन स्वाध्याय गृह”
बांधवामां आव्युं छे, पोष वद त्रीजे आ बंनेनुं उद्घाटन मुमुक्षुओना उल्लासपूर्वक थयुं अने पोष वद
चोथने शुक्रवारे परम पूज्य गुरुदेवना पवित्र करकमळथी “स्वाध्याय गृह” मां ग्रंथाधिराज
समयसारजीनी स्थापना थई.
सोनगढथी विहार करीने पूज्य गुरुदेव पोष वद त्रीजे उमराळा पधार्या त्यारे उमराळानी
जनताए तेमज भक्तमंडळे उमळकाभेर पू. गुरुदेवनुं स्वागत कर्युं त्यारबाद तरत शेठ श्री नानालाल
काळीदास जसाणीना सुहस्ते उजमबा–जैन स्वाध्यायगृहनुं उद्घाटन थयुं; तेमां पदापर्ण करीने पू.
गुरुदेवश्रीए मांगळीक संभळाव्युं. त्यारबाद श्रीमान रामजीभाई माणेकचंद दोशीना सुहस्ते “श्री
कहानगुरु–जन्मधाम”नुं उद्घाटन थयुं... अने जन्मथी पावन थयेली ए पवित्र भूमिने पू. गुरुदेवे
पोतना चरणकमळथी फरीने पावन करी.
बपोरे पू. गुरुदेवनुं प्रवचन थयुं. प्रवचन सांभळवा गामना लोको उलटभेर आवता हता;
प्रवचनमां तत्त्वज्ञान तरंगिणीनुं वांचन शरू करेल छे. प्रवचन बाद लगभग त्रणेक हजार रू।. नुं फंड थयुं
हतुं. त्यारबाद ‘जन्मधाम’मां घणां ज उल्लासपूर्वक भक्ति थई हती. भक्तिमां पू बेनश्रीबेने प्रथम
“तुम पाद पंकज अहीं थया आ देशने पण धन्य छे,
आ गाम पुर ज धन्य छे...ए मात कुळ ज वंद्य छे.”
–ईत्यादि काव्यथी स्तुति करी हती. पछी “धन्य धन्य श्री उमराळागाम प्रगट्या धर्मधुरंधर
कहान” ए स्तुति करी हती अने त्यारबाद “वाह वाह जी वाह! ” वाळी अद्भुत धून करावी हती. पू.
बेनश्रीबेन ऊभा थईने ज्यारे ए भक्तिनी धून गवडावतां हतां त्यारे ए अद्भुत भक्ति जोनारा
आश्चर्यमां गरकाव थई जता हता.
पोष वद चोथ ने शुक्रवारे स्वाध्यायगृहमां श्री समयसारजी नी स्थापना पू. गुरुदेवश्रीना मंगल
हस्ते थई. प्रथम समयसारजीनी रथयात्रा नीकळी हती, पछी भक्तोना जयजयकार वच्चे पू.
गुरुदेवश्रीए ““ चिदानंदाय नम:” एवा मंगल हस्ताक्षर करीने घणा ज भावथी श्री समयसारजीनी
स्थापना बाद पू गुरुदेवे टूंकुं पण घणा ज भाव भरेलुं प्रवचन कर्युं हतुं.
उमराळामां उपर्युक्त बंने स्थानो तैयार करवा माटे खास करीने पालेजवाळा शेठ कुंवरजीभाई
तथा आणंदजीभाई वगेरेने घणी भावना हती, तेमज आ स्थानो तैयार कराववामां तेमणे घणी होंश
अने उत्साहथी अग्रगण्य भाग लीधो छे.