Atmadharma magazine - Ank 125
(Year 11 - Vir Nirvana Samvat 2480, A.D. 1954)
(Devanagari transliteration).

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: फागण : २०१० : आत्मधर्म–१२५ : १०१ :
स्वभावने ओळखवो ते धर्मनो उपाय छे.
अनादिकाळमां एक सेकंड पण जीवे चैतन्यतत्त्वनी ओळखाण करी नथी. ने अज्ञानभावे
पुण्य–पाप करीने स्वर्ग–नरकादि चार गतिमां अवतार कर्या छे. नरकनुं पण नीचे स्थान छे त्यां
जीव पापनुं फळ भोगवे छे. नरक ते कल्पना नथी पण नीचे तेनुं स्थान छे, तीव्र पाप करनारा
जीवो पापनुं फळ भोगववा त्यां जाय छे, जुओ, आ लोकमां राजना कायदामां तो लाखो
माणसनी हिंसा करनारने पण एक ज वार फांसी अपाय छे, कांई लाख वार फांसी अपाती
नथी. तो एक माणसने मारवानुं फळ एकवार फांसी, ने लाखो माणसोने मारवाना भावनुं
फळ पण तेटलुं ज–एम केम होय? मने जे कोई प्रतिकूळता करे ते बधायने मारे मारवा, पछी
तेने माटे गमे तेटलो काळ जोईए के गमे तेटली संख्या होय पण प्रतिकूळता करनारने मारे
मारवा. आम लाखो–करोडो जीवोनी हिंसा क्रूर परिणाम जे जीव करे छे ते नरकमां जाय छे.
बहारमां भले जीवो मरे के न मरे, पण घणा काळ सुधी घणा जीवोने मारी नाखवाना जे
परिणाम थया ते पापनुं फळ नरक छे. अहीं तो एम कहेवुं छे के पापथी नरकमां ने पुण्यथी
स्वर्गमां अनंतवार जीव गयो, पण ते पुण्य–पापथी पार चैतन्यतत्त्वनी समजण पूर्वे कदी करी
नथी. आत्माना स्वभावनुं भान करवुं ते अपूर्व चीज छे. जेम लींडी पीपरना एकेक दाणामां
चोसठ–पोरी तीखाशनी ताकात पडी छे, तेम एकेक आत्मामां परिपूर्ण केवळज्ञान थवानी
ताकात पडी छे. आवा चैतन्यतत्त्वनी प्रतीत करो .....ओळखाण करो, सत्समागमे तेनुं श्रवण–
मनन करो. बहारमां पैसा वगेरे आवे तेमां आत्मानुं कांई डहापण नथी. ते तो पूर्वनां पुण्य–
अनुसार आवे छे, अज्ञानी मफतनो अभिमान करे छे. शरीर मारुं, शरीरना काम हुं करुं–एम
परनो अहंकार करीने तथा पुण्य–पापमां ममकार करीने पोते ज पोताना चैतन्यस्वभावने
भूल्यो छे, ने साची ओळखाण करीने पोते ज ते भूलने टाळे छे. आत्मामां कायमी ज्ञान अने
आनंद भर्यां छे, तेनो विश्वास करवो ते धर्म छे. पण मारामां
साचो उद्यम
समयसारमां आचार्यदेव कहे छे के हे जीव! तुं जगतनो
व्यर्थ कोलाहल छोडीने अंतरमां चैतन्य वस्तुने अनुभववानो
छ मास प्रयत्न कर, तो तारा अंतरमां तने अवश्य तेनी
प्राप्ति थशे. बीजी रुचि छोडीने चैतन्यनी रुचिपूर्वक जो
अंतरमां अभ्यास करे तो अल्पकाळमां तेनो अनुभव थया
विना रहे नहि. सम्यग्दर्शन प्रगट करवा माटे अंतरमां
तत्त्वनिर्णय अने अनुभवनो अपूर्व उद्यम करवो जोईए.