Atmadharma magazine - Ank 125
(Year 11 - Vir Nirvana Samvat 2480, A.D. 1954)
(Devanagari transliteration).

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: फागण : २०१० : आत्मधर्म–१२५ : १०३ :
* जसदण शहेरमां जिनमंदिर माटेनी जाहेरात *
पगले पगले जिनशासननो प्रभाव फेलावता थका पू. गुरुदेव सौराष्ट्रमां मंगल विहार
करी रह्या छे अने जैनधर्मनी महान प्रभावना करी रह्या छे. विहार दरमियान पू. गुरुदेव
जसदण शहेरमां पधार्या त्यारे त्यांना भक्तोने घणो उल्लास हतो, अने पू. गुरुदेवनी
चरणछायामां शेठ श्री प्रेमचंद भाईए जसदण शहेरमां जिनमंदिर बंधाववानो निर्णय जाहेर
कर्यो हतो अने ते माटे नीचे मुजब रकमो ते वखते जाहेर करी हती–
११०१) शेठ प्रेमचंद लक्ष्मीचंद
५०१) शाह वाडीलाल मोहनलाल (हा. हरिलाल मोहनलाल)
५०१) शाह
माणेकचंद करसनजी
–उपरनी शुभ जाहेरात सांभळीने बधाने घणो हर्ष थयो हतो. पू. गुरुदेवना अपूर्व
प्रभाव जोगे आजे जैनशासनना जयकार गाजी रह्या छे ने ठेरठेर जिनेन्द्रभगवंतोनी स्थापना
थई रही छे. उपरना मंगल कार्यनी जाहेरात माटे जसदणना मुमुक्षुओने धन्यवाद!
–वडीआ गाममां जिनमंदिर–
वडीआमां भाई श्री उत्तमचंद जसराजभाईए पोताना मकाननी बाजुमां एक नानुं
सुशोभित जिनमंदिर कराव्युं छे. पू. गुरुदेव माह सुद छठ्ठना रोज वडीआ पधार्या त्यारे जिन
मंदिरनी वेदी उपर तेओश्रीना पवित्र हस्ते स्वस्तिक कराव्यो हतो अने मंगलपाठ बोलीने
गुरुदेवना मंगलहस्ते भगवानने वेदी उपर बिराजमान कर्या हता. श्री जिनेन्द्र भगवान अने
गुरुदेव पोताना आंगणे पधार्या तेथी उत्तमचंदभाईनो उत्साह घणो हतो. आ प्रसंगे पू.
गुरुदेवना हस्ते जिनमंदिरमां समयसारजीनी पण स्थापना थई हती. बपोरे श्री जिनेन्द्रदेवनी
रथयात्रा नीकळी हती. आ मंगल प्रसंगे सोनगढथी पू. बेनश्री–बेनजी वगेरे पण पधार्या हता
अने भगवाननी भक्ति करावी हती. वडीआमां जिनमंदिर बंधाववा माटे उत्तमचंदभाईने
धन्यवाद घटे छे.
[वडीआना जिनमंदिरमां हाल तो सोनगढथी श्री महावीर भगवान तथा
ऋषभदेव भगवानना प्रतिमाजी लावीने बिराजमान कर्या छे; वडीआना जिनमंदिरमां श्री
नेमिनाथ भगवानना प्रतिमाजी मूळनायक तरीके स्थापन करवाना छे, तेनी प्रतिष्ठा कराववा
माटे पोरबंदर मोकल्या छे.
] परमपूज्य गुरुदेवना प्रतापे सौराष्ट्रमां ठेर ठेर जिनेन्द्र भगवंतोनी
स्थापना थई रही छे अने जैनधर्मनो महान उद्योत थई रह्यो छे.
ब्रह्मचर्य–प्रतिज्ञा
(१) मंगल विहार दरमियान परम पूज्य सद्गुरुदेव “राजकोट” पधार्या त्यारे माह सुद
१ ना रोज ‘राजकोट’ना भाईश्री मगनलाल सुंदरजी तथा तेमनी धर्मपत्नी–ए बंनेए सजोडे
आजीवन ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा पू. गुरुदेव पासे अंगीकार करी छे; ते बदल तेमने धन्यवाद.
(२) मंगल विहार दरमियान परमपूज्य सद्गुरुदेव “वडीया” पधार्या त्यारे महा सुद ७
ना रोज वडीयाना भाईश्री उत्तमचंद जसराज तथा तेमना धर्मपत्नी–ए बंनेए सजोडे आजीवन
ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा पू. गुरुदेव पासे अंगीकार करी छे; ते बदल तेमने धन्यवाद.