Atmadharma magazine - Ank 126
(Year 11 - Vir Nirvana Samvat 2480, A.D. 1954)
(Devanagari transliteration).

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: चैत्र : २०१० : आत्मधर्म–१२६ : ११३ :
पछी लग्न माटे अहीं आवेला त्यारे वैराग्य थतां भगवान दीक्षित थया. अहींना सहेसावनमां
ज भगवाने दीक्षा लीधी हती, ने पछी आनंदनिधान आत्मानी रमणताथी केळवज्ञान पण
अहीं ज पाम्या हता तथा मोक्ष पण आ गिरनारजीनी पांचमी टूंकेथी पधार्या हता. भगवानने
जे दशा प्रगटी ते तो भावमंगळ छे, ते भावना निमित्तरूप आ क्षेत्र छे ते पण स्थापना निक्षेपे
मंगळरूप छे; अने तीर्थंकर भगवाननो आत्मा पोते द्रव्यमंगळ छे; तीर्थंकर थनार आत्मा
अनादि–अनंत मंगळरूप छे. भगवाने पोताना आत्मामां जेवो भाव प्रगट कर्यो तेवा भावने
जे ओळखे, तेने आ क्षेत्र जोतां तेवा भावनुं स्मरण थाय छे. जेवा भावथी भगवाने मुनिपणुं,
केवळज्ञान अने मोक्षदशा प्रगट करी तेवा भावने ओळखीने भगवाननी जेम पोताना
आत्मामां पण तेवो भाव प्रगट करवो ते अपूर्व मंगळ छे ने ते परमार्थ यात्रा छे...”
–ईत्यादि अपूर्व मांगळिक संभळाव्या बाद पू. गुरुदेव जुनागढ शहेरना जिनमंदिरे
नेमप्रभुना दर्शन करवा पधार्या हतां.
बपोरे पू. गुरुदेवना प्रवचनमां दोढथी बे हजार माणसोनी सभा थई हती अने पू.
गुरुदेवे सुंदर शैलीथी अद्भुत प्रवचन कर्युं हतुं, ते प्रवचनमां नेमिनाथ भगवानना अंतरंग
आत्मिक जीवननी पण संकलना करी दीधी हती. प्रवचन पछी जिनमंदिरेथी भगवानने मंडपमां
बिराजमान करीने त्यां भक्ति करवामां आवी हती. तेमां–
“मैं तेरे ढिग आयारे... नेम! तेरे ढिग
आया... गढ गिरनारे आया...”
–ईत्यादि स्तवनो गवडावीने पू. बेनश्री बेनजीए उमंगभरी भक्ति करावी हती.
सांजे पू. गुरुदेव जुनागढ शहेरमांथी गिरनारजीनी तळेटीमां पधार्या हतां. तळेटी
लगभग त्रण माईल दूर छे. गिरनारजीने भेटवा माटे तळेटीमां पू. गुरुदेवनी साथे साथे
अनेक भक्तजनो पण उलटभेर गातांगातां जता हता... ते वखते झटझट दोडीने भगवानना
पवित्र धामने भेटीए एवी उत्कट भावनाथी भक्तोना पग खूब ज झडपथी उपडता हता, –
जाणे के पू. गुरुदेव बधायने दोडावीने भगवाननो भेटो करावता होय!
तळेटीमां दिगंबर जैन धर्मशाळामां पू. गुरुदेव रह्या हता, अने रात्रिचर्चा पण त्यां ज
राखवामां आवी हती. आजे आखी धर्मशाळा यात्राळु संघथी उभराई गई हती... ने सवारमां
भगवानने भेटवानी तालावेलीने लीधे जाणे बधानी ऊंघ पण ऊडी गई हती.
पहेली टूंकनी तथा सहेसावननी जात्रा
(महा सुद ११)
महा सुद ११ नी सवारमां, तळेटीना जिनमंदिरमां दर्शन करीने, नेमिनाथ प्रभुना जय
जयकार गजावता, संघना मोटा समुदाय सहित परम पूज्य बाल ब्रह्मचारी कहान गुरुदेवे
गिरनारजी तीर्थनी यात्रा शरू करी. रस्तामां पगले–पगले नेमिनाथ प्रभुना वैराग्य भर्यां
स्मरणो जागता हता. संघमां लगभग हजारेक माणसो थया हता, जेमां सो उपरांत डोळीओ
हती. पू. गुरुदेवनी साथे गिरनारनी जात्रा करवामां भक्तजनोने एवो उल्लास हतो के थाक
भूलाई जतो हतो ने होंशे होंशे गिरनारजी उपर चडी जवातुं हतुं.
पहेली टूंके पहोंच्या बाद त्यांना दिगंबर जिनमंदिरमां भक्तजनोए नेमिनाथ प्रभुनुं
पूजन कर्युं; त्यारबाद भक्ति थई हती. यात्राळुओनी संख्या एटली मोटी हती के आखुं मंदिर
अंदर तेमज बहार खीचोखीच भराई गयुं हतुं. पूज्य