* महान संघ सहित कहानगुरुदेवे करेली
भगवान श्री नेमिनाथ प्रभुनी कल्याणकभूमि श्री गिरनारजी तीर्थनी अपूर्व उल्लास
साथे गिरनारजीनी जात्रामां सर्वे भक्तजनो बहु ज आनंद आव्यो हतो. पू. गुरुदेव विहार
करता करता जेम जेम गिरनारजीनी नजीक पहोंचता हता तेम तेम जाणे गिरनारजीनी
प्रदक्षिणा करता होईए तेवुं लागतुं हतुं. गिरनार पर्वत खरेखर बहु ज भव्य रळियामणो
छे, तेने जोतां ज नेमिनाथ भगवाननुं आखुं जीवन द्रष्टि समक्ष तरवरे छे ने भावनानी
ऊर्मिओ जागे छे; तेना ऊंचा ऊंचा शिखरो जाणे के नेमिनाथ भगवाननुं जीवनगान गातां
होय एवा देखाय छे. विवाह समये पशुओनो करुण पोकार सांभळतां राजीमतीनो त्याग
करीने गिरनार उपर भगवाने दीक्षा लीधी अने केवळज्ञान पाम्या त्यारे ईन्द्रोए आवीने
त्यां सोनाना गढवाळां समवसरण रच्यां, तेनी साक्षी पूरवा माटे आजेय गिरनारनां
पत्थरो सुवर्णनां रजकणोथी चमकी रह्यां छे. आवा पवित्र धाम गिरनारजी उपर चडतां
पगले पगले पू. गुरुदेव भगवान श्री नेमिनाथ प्रभुना जीवननी अने करोडो मुनिवरोनी
पावन स्मृतिओ संभळावता हतां, जे सांभळतां मुमुक्षुओने भगवानना पवित्र उन्नति
पंथे विचरवानी प्रेरणा जागती हती. रस्तामां चडतां चडतां कोई थाकी जाय तो पू. गुरुदेव
कहेता “हिंमत राखीने हालवा मांडो...” ए रीते गुरुदेवनी वाणी द्वारा भगवानना पगले
पगले चालवानुं प्रोत्साहन मळतुं हतुं.
पधारीने गुरुदेवे खास मांगळिक संभळावतां कह्युं हतुं के : “आजे महा मांगळिक दिवस
छे; अने भगवान श्री नेमिनाथ प्रभुना दीक्षा, केवळ ने मोक्ष ए त्रण कल्याणक आ
गिरनार भूमिमां थया छे तेथी आ भूमि पण मंगळ छे. ईन्द्रोए अहीं आवीने भगवानना
त्रण कल्याणक ऊजव्या हता; श्री कृष्ण–वासुदेव अने बळदेव जेवा अहीं भगवाननां चरणे
नमता हता. भगवान नेमिनाथ प्रभु आत्माना ज्ञानानंद स्वभावनुं भान लईने अवतर्या
हतां;